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किराना हिल्स भूल गए क्या मुनीर? क्यों परमाणु हमले की पाकिस्तानी धमकी में दम नहीं, दोनों की न्यूक क्षमता जानिए

असिम मुनीर कहा कि पाकिस्तान का अस्तित्व खतरे में पड़ा तो वह परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेगा. दुनिया का आधा हिस्सा ले जाना तबाह कर देगा. लेकिन इसकी हकीकत में कमजोरी छिपी है. भारत की मजबूत परमाणु और सैन्य ताकत, साथ में अंतरराष्ट्रीय समर्थन, इसे पाकिस्तान से आगे रखता है. करगिल और हालिया ऑपरेशन सिंदूर ने साबित किया है कि भारत हर चुनौती का जवाब देने में सक्षम है.

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पाकिस्तान के सेना प्रमुख असिम मुनीर ने परमाणु हमले की धमकी दी है. (File Photo: AFP)
पाकिस्तान के सेना प्रमुख असिम मुनीर ने परमाणु हमले की धमकी दी है. (File Photo: AFP)

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असिम मुनीर ने एक बड़े बयान से सनसनी फैला दी है. उन्होंने अमेरिका में एक कार्यक्रम में कहा कि अगर भविष्य में भारत के साथ युद्ध में पाकिस्तान का वजूद खतरे में पड़ेगा, तो वे परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेंगे और दुनिया का आधा हिस्सा साथ ले जाएंगे. लेकिन क्या यह धमकी वाकई कितनी गंभीर है?

क्या यह सिर्फ बयानबाजी है? आइए, समझते हैं कि इस धमकी के पीछे क्या है? भारत-पाक की परमाणु ताकत की तुलना क्या है?

मुनीर का परमाणु धमकी

असिम मुनीर ने एक कार्यक्रम में यह बयान दिया, जहां उन्होंने भारत के खिलाफ परमाणु युद्ध की बात कही. उनका कहना था कि अगर पाकिस्तान को कोई "अस्तित्व का खतरा" (existential threat) हुआ, तो वे पीछे नहीं हटेंगे और आधा विश्व तबाह कर देंगे.

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Asim Munier Nuclear Threat

यह बयान तब आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पहले से ही ऑपरेशन सिंदूर जैसे हालिया घटनाक्रमों से बढ़ा हुआ है. एक मीडिया संस्थान के अनुसार, यह पहली बार है जब किसी देश ने अमेरिकी धरती से तीसरे देश (भारत) के खिलाफ परमाणु धमकी दी हो, जो इसे और गंभीर बनाता है. 

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करगिल की याद

इस बयान पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या मुनीर ने करगिल युद्ध (1999) की याद भूल गए हैं? उस समय भी भारत और पाकिस्तान के बीच जंग हुई थी, लेकिन भारत ने अपनी सैन्य ताकत और रणनीति से बाजी मारी थी. करगिल में पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ था. उसने परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं किया था, भले ही उसने धमकियां दी थीं. कई विशेषज्ञों का मानना है कि आज भी पाकिस्तान की परमाणु धमकी ज्यादा बयानबाजी है, क्योंकि वास्तव में युद्ध के हालात में इसे लागू करना मुश्किल होगा.

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भारत और पाकिस्तान की परमाणु ताकत

दोनों देशों की परमाणु क्षमता की तुलना करने से साफ होता है कि भारत के पास ज्यादा मजबूत स्थिति है...

Asim Munier Nuclear Threat

भारत की ताकत: भारत के पास करीब 180 परमाणु हथियार हैं. यह संख्या बढ़ रही है. भारत के पास लंबी दूरी की मिसाइलें (जैसे अग्नि-5, जो 5000 किलोमीटर तक मार कर सकती है) और पनडुब्बी-लॉन्च्ड मिसाइलें हैं. भारत का परमाणु कार्यक्रम आत्मनिर्भर है. यह "नो फर्स्ट यूज" (पहले इस्तेमाल न करने) की नीति पर चलता है, यानी सिर्फ जवाबी कार्रवाई में ही हथियार का इस्तेमाल करेगा.

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पाकिस्तान का दम: पाकिस्तान के पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं. लेकिन इनकी रेंज और तकनीक भारत से कमजोर है. पाकिस्तान की मिसाइलें (जैसे शाहीन-III) 2750 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं. उसका जोर "फर्स्ट यूज" पर है यानी वह पहले हमला करने की धमकी देता है. लेकिन इसके लिए जरूरी बुनियादी ढांचा और नियंत्रण भारत जितना मजबूत नहीं है.

हालांकि  पाकिस्तान की धमकियां बहुत आती हैं लेकिन भारत की रक्षा प्रणाली (जैसे S-400) और सटीक हमले की क्षमता इसे बेहतर बनाती है. साथ ही, भारत के पास आर्थिक और तकनीकी ताकत है, जो लंबे युद्ध में उसे फायदा दे सकती है.

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धमकी में दम क्यों नहीं?

कई कारणों से माना जा रहा है कि मुनीर की धमकी में वजन नहीं है...

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  • अंतरराष्ट्रीय दबाव: अगर पाकिस्तान परमाणु हथियार का इस्तेमाल करता है, तो अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश हस्तक्षेप करेंगे. इससे पाकिस्तान को भारी नुकसान हो सकता है.
  • आत्म-विनाश का खतरा: "आधा विश्व ले जाना" का दावा हकीकत में मुमकिन नहीं, क्योंकि परमाणु युद्ध में सबसे ज्यादा नुकसान खुद पाकिस्तान को होगा. उसकी छोटी सी जमीन और आबादी इसे और खतरनाक बनाएगी.
  • रणनीतिक कमजोरी: ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने अपनी सैन्य ताकत दिखाई है. पाकिस्तान की हवाई और जमीनी ताकत कमजोर पड़ रही है, जिससे परमाणु धमकी उसकी मजबूरी दिखती है, न कि ताकत.

क्या है असली मकसद?

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विशेषज्ञों का मानना है कि मुनीर का यह बयान भारत को डराने और अंतरराष्ट्रीय मंच पर ध्यान खींचने की कोशिश हो सकती है. अमेरिका में यह बयान देकर वे शायद अपनी सेना की कमजोरियों को छुपाना चाहते हैं और भारत पर दबाव बनाना चाहते हैं. लेकिन भारत ने पहले भी ऐसी धमकियों का जवाब सैन्य कार्रवाई से दिया है, जैसे कि बालाकोट और ऑपरेशन सिंदूर.

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