scorecardresearch
 

रिफाइनरी, एयरपोर्ट, एयरबेस, हाईराइज बिल्डिंग्स, फ्यूल डिपो... युद्ध के दौरान दुश्मन के बड़े टारगेट क्या होते हैं?

बड़ें युद्धों में महत्वपूर्ण टारगेट क्या होते हैं? भारत-पाकिस्तान युद्धों में रिफाइनरी, हवाई अड्डे, वायुसेना अड्डे और ईंधन डिपो जैसे लक्ष्य रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थे. 1971 में कराची और अट्टक रिफाइनरी पर हमलों ने पाकिस्तान की सैन्य और आर्थिक क्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचाया, जबकि बालाकोट जैसे हमले मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक प्रभाव के लिए थे.

Advertisement
X
युद्ध के दौरान बड़े ढांचागत यूनिट्स को निशाना बनाया जाता है. (फोटोः गेटी)
युद्ध के दौरान बड़े ढांचागत यूनिट्स को निशाना बनाया जाता है. (फोटोः गेटी)

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों (1947, 1965, 1971 और 1999) में दोनों देशों की सैन्य रणनीतियों ने दुश्मन के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया. इनमें रिफाइनरियां, एयरपोर्ट, एयरबेस, हाई-राइज इमारतें और फ्यूल डिपो जैसे लक्ष्य शामिल थे, जो सैन्य और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थे. 

प्रमुख लक्ष्यों का महत्व

युद्ध के दौरान कुछ लक्ष्य रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होते हैं. इनका विनाश दुश्मन की सैन्य क्षमता, आपूर्ति श्रृंखला और मनोबल को कमजोर करता है. भारत-पाकिस्तान युद्धों में निम्नलिखित लक्ष्य प्रमुख रहे:

रिफाइनरियां: रिफाइनरियां ईंधन का प्रमुख स्रोत होती हैं, जो सैन्य वाहनों, विमानों और जहाजों के लिए आवश्यक है. इनका विनाश दुश्मन की सैन्य गतिशीलता को सीमित करता है.

यह भी पढ़ें: युद्ध के दौरान ब्लैकआउट क्या होता है? गाड़ियों की लाइट पर काले रंग से लेकर घर की बत्ती तक लागू होते हैं ये नियम

wartime big targets india pakistan

1971 के युद्ध में भारतीय वायुसेना (IAF) ने 6 दिसंबर को अट्टक रिफाइनरी (रावलपिंडी के पास) पर नंबर 20 स्क्वाड्रन के चार हंटर विमानों से हमला किया. इस हमले से विशाल आग और धुआं उठा, जिसने बाद के हमलों के लिए नेविगेशन में मदद की. 

Advertisement

प्रभाव : इस हमले ने पाकिस्तान की ईंधन आपूर्ति को प्रभावित किया, जिससे उसकी सैन्य गतिविधियां बाधित हुईं.

एयरपोर्ट और एयरबेस: एयरबेस और हवाई अड्डे वायुसेना के संचालन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. इनका विनाश दुश्मन की हवाई शक्ति को कमजोर करता है. हवाई हमलों को रोकता है.

1965 युद्ध: IAF ने सरगोधा एयरबेस पर हमला किया, जो पाकिस्तान वायुसेना (PAF) का सबसे महत्वपूर्ण और अच्छी तरह से संरक्षित बेस था. इसमें कैनबरा बॉम्बर्स, मिस्टेयर और हंटर विमानों ने हिस्सा लिया.

यह भी पढ़ें: पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच भारत को रूस से मिलेगा स्टील्थ युद्धपोत ‘तमाल’

wartime big targets india pakistan

1971 युद्ध: IAF ने पूर्वी पाकिस्तान में तेजगांव और कुर्मिटोला एयरबेस पर हमले किए. 5 दिसंबर को मिग-21 ने इन रनवे पर 500 और 1000 पाउंड के बम गिराए, जिससे PAF की 19 सैबर जेट्स की गतिविधियां रुक गईं. 

1971 में स्कार्दू एयरबेस: IAF ने पाक-अधिकृत कश्मीर में स्कार्दू एयरबेस के रनवे को निशाना बनाया, सावधानी बरतते हुए केवल रनवे को नुकसान पहुंचाया ताकि अन्य सुविधाओं को हानि न हो.

इन हमलों ने PAF की हवाई क्षमता को सीमित किया, विशेष रूप से पूर्वी पाकिस्तान में, जहां दो दिनों में हवाई नियंत्रण हासिल कर लिया गया.

हाई-राइज इमारतें: हाई-राइज इमारतें शहरी क्षेत्रों में कमांड सेंटर, संचार केंद्र या प्रतीकात्मक लक्ष्य हो सकती हैं. हालांकि, भारत-पाकिस्तान युद्धों में इन्हें सीधे तौर पर निशाना बनाने के उदाहरण सीमित हैं, क्योंकि दोनों देशों ने नागरिक हताहतों से बचने की कोशिश की.

Advertisement

यह भी पढ़ें: कुछ ही मिनटों में कराची समेत पूरा पाकिस्तान तबाह कर सकता है INS Vikrant कैरियर स्ट्राइक ग्रुप, जानिए ताकत

wartime big targets india pakistan

ऐतिहासिक युद्धों में हाई-राइज इमारतों को निशाना बनाने की स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन 2019 के बालाकोट हवाई हमले में IAF ने जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया, जो एक इमारत थी. हालांकि, सैटेलाइट इमेजरी से पता चला कि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ.

ऐसी संरचनाओं को निशाना बनाने से मनोवैज्ञानिक और प्रतीकात्मक प्रभाव पड़ता है, लेकिन नागरिक नुकसान के जोखिम के कारण यह विवादास्पद होता है.

फ्यूल डिपो: फ्यूल डिपो सैन्य अभियानों के लिए ईंधन का भंडारण करते हैं. इनका विनाश सैन्य गतिविधियों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, क्योंकि ईंधन की कमी से विमान, टैंक और जहाज रुक सकते हैं.

1971 युद्ध: IAF ने चटगांव और नारायणगंज के फ्यूल डिपो पर हमले किए. 4 दिसंबर को नंबर 14 स्क्वाड्रन के हंटर विमानों ने चटगांव में पद्मा ऑयल डिपो को निशाना बनाया, जिससे तेल टैंक जल गए.

यह भी पढ़ें: अब PAK की खैर नहीं... राफेल में लगेगी BrahMos-NG मिसाइल, फाइटर जेट की मारक क्षमता और बढ़ेगी

wartime big targets india pakistan

कराची हमला: 4 दिसंबर, 1971 को IAF के कैनबरा बॉम्बर्स ने मॉरीपुर एयरबेस और केमारी ऑयल स्टोरेज टैंकों पर हमला किया. भारतीय नौसेना ने भी ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत केमारी तेल टैंकों को नष्ट किया, जिससे कराची में एक सप्ताह तक आग लगी रही.

Advertisement

इन हमलों ने पाकिस्तान की 75% तेल आपूर्ति को प्रभावित किया, जिससे उसकी नौसेना और वायुसेना की गतिविधियां सीमित हो गईं.

भारत-पाकिस्तान युद्धों में लक्ष्यों की रणनीति

भारत और पाकिस्तान ने अपनी सैन्य रणनीतियों में रणनीतिक और आर्थिक लक्ष्यों को प्राथमिकता दी. इन युद्धों में लक्ष्यों का चयन निम्नलिखित कारकों पर आधारित था... 

सैन्य क्षमता को कमजोर करना:  एयरबेस और रनवे पर हमले (जैसे सरगोधा, तेजगांव) दुश्मन की हवाई शक्ति को नष्ट करने के लिए थे. 1971 में IAF ने पूर्वी पाकिस्तान में PAF को 48 घंटों में निष्क्रिय कर दिया. 1965 में IAF ने 3937 सॉर्टी उड़ाईं, जिनमें से अधिकांश का उद्देश्य PAF के ठिकानों और आपूर्ति लाइनों को नष्ट करना था.

आर्थिक नुकसान: रिफाइनरियां और फ्यूल डिपो (अट्टक, केमारी) जैसे लक्ष्य दुश्मन की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए चुने गए. कराची बंदरगाह, जो पाकिस्तान का व्यापारिक केंद्र था, 1971 में IAF और नौसेना के हमलों से बुरी तरह प्रभावित हुआ.

1971 में IAF ने बांग्लादेश में तेल टैंकों को सावधानी से निशाना बनाया ताकि भविष्य में बांग्लादेश की संपत्तियों को नुकसान न हो।

मनोवैज्ञानिक प्रभाव: बड़े लक्ष्यों जैसे रिफाइनरियों और बंदरगाहों पर हमले, दुश्मन के मनोबल को तोड़ने और जनता में डर पैदा करने के लिए किए गए. कराची में तेल टैंकों की आग इसका उदाहरण है.

Advertisement

2019 के बालाकोट हमले का उद्देश्य आतंकी संगठनों को चेतावनी देना था, हालांकि इसका भौतिक प्रभाव सीमित रहा.

wartime big targets india pakistan

विशिष्ट युद्धों में लक्ष्य

1965 युद्ध: सरगोधा एयरबेस, रेलवे स्टेशन और बख्तरबंद वाहनों के समूह.

रणनीति: IAF ने 3937 सॉर्टी उड़ाईं, जिनमें सरगोधा पर हमले शामिल थे. PAF ने भी IAF के ठिकानों (पठानकोट, अदमपुर, हलवारा) पर हमले किए.

प्रभाव: दोनों पक्षों ने जीत का दावा किया, लेकिन हवाई युद्ध में गतिरोध रहा.

1971 युद्ध: कराची बंदरगाह, अट्टक रिफाइनरी, तेजगांव और कुर्मिटोला एयरबेस, चटगांव और नारायणगंज फ्यूल डिपो.

रणनीति: IAF ने पश्चिम में 4,000 और पूर्व में 1978 सॉर्टी उड़ाईं. पूर्वी पाकिस्तान में PAF को जल्दी निष्क्रिय किया गया, जबकि पश्चिम में रिफाइनरियों और तेल डिपो को निशाना बनाया गया.

प्रभाव: कराची हमलों ने पाकिस्तान की नौसेना और तेल आपूर्ति को गंभीर नुकसान पहुंचाया, जिसने युद्ध को तेजी से समाप्त करने में मदद की.

यह भी पढ़ें: तेजस Mk-1A फाइटर जेट प्रोग्राम को मिली तेजी, दो साल की देरी के बाद HAL को मिला पहला F404-IN20 इंजन

2019 बालाकोट हमला: जैश-ए-मोहम्मद का प्रशिक्षण शिविर (संभावित रूप से एक इमारत). 

रणनीति: IAF के मिराज 2000 विमानों ने प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक की, जिसका उद्देश्य आतंकी गतिविधियों को रोकना था. प्रभाव सीमित रहा, लेकिन इसने भारत की जवाबी कार्रवाई की इच्छाशक्ति दिखाई।

Advertisement

प्रमुख तथ्य और आंकड़े

1965 युद्ध: IAF ने 3,937 सॉर्टी उड़ाईं, PAF ने 2,364. दोनों ने हवाई ठिकानों को प्राथमिकता दी.

1971 युद्ध: कराची में तेल टैंकों की आग सात दिनों तक जलती रही, जिसने पाकिस्तान की 75% तेल आपूर्ति को प्रभावित किया.

1971 में पूर्वी पाकिस्तान: IAF ने 48 घंटों में हवाई नियंत्रण हासिल किया, PAF के 19 सैबर जेट्स को निष्क्रिय किया.

2019 बालाकोट: सैटेलाइट इमेजरी से पता चला कि आतंकियों को भारी नुकसान हुआ. हमले ने रणनीतिक संदेश दिया.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement