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क्या परमाणु हथियार तैयार रहता है या एक्टिवेट करने में टाइम लगता है? अगर कोई देश फैसला कर ले तो क्या होता है प्रोसेस

परमाणु हथियारों को सक्रिय करने का समय कुछ मिनटों (अमेरिका, रूस) से लेकर कुछ घंटों (भारत, पाकिस्तान) या सप्ताह (ईरान) तक हो सकता है। यह समय देश की तकनीकी क्षमता, रणनीति और कमांड प्रणाली पर निर्भर करता है. जानिए कितनी देर में कौन से देश दाग सकता परमाणु हथियार...

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अमेरिका-रूस की कई मिसाइलें परमाणु हथियारों से लैस हैं. तैनात है. (सभी प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
अमेरिका-रूस की कई मिसाइलें परमाणु हथियारों से लैस हैं. तैनात है. (सभी प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

यदि कोई देश परमाणु हमला करने का निर्णय लेता है, तो हथियार को सक्रिय करने और लॉन्च करने में लगने वाला समय कई कारकों पर निर्भर करता है. जैसे कि देश की तकनीकी क्षमता, कमांड-एंड-कंट्रोल प्रणाली, हथियारों की तैनाती और भू-राजनीतिक परिस्थितियां.

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भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान केराना हिल्स की  रेडिएशन लीक की बात सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है. दोनों ही देशों न्यूक्लियर हथियार हैं. इस लेख में हम नौ परमाणु-सशस्त्र देशों (संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, भारत, पाकिस्तान, इजरायल, और उत्तर कोरिया) में होने वाली इस प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे...

परमाणु हथियार सक्रिय करने की प्रक्रिया

परमाणु हथियार को सक्रिय करने की प्रक्रिया में कई चरण शामिल होते हैं... 

  • निर्णय लेना: यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है, जहां देश का सर्वोच्च नेतृत्व (राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या सैन्य कमांडर) हमले का आदेश देता है. यह निर्णय आमतौर पर खुफिया जानकारी, खतरे के स्तर और रणनीतिक उद्देश्यों पर आधारित होता है.
  • कमांड-एंड-कंट्रोल: आदेश को सैन्य कमांड सेंटर तक पहुंचाया जाता है, जहां इसे सत्यापित किया जाता है. इसमें "टू-मैन रूल" या अन्य सुरक्षा प्रोटोकॉल शामिल हो सकते हैं ताकि गलत उपयोग रोका जा सके.
  • हथियारों की तैयारी: हथियारों को लॉन्च के लिए तैयार किया जाता है, जिसमें मिसाइलों को सक्रिय करना, टारगेट सेट करना और तकनीकी सत्यापन शामिल है.
  • लॉन्च: हथियार को लॉन्च किया जाता है, जो मिसाइल, बमवर्षक विमान या पनडुब्बी के माध्यम से हो सकता है.

nuclear attack preperation

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परमाणु देशों में न्यूक्लयिर वेपन एक्टिव करने का समय

परमाणु हथियारों को सक्रिय करने का समय देश की सैन्य तैयारी और तकनीकी बुनियादी ढांचे पर निर्भर करता है. नीचे प्रमुख परमाणु देशों के संदर्भ में समय का अनुमान दिया गया है...

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1. संयुक्त राज्य अमेरिका

समय: लगभग 4-5 मिनट (लॉन्च आदेश के बाद)

अमेरिका के पास दुनिया की सबसे उन्नत परमाणु कमांड-एंड-कंट्रोल प्रणाली है. राष्ट्रपति के आदेश के बाद मिनटमैन ICBM कुछ ही मिनटों में लॉन्च की जा सकती हैं. पनडुब्बी-आधारित मिसाइलों को लॉन्च करने में 10-15 मिनट लग सकते हैं. अमेरिका की "लॉन्च-ऑन-वॉर्निंग" नीति के कारण, खतरे की स्थिति में प्रतिक्रिया त्वरित होती है.

तैनाती: अमेरिका के पास जमीन, समुद्र (पनडुब्बी) और हवाई (बमवर्षक) आधारित हथियार हैं, जो हमेशा तैनात रहते हैं.

2. रूस

समय: 4-10 मिनट

रूस की परमाणु प्रणाली भी अत्यधिक उन्नत है. रूस के पास "डेड हैंड" (पेरीमेटर) जैसी स्वचालित प्रणालियां हैं, जो जवाबी हमले को सुनिश्चित करती हैं. रूस की आईसीबीएम, जैसे कि सरमत मिसाइल कुछ मिनटों में लॉन्च हो सकती हैं. पनडुब्बी और मोबाइल लॉन्चर थोड़ा अधिक समय ले सकते हैं, लेकिन रूस की रणनीति त्वरित प्रतिक्रिया पर केंद्रित है.

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तैनाती: रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु शस्त्रागार (लगभग 5,977 हथियार) है, जिसमें अधिकांश तैनात स्थिति में हैं.

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3. चीन

समय: 15-30 मिनट

चीन की परमाणु रणनीति "नो फर्स्ट यूज" पर आधारित है. इसके हथियार हमेशा तैनात स्थिति में नहीं रहते. मिसाइलों को सक्रिय करने और ईंधन भरने में समय लग सकता है. हालांकि हाल के वर्षों में चीन ने अपनी परमाणु क्षमता का विस्तार किया है. नई हाइपरसोनिक मिसाइलें तेजी से लॉन्च हो सकती हैं.

तैनाती: चीन के पास लगभग 350-400 हथियार हैं, जिनमें से कुछ ही तैनात हैं.

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4. फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम

समय: 10-20 मिनट

दोनों देशों की परमाणु शक्ति मुख्य रूप से पनडुब्बी-आधारित मिसाइलों पर निर्भर है. लॉन्च के लिए पनडुब्बी कमांडर को आदेश प्राप्त करना और सत्यापित करना होता है. जिसमें कुछ मिनट लग सकते हैं. यूके की ट्राइडेंट मिसाइलें और फ्रांस की M51 मिसाइलें उच्च स्तर की तत्परता में रहती हैं.

तैनाती: दोनों देशों के पास सीमित लेकिन अत्यधिक विश्वसनीय शस्त्रागार हैं (फ्रांस: ~290, यूके: ~225)

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5. भारत

समय: 30 मिनट से कुछ घंटे

भारत की परमाणु नीति "नो फर्स्ट यूज" और "विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध" पर आधारित है. भारत के हथियार तैनात स्थिति में नहीं रहते. मिसाइलों को सक्रिय करने के लिए असेंबली और ईंधन भरने की आवश्यकता हो सकती है. अग्नि मिसाइलें और पनडुब्बी-आधारित K-4 मिसाइलें लॉन्च के लिए समय ले सकती हैं. भारत की कमांड प्रणाली में सिविलियन और सैन्य नेतृत्व के बीच समन्वय आवश्यक है, जो समय बढ़ा सकता है.

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तैनाती: भारत के पास लगभग 172 परमाणु हथियार हैं, जो ज्यादातर जमीन और समुद्र-आधारित हैं.

6. पाकिस्तान

समय: 30 मिनट से कुछ घंटे

पाककी परमाणु रणनीति भारत पर केंद्रित है. इसमें त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता है. हालांकि, इसके हथियार तैनात स्थिति में नहीं रहते. मिसाइलों (जैसे गौरी और शाहीन) को सक्रिय करने में समय लगता है. सैन्य नेतृत्व का केंद्रीकृत नियंत्रण प्रक्रिया को धीमा कर सकता है.

तैनाती: पाकिस्तान के पास लगभग 170 हथियार हैं, जो मुख्य रूप से जमीन-आधारित हैं.

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7. इजरायल

समय: अज्ञात (संभावित रूप से 30 मिनट से कुछ घंटे)

इजरायल अपनी परमाणु क्षमता को आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं करता, लेकिन अनुमान है कि इसके पास 90-200 हथियार हैं. ये हथियार संभवतः तैनात स्थिति में नहीं हैं. एक्टिव के लिए समय की आवश्यकता हो सकती है. जेरिको मिसाइलें और हवाई बम तेजी से उपयोग हो सकते हैं, लेकिन प्रक्रिया गोपनीय है.

तैनाती: हथियारों की स्थिति और लॉन्च प्रक्रिया अत्यधिक गोपनीय है.

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8. उत्तर कोरिया

समय: 1 घंटे से अधिक

उत्तर कोरिया की परमाणु क्षमता सीमित लेकिन बढ़ रही है. मिसाइलों को ईंधन भरने और लॉन्च के लिए तैयार करने में समय लगता है. किम जोंग-उन का केंद्रीकृत नियंत्रण प्रक्रिया को जटिल बना सकता है. उत्तर कोरिया की मिसाइलें तेजी से लॉन्च हो सकती हैं, लेकिन तकनीकी विश्वसनीयता एक चुनौती है.

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तैनाती: लगभग 50 हथियार, मुख्य रूप से जमीन-आधारित.

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9. ईरान (संभावित परमाणु देश)

समय: सप्ताह से महीने

ईरान के पास अभी परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन इसकी यूरेनियम संवर्धन क्षमता इसे हथियार बनाने के करीब ले आई है. जनवरी 2024 के अनुसार ईरान को एक हथियार के लिए पर्याप्त यूरेनियम संवर्धन में लगभग एक सप्ताह लग सकता है. हालांकि इसे मिसाइल में तैनात करने और लॉन्च करने में अतिरिक्त समय लगेगा.

तैनाती: कोई परमाणु हथियार नहीं, लेकिन संवर्धन क्षमता मौजूद है.

प्रमुख कारक जो समय को प्रभावित करते हैं

  • तैनाती की स्थिति: हमेशा तैनात हथियार (जैसे अमेरिका और रूस) तेजी से सक्रिय हो सकते हैं, जबकि गैर-तैनात हथियारों (जैसे भारत और पाकिस्तान) को असेंबली की जरूरत होती है।
  • कमांड प्रणाली: केंद्रीकृत नियंत्रण (जैसे उत्तर कोरिया) प्रक्रिया को धीमा कर सकता है, जबकि विकेन्द्रीकृत प्रणालियां (जैसे अमेरिका) तेज होती हैं।
  • तकनीकी क्षमता: उन्नत मिसाइलें और स्वचालित प्रणालियां समय कम करती हैं, जबकि पुरानी तकनीक समय बढ़ाती है।
  • रणनीति: "लॉन्च-ऑन-वॉर्निंग" नीति वाले देश (अमेरिका, रूस) तेजी से प्रतिक्रिया देते हैं, जबकि "नो फर्स्ट यूज" नीति वाले देश (भारत, चीन) सतर्कता बरतते हैं।

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भारत और पाकिस्तान को कितना टाइम लगेगा 

भारत और पाकिस्तान, जो एक-दूसरे के निकटतम भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं, दोनों की परमाणु रणनीतियां रक्षात्मक हैं. भारत की "नो फर्स्ट यूज" नीति और पाकिस्तान की त्वरित प्रतिक्रिया रणनीति के कारण, दोनों देशों में हथियार तैनात स्थिति में नहीं रहते.

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एक्टिव करने में लगने वाला समय (30 मिनट से कुछ घंटे) क्षेत्रीय तनाव को कम करने में मदद करता है, क्योंकि यह त्वरित निर्णय लेने की संभावना को कम करता है. दोनों देशों की बढ़ती मिसाइल क्षमता (जैसे भारत की अग्नि-V और पाकिस्तान की शाहीन-III) भविष्य में एक्टिव समय को कम कर सकती है.

जोखिम और चुनौतियां

  • गलत फैसले: त्वरित सक्रियण प्रणालियां (जैसे अमेरिका और रूस) गलत खुफिया जानकारी के आधार पर हमले का जोखिम बढ़ाती हैं.
  • साइबर हमले: कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम पर साइबर हमले लॉन्च एक्टिव करने की प्रक्रिया को बाधित या तेज कर सकते हैं.
  • प्रसार: ईरान जैसे देशों की बढ़ती क्षमता वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा है.

नोट: यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है. परमाणु हथियारों के उपयोग को प्रोत्साहित नहीं करती. परमाणु हथियारों का उपयोग मानवता के लिए विनाशकारी होगा. 

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