रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की शुरुआत कई दशक पहले हो गई थी, लेकिन पिछले 11 सालों में इसने अभूतपूर्व गति पकड़ी है. आज भारत दुनिया में अपनी रक्षा क्षमताओं के मामले में कई एलीट ग्रुप्स का सदस्य बन गया है. भारत न केवल अपनी सेना को स्वदेशी सैन्य उपकरणों से मजबूत कर रहा है. बल्कि इन्हें दुनिया भर के देशों को बेच भी रहा है. भारत की रफ्तार इतनी तेज हो गई है कि सभी पुराने रिकॉर्ड टूट गए हैं.
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रक्षा निर्यात की वृद्धि
स्वदेशी उत्पादन
भारत अब अपनी जरूरतें स्वदेशी हथियारों से पूरी कर रहा है. रक्षा मंत्रालय ने पॉजिटिव इंडिजिनाइजेशन लिस्ट के तहत सैकड़ों तरह के हथियार, उपकरण और स्पेयर पार्ट्स के आयात पर रोक लगा दी है. आज भारत हथियारों को विदेश से खरीदने की जगह, उन्हें दुनिया को बेच रहा है.
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डीपीएसयू और प्राइवेट कंपनियां
2024-25 में निर्यात: कुल निर्यात में से डीपीएसयू (डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग) ने 8,389 करोड़ रुपये का निर्यात किया, जबकि प्राइवेट कंपनियों ने 15,233 करोड़ रुपये कमाए.
पिछले साल की तुलना में: 2023-24 में डीपीएसयू का निर्यात 5,874 करोड़ रुपये और प्राइवेट कंपनियों का 15,209 करोड़ रुपये था. डीपीएसयू का निर्यात 42.85 प्रतिशत बढ़ा है.
उत्पादन वृद्धि: पिछले 10 सालों में रक्षा उत्पादन 174 प्रतिशत बढ़ा है. 2014-15 में यह 46,429 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में 1,27,265 करोड़ रुपये हो गया. 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है.
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वैश्विक बाजार
11 साल की आत्मनिर्भरता की यात्रा में भारत ने रक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है. अब भारत न केवल अपनी सेना को मजबूत कर रहा है, बल्कि दुनिया को हथियार बेचकर अपनी वैश्विक उपस्थिति भी बढ़ा रहा है. 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये के निर्यात और 3 लाख करोड़ रुपये के उत्पादन का लक्ष्य भारत को शक्ति बनाएगा.