भारत और रूस ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल को मंजूरी देने के करीब हैं. यह अगली पीढ़ी की मिसाइल है, जो रूसी प्रोपल्शन (इंजन तकनीक) और भारतीय सेंसर व इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW)-रोधी एवियोनिक्स (उड़ान नियंत्रण सिस्टम) का मिश्रण है. इसकी रेंज 1500 किलोमीटर है और यह जमीन, समुद्र व पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकती है. लेकिन यह क्या है? कैसे काम करती है? इसके स्पेसिफिकेशन्स क्या हैं? और सबसे महत्वपूर्ण – यह चीन और पाकिस्तान के कितने इलाके को कवर करेगी?
ब्रह्मोस-2 ब्रह्मोस का एडवांस वर्जन है, जो भारत-रूस का संयुक्त प्रोजेक्ट है. ब्रह्मोस-1 सुपरसोनिक (ध्वनि से तेज) मिसाइल है, लेकिन ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक (ध्वनि से 5 गुना तेज) होगी. "हाइपरसोनिक" का मतलब है कि यह इतनी तेज उड़ेगी कि दुश्मन के रडार या मिसाइल डिफेंस सिस्टम इसे रोक ही नहीं पाएंगे.
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यह मिसाइल दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों – जैसे एयरबेस, बंदरगाह, कमांड सेंटर – पर सटीक हमला कर सकती है. रूस का इंजन इसे अनोखी स्पीड देगा, जबकि भारत के सेंसर (सीकर) लक्ष्य को बिल्कुल सही ढूंढेंगे. EW-रोधी एवियोनिक्स से यह दुश्मन की जैमिंग (सिग्नल बाधा) से बच जाएगी. 2031 तक इसे सेना में शामिल करने का लक्ष्य है.
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ब्रह्मोस-2 की 1500 किमी रेंज भारत के लिए गेम-चेंजर है. भारत के लॉन्च साइट्स (जैसे राजस्थान, असम, अंडमान द्वीप) से यह पड़ोसी देशों के बड़े हिस्से को निशाना बना सकती है.

कितना इलाका? पूरा पाकिस्तान. पाकिस्तान का कुल क्षेत्रफल 7.96 लाख वर्ग किमी है. इसकी सबसे लंबाई-चौड़ाई भी 1,500 किमी से कम है. राजस्थान या गुजरात के लॉन्च साइट से यह कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, रावलपिंडी (न्यूक्लियर साइट) सब कवर कर लेगी.
उदाहरण: अमृतसर से इस्लामाबाद सिर्फ 500 किमी. 4-5 मिनट में पहुंचेगी. इससे पाकिस्तान का हर कोना भारत के रडार पर होगा – कोई छिपा नहीं पाएगा.
रणनीतिक महत्व: पहले ब्रह्मोस (800 किमी) भी पूरा पाक कवर करती थी, लेकिन 1500 किमी से गहराई बढ़ेगी, जैसे अफगानिस्तान बॉर्डर तक.
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कितना इलाका? चीन का पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सा – लगभग 20-25% क्षेत्र (करीब 20 लाख वर्ग किमी). यह तिब्बत, शिनजियांग, युन्नान, सिचुआन, चुनिंग जैसे प्रांतों को कवर करेगा. कुल चीन 96 लाख वर्ग किमी है, लेकिन सीमा से 1500 किमी दूर तक के इलाके प्रभावित होंगे.
रणनीतिक महत्व: लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव में यह चीन के सैन्य ठिकानों (जैसे एयरफील्ड, मिसाइल साइट्स) को निशाना बानाएगा. अंडमान से साउथ चाइना सी के द्वीप भी कवर.

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यह मिसाइल भारत की नो फर्स्ट यूज नीति को मजबूत करेगी. चीन-पाक के मिसाइल डिफेंस को चकमा देगी. बहु-मंच लॉन्च से लचीलापन मिलेगा. दुनिया में अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत चौथा देश होगा, जिसके पास हाइपरसोनिक मिसाइल होगी.