रक्षा मंत्रालय 30,000 करोड़ रुपये के QRSAM (क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल) प्रोजेक्ट पर चर्चा करने वाला है. यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान सीमा पर भारतीय वायु रक्षा को मजबूत करेगा. इसके तीन रेजिमेंट शामिल करने की बात हो रही है. आइए समझते हैं कि यह प्रोजेक्ट क्यों महत्वपूर्ण है?
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प्रोजेक्ट की जानकारी
QRSAM की विशेषताएं
QRSAM एक स्वदेशी मिसाइल सिस्टम है, जिसे दिन और रात दोनों स्थितियों में टेस्ट किया गया है. इसकी रेंज 30 किलोमीटर है. यह मौजूदा सिस्टम्स जैसे MRSAM और आकाश को कॉम्प्लिमेंट करेगा. यह मिसाइल दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को निशाना बनाने में सक्षम है.
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पाकिस्तान के खिलाफ सफलता
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना की वायु रक्षा इकाइयों ने पाकिस्तान के ड्रोन को L-70 और Zu-23 एयर डिफेंस गनों से नष्ट किया, जबकि आकाश और MRSAM ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साथ ही, भारतीय वायु सेना के स्पाइडर और S-400 सिस्टम्स ने भी मदद की. पाकिस्तान ने चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया था, लेकिन भारतीय सिस्टम्स ने उन्हें रोक लिया.
नई टेक्नोलॉजी
आर्मी एयर डिफेंस को नए रडार, वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम्स, जैमर्स और लेजर-बेस्ड सिस्टम्स मिल रहे हैं, जो पाकिस्तान को मिले तुर्की और चीनी मूल के ड्रोन से निपटने में मदद करेंगे. यह प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को मजबूत करेगा. स्वदेशी मिसाइल सिस्टम्स से हमारी निर्भरता विदेशी हथियारों पर कम होगी. हमारी सीमाओं की सुरक्षा बढ़ेगी.
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QRSAM की ताकत
QRSAM ऐसी मिसाइल है जो दुश्मन की तरफ करीब 6000 km/hr की गति से बढ़ती है. टारगेट लॉक करो और दाग दो. उसके बाद भूल जाओ. ये अपना काम पूरा करके ही शांत होता है. आप इस मिसाइल को दागने के बाद भूल जाइए. यह अपने टारगेट का पीछा करके मारता है.
QRSAM के ऊपर HMX/TNT या प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया जा सकता है. वॉरहेड का वजन 32 kg होता है. मिसाइल की रेंज 3 से 30 km है. यह 98 फीट ऊंचाई से लेकर 33 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकती है. इसकी अधिकतम गति 6000 km/hr है. इसे छह ट्यूब वाले लॉन्चर ट्रक से दागा जा सकता है.