भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग की जड़ें बहुत गहरी हैं. सोवियत युग से चली आ रही यह दोस्ती आज भी मजबूत है, जहां रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार बना हुआ है. ब्रह्मोस मिसाइल, मिग फाइटर, सुखोई जेट और S-400 एयर डिफेंस सिस्टम जैसे हथियारों के जरिए दोनों देशों की साझेदारी न केवल हथियारों की खरीद तक सीमित है, बल्कि संयुक्त उत्पादन, तकनीक हस्तांतरण और रणनीतिक साझेदारी तक फैली हुई है. 2025 तक भारत ने रूस से $60 बिलियन से ज्यादा का रक्षा सामान खरीदा है, जो कुल आयात का 60% है.
भारत-रूस रक्षा संबंधों की शुरुआत: सोवियत युग से गहरी दोस्ती
भारत और रूस (तब सोवियत संघ) के बीच रक्षा सहयोग 1950 के दशक से शुरू हुआ. 1962 के चीन युद्ध के बाद भारत ने पश्चिमी देशों से दूरी बनाई. सोवियत संघ भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर बन गया. 1971 के भारत-पाक युद्ध में सोवियत संघ ने भारत का साथ दिया. UN में वीटो का इस्तेमाल किया. 1990 के दशक में सोवियत संघ के विघटन के बाद भी रिश्ता मजबूत रहा.
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मील के पत्थर
आज रूस भारत को 60% हथियार सप्लाई करता है. 2024-25 में रक्षा निर्यात में रूस तीसरा सबसे बड़ा साझेदार है. दोनों देश IRIGC (इंडो-रशियन इंटर-गवर्नमेंटल कमीशन) के जरिए सालाना बैठकें करते हैं.
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ब्रह्मोस: भारत-रूस की संयुक्त ताकत का प्रतीक
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारत-रूस की सबसे सफल साझेदारी है. 1998 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट भारत के DRDO और रूस के NPO Mashinostroyeniya के बीच है.

यह मिसाइल दोनों देशों की दोस्ती की मिसाल है, जो 25 साल से चल रही है.
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मिग और सुखोई: वायुसेना की रीढ़
रूस ने भारत को हवाई शक्ति दी है. MiG (मिकोयान-गुरेविच) और Sukhoi (सुखोई) जेट्स भारतीय वायुसेना के मुख्य हथियार हैं.

ये जेट्स भारत की हवाई सीमा की रक्षा करते हैं. रूस से रखरखाव का लंबा करार है.
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S-400: एयर डिफेंस में मजबूत साझेदारी
S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम रूस की सबसे उन्नत तकनीक है, जो भारत ने 2018 में $5.4 बिलियन में खरीदा.

यह डील दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी दिखाती है, भले ही अमेरिका दबाव डाले.
अन्य सहयोग: AK-203, T-90, नौसेना और अंतरिक्ष

2024 में $65 बिलियन का रक्षा व्यापार. रूस भारत को 70% ऊर्जा भी देता है.
रूस-युक्रेन युद्ध से डिलीवरी में देरी (S-400 का एक स्क्वाड्रन लेट). भारत अब फ्रांस (राफेल), अमेरिका (अपाचे) और इजरायल से खरीद रहा. लेकिन रूस अभी भी नंबर 1 है. 2025 में दोनों देशों ने रक्षा सहयोग बढ़ाने का वादा किया.