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40 करोड़ के चक्कर में किया ये जुगाड़, रेगिस्तान में भी बिना फ्रिज 28 दिन नहीं पिघलने दी थी बर्फ! जानें कैसे?

Radio Luxembourg Challenge: एक बार रेडियो चैनल रेडियो लक्समबर्ग ने आईस चैलेंज शुरू किया था, जिसमें बर्फ को एक रेगिस्तान से होते हुए करीब 8500 किलोमीटर लेकर जाना था और इसके लिए फ्रिज का इस्तेमाल नहीं करना था. फिर एक शख्स ने इसे पूरा भी कर दिया.

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रेगिस्तान में बर्फ ना पिघलने देने का चैलेंज काफी चर्चित है. (प्रतीकात्मक फोटो)
रेगिस्तान में बर्फ ना पिघलने देने का चैलेंज काफी चर्चित है. (प्रतीकात्मक फोटो)

रेगिस्तान की गर्मी के बारे में तो आपने सुना होगा कि वहां क्या हालात होते हैं. अगर आपसे पूछा जाए कि रेगिस्तान में बर्फ को बिना फ्रिज के कितने देर रख सकते हैं तो आपका जवाब होगा कुछ मिनट और कुछ जुगाड़ भी कर लें तो कुछ घंटे. लेकिन, एक बार एक शख्स की टीम ने बिना फ्रिज के 28 दिन तक बर्फ को पिघलने नहीं दिया था. आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये कैसे हो सकता है तो जानते हैं इसकी पूरी कहानी.

पहले तो आपको बता दें कि इस शख्स ने ऐसा एक चैंलेज की वजह से किया था, जिसे पूरा करने पर एक कंपनी 45 लाख यूरो दे रही थी और आज के हिसाब से देखें तो यह अमाउंट 40 करोड़ रुपये है. तो इस शख्स ने 40 करोड़ रुपये के लिए ऐसा किया था और उसने ये काम किया था. हालांकि, ये बात अलग है कि जब तक इस शख्स ने ये चैलेंज पूरा किया, उस वक्त तक कंपनी ने चैलेंज ही खत्म कर दिया था. 

क्या था चैलेंज?

यह बात 1958 की है, उस वक्त की है जब लक्समबर्ग के एक चैनल रेडियो लक्समबर्ग ने ये आईस चैलेंज शुरू किया था. इस चैलेंज में बर्फ को नॉर्वे के मो ए राना से सेंट्रल अफ्रीका के लिब्रेविले तक ले जाना था. इस रुट में सहारा रेगिस्तान भी था, जहां भयानक गर्मी पड़ती है. इसमें 3000 किलो के बर्फ को एक कोने से दूसरे कोने तक रोड़ के जरिए पहुंचाना था. इसके लिए कई लोगों ने कोशिश और बहुत से लोगों ने इसे असंभव मानकर पहले ही मना कर दिया था. 

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किसने पूरा किया चैलेंज?

लेकिन, चैलेंज शुरू होने के कुछ दिन बाद Birger Natvik नाम के एक शख्स ने इस पूरे करना जिम्मा किया. वे नॉर्वे की कंपनी में मैनेजर थे, जहां इंसूलिन मैटेरियल बनाने का काम होता था. यहां एक मैटिरियल बनाया जाता था, जो बर्फ को गर्म तापमान में भी पिघलने से बचाता था. इस शख्स ने इस मैटेरियल के जरिए ही बर्फ को 8 हजार किलोमीटर ले जाने का काम किया था. 

उन्होंने इस मैटेरियल के जरिए 3000 किलो बर्फ को खास तरह से एक बॉक्स में पैक कर दिया. इसके लिए उन्होंने ग्लेशियर काटकर बर्फ मंगवाई थी. उनके इस जज्बे को देखकर कई कपंनियों ने उनकी मदद की और सरकार ने भी उनका साथ दिया. जैसे किसी कंपनी ने उन्हें ट्रक दिया तो किसी ने फ्यूल का पैसा. फिर जिन-जिन देश से ट्रक गुजरा, वहां की सरकारों ने भी उनकी मदद की और ट्रैफिक रूट बनाकर दिया. वे बिना फ्रिज के इस मैटेरियल के जरिए बर्फ को पैक करके निकले और 28 दिन के सफर के बाद वहां पहुंच गए.  

जब वहां जाकर उन्होंने देखा तो बर्फ बिल्कुल भी नहीं पिघली थी. इस तरह उन्होंने चैलेंज जीत लिया, लेकिन वो चैलेंज पहले ही बंद हो गया था. इसके बाद इस बर्फ को अफ्रीका के रेगिस्तान के लोगों को बांट दिया, जिसे देखकर वो खुश हुए, क्योंकि उन्होंने कभी इतनी बर्फ देखी ही नहीं थी. 
 

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