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भूकंप में रूस के न्यूक्लियर सबमरीन बेस को हुआ कितना नुकसान? सैटेलाइट तस्वीरों ने दिखाया सच

रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 30 जुलाई को 8.8 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया था. यह भूकंप इतना ताकतवर था कि इसे इतिहास के छठे सबसे बड़े भूकंपों में गिना गया.

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रूस के रायबाची सबमरीन बेस को भूकंप से कितना नुकसान पहुंचा (Photo: @Maxar)
रूस के रायबाची सबमरीन बेस को भूकंप से कितना नुकसान पहुंचा (Photo: @Maxar)

रूस के कामचटका में पिछले हफ्ते आए भीषण भूकंप में रूस के न्यूक्लियर सबमरीन को नुकसान पहुंचा है. सैटेलाइट तस्वीरों में इस नुकसान को साफ देखा जा सकता है.

कमर्शियल सैटेलाइट कंपनी प्लैनेट लैब्स की ओर से ली गई तस्वीरों के मुताबिक, अवाचा बे में रूस की नौसेना का रायबाची सबमरीन बेस फ्लोटिंग पायर (Pier) क्षतिग्रस्त हुआ है. भूकंप की वजह से पायर का एक हिस्सा डिटैच हो गया. इसके अलावा सबमरीन बेस को किसी तरह का बड़ा नुकसान नहीं हुआ है.

यह रायबाची सबमरीन बेस कामचटका प्रायद्वीप में रूस के पैसिफिक बेड़े का हिस्सा है, जहां बोरे और बोरे-ए जैसी आधुनिक परमाणु पनडुब्बियां तैनात हैं. हालांकि, अभी तक इसे लेकर किसी तरह की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. परमाणु स्थलों की निगरानी कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी अभी तक इलाके में किसी तरह के रेडिएशन लीक की जानकारी नहीं दी है. 

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रायबाची के कुछ फ्लोटिंग पायर्स को हाल ही में तैयार किया गया था. 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से अब तक इस बेस पर कम से कम दो नए पायर बनाए गए हैं. इस बेस को सोवियत संघ के समय में बनाया गया था और इसे एक खाड़ी में इसलिए स्थापित किया गया था ताकि समुद्र की तेज लहरों और तूफानों से जहाजों को सुरक्षा मिल सके.

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बता दें कि 30 जुलाई को रूस के दूरदराज इलाके कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया था. यह भूकंप इतना ताकतवर था कि इसे इतिहास के छठे सबसे बड़े भूकंपों में गिना गया. यह भूकंप अवाचा बे से महज 120 km की दूरी पर आया था, जहां रूस की नौसेना का एक अहम परमाणु पनडुब्बी बेस है. इस घटना ने रूस के परमाणु हथियारों और पनडुब्बियों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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रायबाची बेस पर बोरे और बोरे-ए जैसी पनडुब्बियां हैं, जो परमाणु मिसाइलें ले जाने में सक्षम हैं. इसके अलावा यासेन-एम और ऑस्कर-क्लास जैसी मिसाइल पनडुब्बियां भी हैं, जो सामान्य हथियारों से लैस हैं लेकिन बहुत खतरनाक हैं. एक और पनडुब्बी K-329 बेल्गोरोड, जो दुनिया की सबसे लंबी पनडुब्बी है, शायद जल्द ही इस बेस पर आएगी. यह पनडुब्बी परमाणु-संचालित पोसाइडन टॉरपीडो ले सकती है. जासूसी मिशन भी कर सकती है. इन पनडुब्बियों की सुरक्षा बहुत जरूरी है, क्योंकि अगर इनमें कोई खराबी आती है, तो रेडियेशन लीक या मिसाइल लॉन्च जैसी गंभीर घटनाएं हो सकती हैं. 

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