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BGL लॉन्चर, AK-47 जैसे 153 हथियारों के साथ दंडकारण्य के 210 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य के 210 नक्सली 153 हथियारों (19 AK-47, 23 INSAS राइफल आदि) के साथ आत्मसमर्पण कर दिया. अबूझमाड़ नक्सल मुक्त हो गया. उत्तर बस्तर से लाल आतंक समाप्त. दक्षिण बस्तर भी जल्दी हो जाएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने इसे ऐतिहासिक बताया है. सरेंडर पॉलिसी से शांति का नया दौर आ रहा है.

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आत्मसमर्पण करने वाले 208 नक्सली और उनके हथियार. (Screenshot: X/ANI)
आत्मसमर्पण करने वाले 208 नक्सली और उनके हथियार. (Screenshot: X/ANI)

छत्तीसगढ़ में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव हो रहा है. आज 17 अक्टूबर 2025 को दंडकारण्य क्षेत्र में 210 नक्सली अपने हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण कर चुके हैं. उनके पास कुल 153 हथियार थे, जिन्हें वे सरेंडर कर चुके हैं. इसके बाद इन्हें नई जिंदगी शुरू करने में मदद की जाएगी. इस आत्मसमर्पण से अबूझमाड़ क्षेत्र लगभग पूरी तरह नक्सल मुक्त हो जाएगा. उत्तर बस्तर से लाल आतंक खत्म हो जाएगा. अब सिर्फ दक्षिण बस्तर में कुछ समस्या बची है.

आत्मसमर्पण की बड़ी खबर 

छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार की मेहनत रंग ला रही है. पिछले दो दिनों में कुल 258 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं. इसमें छत्तीसगढ़ से 197 और महाराष्ट्र से 61 शामिल हैं. आज का यह सरेंडर दंडकारण्य का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण है. इन नक्सलियों में कई बड़े कमांडर भी हैं. वे जंगलों से निकलकर मुख्यधारा में लौट रहे हैं.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने कहा कि अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर अब नक्सल मुक्त हैं. सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद को खत्म करना है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई ने भी कहा कि यह शांति और विकास का नया दौर है. नक्सलवाद हर मोर्चे पर हार रहा है.

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हथियारों का खजाना: क्या-क्या सरेंडर हुआ?

नक्सली संगठन के पास कई घातक हथियार थे. आत्मसमर्पण के समय इन्होंने कुल 153 हथियार जमा कराए. ये हथियार आधुनिक और पुराने दोनों तरह के हैं.

  1. AK-47 राइफलः 19
  2. SLR राइफल: 17
  3. INSAS राइफल: 23
  4. INSAS LMG: 01
  5. .303 राइफल: 36
  6. कार्बाइन: 04
  7. BGL लॉन्चर: 11
  8. 12 बोर/सिंगल शॉट: 41
  9. पिस्टल: 01

ये हथियार नक्सलियों की ताकत थे, लेकिन अब ये सरकारी हिरासत में हैं. AK-47 और INSAS जैसे हथियार सबसे खतरनाक माने जाते हैं. इनके सरेंडर से सुरक्षा बलों को बड़ी राहत मिली है.

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अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर: नक्सलवाद का अंत?

अबूझमाड़ छत्तीसगढ़ का घना जंगल क्षेत्र है, जहां नक्सली सालों से छिपे रहते थे. यह भारत का आखिरी बड़ा नक्सल गढ़ था. आज के सरेंडर से यह क्षेत्र लगभग नक्सल मुक्त हो गया. उत्तर बस्तर भी अब शांत है. यहां विकास कार्य तेज होंगे – सड़कें, स्कूल, अस्पताल बनेंगे. लोग बिना डर के रह सकेंगे. 

पहले नक्सली हमले, बम विस्फोट और हिंसा से क्षेत्र डरता था. लेकिन सरकार की सख्त कार्रवाई और सरेंडर पॉलिसी से हालात बदल गए. अब सिर्फ दक्षिण बस्तर में कुछ नक्सली बचे हैं. वहां भी जल्द समाप्ति की उम्मीद है.

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नई जिंदगी की शुरुआत

सरेंडर करने वाले नक्सलियों को सिर्फ माफी नहीं मिलेगी. उन्हें नई जिंदगी दी जाएगी. सरकार का पुनर्वास कार्यक्रम है... 

  • आर्थिक मदद: नौकरी या खुद का धंधा शुरू करने के लिए पैसे.
  • प्रशिक्षण: स्किल सीखना, जैसे खेती या छोटा कारोबार.
  • सुरक्षा: परिवार को खतरे से बचाना.
  • शिक्षा: बच्चों को स्कूल भेजना.

कई नक्सली पहले भी सरेंडर कर चुके हैं. अब खुशहाल जीवन जी रहे हैं. यह कार्यक्रम नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने का हथियार है.

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