भारतीय वायुसेना (IAF) की ताकत को मजबूत करने के लिए दो बड़े कदम उठ रहे हैं- तेजस मार्क-1ए का उत्पादन शुरू होना. 114 स्वदेशी राफेल जेट्स की संभावित डील. वर्तमान में आईएएफ के पास सिर्फ 31 फाइटर स्क्वाड्रन हैं, जबकि जरूरी 42 हैं. ये पुराने मिग-21 जैसे विमान रिटायर हो रहे हैं, जिससे ताकत कम हो रही है.
तेजस Mk1A और राफेल से आईएएफ न सिर्फ संख्या में मजबूत होगी, बल्कि तकनीकी रूप से भी दुनिया की सबसे शक्तिशाली एयरफोर्स में शामिल हो जाएगी.
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तेजस भारत का पहला स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) है, जो हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा बनाया जा रहा है. मार्क-1ए इसका एडवांस वर्जन है, जो मार्क-1 से बेहतर है.

वर्तमान स्थिति: 2021 में 83 तेजस Mk1A के लिए 48000 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट हुआ. अगस्त 2025 में सरकार ने 97 और जेट्स के लिए 62000 करोड़ रुपए मंजूर किए, कुल 180 जेट्स (10 स्क्वाड्रन). पहला Mk1A जून 2025 तक नासिक फैसिलिटी से डिलीवर होने वाला था, लेकिन GE के F404 इंजन में देरी से सितंबर 2025 तक पहुंचा. सितंबर 2025 के अंत तक पहला जेट आईएएफ को मिलेगा. HAL 2025-26 में 12 जेट्स डिलीवर करेगी. 2031-32 तक सभी 180. स्वदेशी सामग्री 70% से ज्यादा है.
विशेषताएं: Mk1A में AESA रडार (उत्तम या इजरायली EL/M-2052), बेहतर इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, अस्त्रा BVR मिसाइल और ASRAAM मिसाइलें हैं. यह हल्का (13.5 टन), तेज (मच 1.6) और मल्टी-रोल है- हवाई लड़ाई, ग्राउंड अटैक और इंटरसेप्शन. ऑपरेशन सिंदूर में मार्क-1 ने पाकिस्तानी घुसपैठ को रोका, Mk1A इससे और मजबूत होगा.
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IAF पर प्रभाव: ये 180 जेट्स 10 स्क्वाड्रन बनाएंगे, जो मिग-21 को रिप्लेस करेंगे. वर्तमान में 2 Mk1 स्क्वाड्रन (40 जेट्स) हैं, Mk1A से संख्या 8-10 स्क्वाड्रन बढ़ेगी. उत्पादन क्षमता 24 जेट्स/वर्ष हो जाएगी. इससे आईएएफ की स्वदेशी क्षमता मजबूत होगी. आयात पर निर्भरता कम.
राफेल फ्रांस का उन्नत मल्टी-रोल फाइटर है, जो 2016 में 36 जेट्स के डील से आईएएफ में आया. अब 114 'मेक इन इंडिया' राफेल की डील पर विचार चल रहा है.

वर्तमान स्थिति: सितंबर 2025 में आईएएफ ने रक्षा मंत्रालय को 2 लाख करोड़ रुपये की प्रस्ताव दिया. यह सरकार-से-सरकार डील होगी, जिसमें 60% से ज्यादा स्वदेशी सामग्री. दसॉल्ट एविएशन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (TASL) मिलकर हैदराबाद में फ्यूजलेज बनाएंगे.
पहले 36 राफेल (अंबाला और हसीमारा में) ऑपरेशन सिंदूर में सफल रहे. नेवी के 26 राफेल-एम भी आ रहे हैं. अगर मंजूर हुई, तो कुल 176 राफेल (8-9 स्क्वाड्रन) हो जाएंगे. डिफेंस प्रोक्योरमेंट बोर्ड अक्टूबर 2025 तक फैसला लेगा.
विशेषताएं: राफेल दो इंजन वाला (M88), 1.8 मैक स्पीड, 3700 किमी रेंज और 9.5 टन पेलोड. इसमें RBE2 AESA रडार, SPECTRA EW सिस्टम (जो दुश्मन मिसाइलों को चकमा देता है), SCALP क्रूज मिसाइल, और MICA एयर-टू-एयर मिसाइलें हैं. स्वदेशी राफेल में ब्रह्मोस-एनजी जैसी भारतीय मिसाइलें इंटीग्रेट होंगी. यह हाई-थ्रेट एरिया में घुसकर स्ट्राइक कर सकता है.
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IAF पर प्रभाव: 114 राफेल 6-7 स्क्वाड्रन बनाएंगे. वर्तमान 36 से कुल 150+ हो जाएंगे. ऑपरेशन सिंदूर में राफेल ने चीनी PL-15 मिसाइलों को हराया. इससे आईएएफ की स्ट्रैटेजिक स्ट्राइक क्षमता बढ़ेगी, खासकर चीन-पाकिस्तान सीमाओं पर.
IAF का वर्तमान फ्लीट: 31 स्क्वाड्रन (सु-30MKI सबसे ज्यादा, 260+ जेट्स), लेकिन मिग-21 (4 स्क्वाड्रन) 2025 तक रिटायर. स्वीकृत 42 स्क्वाड्रन, लेकिन संख्या घट रही है. तेजस Mk1A और राफेल से...

संख्या में वृद्धि: तेजस Mk1A से 10 स्क्वाड्रन (180 जेट्स) + राफेल से 6-7 (114 जेट्स) = कुल 16-17 नए स्क्वाड्रन. 2035 तक IAF 40+ स्क्वाड्रन तक पहुंच सकती है. कुल नए जेट्स 294, जो पुराने को रिप्लेस करेंगे.
तकनीकी मजबूती: तेजस हल्का और सस्ता (राफेल से 4 गुना कम कीमत), राफेल भारी पेलोड और लंबी रेंज वाला. साथ में मल्टी-रोल क्षमता बढ़ेगी- हवाई श्रेष्ठता, ग्राउंड अटैक, EW। स्वदेशी सामग्री से रखरखाव आसान, कॉस्ट कम. ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाइयों में ये साबित हो चुके.
रणनीतिक फायदा: चीन (PLA एयर फोर्स: 2,000+ जेट्स) और पाकिस्तान (JF-17: 150+) के खिलाफ बैलेंस। तेजस Mk2 (2025 फर्स्ट फ्लाइट) और AMCA (5th जेन) से और मजबूती. कुल मिलाकर, IAF की ताकत 30-40% बढ़ेगी, स्वदेशी उत्पादन से अर्थव्यवस्था को बूस्ट.
इंजन देरी (GE F404) और उत्पादन (HAL की क्षमता) चुनौतियां हैं, लेकिन नासिक लाइन से 24 जेट्स/वर्ष संभव. राफेल डील में सोर्स कोड एक्सेस की मांग है. 2035 तक 350+ नए जेट्स से IAF दुनिया की टॉप-3 में होगी.