भारत की वायु सेना को मजबूत बनाने के लिए एक बड़ा बदलाव हो रहा है. नासिक शहर की वह बड़ी फैक्ट्री, जो पहले रूसी लड़ाकू विमानों को जोड़ने का काम करती थी, अब भारत के अपने बनाए विमानों पर ध्यान दे रही है. यह फैक्ट्री लगभग 1000 रूसी विमान बना चुकी है. अब यह तेजस लड़ाकू विमान और एचटीटी-40 ट्रेनर विमान बनाने में जुटी है. वहां से पहली बार स्वदेशी तेजस एलसीए एमके1ए विमान की उड़ान दिखेगी.
नासिक की यह फैक्ट्री भारत का सबसे बड़ा लड़ाकू विमान बनाने वाला केंद्र है. यह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का हिस्सा है. पहले यह फैक्ट्री सोवियत यूनियन (अब रूस) के डिजाइन वाले विमानों को जोड़ती थी. यहां से निकले विमान भारतीय हवाई सेना की ताकत बने.
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ये विमान भारत को विदेश से मिले थे, लेकिन यहां जोड़कर तैयार किए जाते थे. इससे भारत की हवाई सेना मजबूत हुई, लेकिन अब समय बदल गया है. भारत अब खुद के विमान बना चुका है.
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अब नासिक की फैक्ट्री को नया रूप दिया गया है. पुराने हैंगर (बड़े गोदाम जैसे कमरे) को साफ-सुथरा और आधुनिक बनाया गया. पुराने उपकरण हटा दिए गए. अब नए जिग्स, फिक्सचर और टूल्स लगाए गए हैं, जो भारतीय डिजाइन वाले विमानों के लिए हैं.

फैक्ट्री के अधिकारी कहते हैं कि नई लाइन पूरी तरह तैयार है. इसमें 30 से ज्यादा जिग्स हैं, जो विमान के मुख्य हिस्सों जैसे सेंटर फ्यूजलेज, फ्रंट फ्यूजलेज, रियर फ्यूजलेज, विंग्स और एयर इंटेक को जोड़ने के लिए हैं.
भारत को हर साल ज्यादा विमान चाहिए. पुराने विमान जैसे मिग-21 को रिटायर कर दिया गया है. वायु सेना को 30-40 नए विमान सालाना चाहिए.
यह क्षमता बढ़ाई जा सकती है. भारत अब विदेश पर कम निर्भर होगा.

नासिक की फैक्ट्री अब भारत की शान है. पहले रूसी जेट्स, अब स्वदेशी तेजस. यह बदलाव दिखाता है कि भारत अब खुद मजबूत हो रहा है. हवाई सेना को नई ताकत मिलेगी. आने वाले दिनों में और तेजी से उत्पादन होगा.