एससी/एसटी कानून के तहत बाड़मेर के पत्रकार को पटना की एक अदालत ने जेल भेज दिया. इस मामले में शिकायकर्ता का कहना है कि उसने कोई केस दर्ज नहीं करवाया है लेकिन पटना की अदालत गिरफ्तारी का वारंट जारी किया और पुलिस ने पत्रकार को गिरफ्तार कर 4 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
राजस्थान के बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित पिछले 18 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं. उनका कहना है कि वो कभी बिहार नहीं गए तो फिर कैसे उनके खिलाफ अनसूचित जाति जनजाति कानून के तहत केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया. माना जा रहा है कि इस मामले में उन्हें किसी राजनीतिक साजिश के तहत शिकार बनाया गया है जिसका खुलासा होना अभी बाकी है.
दुर्ग सिंह को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर पटना पुलिस को सौंप दिया था. मंगलवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया जहां उन्हें जेल भेज दिया गया. दुर्ग सिंह ने कहा कि उन्हें इस मामले के बारे में कुछ नहीं पता, उन्हें जब राजस्थान पुलिस पटना लेकर आई तब उन्हें पता चला कि किसी शख्स ने उनके खिलाफ एससी/एसटी का केस कराया है. जिसमें कहा गया कि 'मैं (दुर्ग सिंह) गिट्टी बालू का काम करता हूं जबकि मैं तो पिछले 18 वर्षों से पत्रकारिता के काम में हूं और इसके अलावा मैंने कुछ नहीं किया. मुझे राजनैतिक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है.'

दुर्ग सिंह के खिलाफ 31 मई को केस दर्ज करवाया गया, जिसे नालंदा के राकेश पासवान नाम के व्यक्ति ने दर्ज करवाया है. इसमें दुर्ग सिंह पर आरोप लगाया गया है कि वो उसे (राकेश पासवान को 6 महीने पहले मजदूरी के लिए बाड़मेर ले गया था, वहां उससे पत्थर का खनन करवाया लेकिन पैसे नहीं दिए. अप्रैल के पहले हफ्ते में पिता की तबीयत खराब हुई तो घर वापस लौटा. 15 अप्रैल को दुर्ग सिंह पटना आया और राकेश को बाड़मेर चलने के लिए कहा लेकिन उसने ऐसा करने से इंकार कर दिया. इसके बाद दुर्ग उसे धमकाने लगा और 7 मई को चार लोगों के साथ दीघा पटना पहुंचकर सड़क पर राकेश को गालियां दी और जूते से पिटाई की.
2 जून को राकेश का कोर्ट में बयान दर्ज हुआ, जिसके बाद कोर्ट ने 9 जुलाई को दुर्ग सिंह की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया. बता दें कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान फरियादी मौजूद नहीं था.
राजस्थान से अपने बेटे के साथ आये दुर्ग सिंह के पिता गुमान सिंह राजपुरोहित का कहना है कि दुर्ग कभी बिहार गए ही नहीं तो फिर वो पटना आकर किसी के साथ मारपीट कैसे कर सकते हैं. इस पूरे मामले में दुर्ग सिंह के वकील का कहना है कि एससी/एसटी कानून का गलत फायदा उठाया जा रहा है. इस मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी.