रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 29 अक्टूबर को एक बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि रूस ने पोसाइडन नाम का एक न्यूक्लियर-पावर्ड विशालकाय टॉरपीडो का सफल परीक्षण किया है. यह पानी के अंदर चलने वाली मिसाइल है. पुतिन ने इसे 'दुनिया में बेजोड़' बताया और कहा कि यह सरमत आईसीबीएम से भी ज्यादा ताकतवर है.
यह हथियार एक परमाणु वारहेड ले जा सकता है.इसे 'कयामत का टॉरपीडो' कहा जाता है. लेकिन आखिर यह क्या है? इसकी पूरी स्पेसिफिकेशन क्या है? कौन-कौन से देश इसके रेंज में आते हैं? यह कितना खतरनाक है? आइए, समझते हैं.
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पोसाइडन को पहले स्टेटस-6 या कैनियन कहा जाता था. यह रूस का पानी के नीचे चलने खुद चलने वाला एक तरह का वाहन है. यह एक तरह का ड्रोन है जो समुद्र में लंबी दूरी तय कर सकता है. यह पनडुब्बी से लॉन्च होता है. न्यूक्लियर इंजन से चलता है. अगर यह भारत के पास होता और इसका उपयोग पाकिस्तान के खिलाफ किया जाता तो पूरा कराची बंदरगाह और शहर साफ हो जाता है.
इसका मकसद दुश्मन के तटीय इलाकों पर हमला करना है. रूस इसे अमेरिका जैसे देशों की मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देने के लिए बनाया है. यह हथियार 2015 से डेवलप हो रहा है. पुतिन ने कहा कि इसका सफल परीक्षण बड़ी सफलता है. इससे पहले, रूस ने बुरेवेस्तनिक मिसाइल का भी परीक्षण किया था. ये दोनों हथियार रूस की न्यूक्लियर ताकत को दिखाने के लिए हैं.
पोजीडन कोई साधारण टॉरपीडो नहीं है. यह बहुत बड़ा और एडवांस्ड है. यहां इसकी मुख्य विशेषताएं ...
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यह सब मिलाकर, पोसाइडन एक 'सुपर टॉरपीडो' है जो पारंपरिक हथियारों से कहीं आगे है.

पोसाइडन की सबसे डरावनी बात इसकी रेंज है. यह इंटरकॉन्टिनेंटल है यानी महाद्वीपों के बीच की दूरी तय कर सकता है. रूस की पनडुब्बी से लॉन्च होने पर यह...
कुल मिलाकर, दुनिया के 80% तटीय शहर इसके रेंज में आते हैं. यह आर्कटिक सागर से लॉन्च होकर प्रशांत महासागर तक पहुंच सकता है. रूस के पास 30 ऐसे हथियार बनाने की योजना है.

यह हथियार इतना खतरनाक है कि इसे 'डूम्सडे वेपन' कहा जाता है...
विशेषज्ञ कहते हैं कि यह हथियार युद्ध को और डरावना बना देगा. अमेरिका और नाटो इसे रोकने के लिए नई तकनीकें बना रहे हैं, लेकिन अभी यह रूस का सबसे बड़ा हथियार है. पुतिन का यह ऐलान यूक्रेन युद्ध के बीच आया है, जो दुनिया को चेतावनी है. लेकिन सवाल यह है – क्या ऐसे हथियार शांति लाएंगे या बर्बादी? पोसाइडन जैसी तकनीक दिखाती है कि न्यूक्लियर हथियार अब और घातक हो गए हैं.