अमेरिका ने भारत को जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइलें बेचने की मंजूरी दे दी है. ये वही मिसाइलें हैं जो यूक्रेन युद्ध में रूस के बड़े-बड़े टैंकों को आसानी से तबाह कर रही हैं. अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) ने बुधवार को यह ऐलान किया. कुल डील की कीमत करीब 93 मिलियन डॉलर (लगभग 780 करोड़ रुपये) है.
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जैवलिन एक पोर्टेबल (कंधे पर रखकर चलाने वाली) एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है. इसे अमेरिका की दो बड़ी कंपनियां – लॉकहीड मार्टिन और RTX (पहले रेथियॉन) – मिलकर बनाती हैं.
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फायर एंड फॉरगेट: सैनिक मिसाइल छोड़ता है, फिर भाग सकता है. मिसाइल खुद निशाना ढूंढकर ऊपर से टैंक पर हमला करती है (टॉप अटैक). टैंक का ऊपरी हिस्सा सबसे कमजोर होता है, इसलिए एक ही वार में टैंक खत्म.
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2022 से यूक्रेन को अमेरिका ने हजारों जैवलिन मिसाइलें दीं. यूक्रेनी सैनिकों ने इनसे रूस के T-72, T-90 जैसे मजबूत टैंकों को सैकड़ों की संख्या में उड़ा दिया. ये मिसाइल इतनी प्रभावी रही कि इसे "टैंक किलर" कहा जाने लगा. रूसी टैंक ऊपर से हमले का मुकाबला नहीं कर पाते. यही वजह है कि पूरी दुनिया में इसकी तारीफ हो रही है.

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अभी अमेरिकी संसद (कांग्रेस) को 30 दिन का समय है. अगर कोई आपत्ति नहीं हुई तो डील पक्की हो जाएगी. भारत भविष्य में जैवलिन को भारत में ही बनाने (को-प्रोडक्शन) की भी योजना बना रहा है.