महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने 17 साल पुराने हाईवे डकैती और डकैती के मामले में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत आरोपी बनाए गए एक शख्स को सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया.
ठाणे में अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश ए एन सिरसीकर ने शोभन उर्फ गांडो हिमला मचर को भारतीय दंड संहिता और मकोका के संबंधित प्रावधानों के तहत आरोपों से बरी कर दिया. 29 अप्रैल को जारी आदेश की एक प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई.
पीटीआई के मुताबिक, आरोपी शोभन उर्फ गांडो हिमला मचर को 2008 में मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग पर 9 दिसंबर, 2007 को हुई डकैती के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें वाहनों को रोका गया था और उसमें सवार लोगों से 3 लाख रुपये से अधिक मूल्य के कीमती सामान लूट लिए गए थे.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, युवा कांग्रेस के तीन नेता एक सार्वजनिक बैठक के लिए सूरत जा रहे थे, तभी डकैतों के एक गिरोह ने राजमार्ग पर उनके वाहन को रोक लिया और उन पर हमला कर लूटपाट की. न्यायाधीश सिरसीकर ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को अपर्याप्त पाया और गवाहों द्वारा अभियुक्तों की पहचान करने में असमर्थता पर ध्यान दिया.
अदालत ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किए गए इकबालिया बयान की स्वीकार्यता पर भी सवाल उठाया. न्यायाधीश सिरसीकर ने प्रक्रियागत उल्लंघन की ओर इशारा करते हुए कहा कि सह-अभियुक्त का इकबालिया बयान दर्ज करने वाले अधिकारी ने स्वीकार किया कि जांच में शामिल पुलिस स्टेशन उसके नियंत्रण में थे.
न्यायाधीश ने फैसला सुनाया, 'एमसीओसी नियमों के नियम-3(2) का स्पष्ट उल्लंघन है, जो जांच अधिकारियों को इकबालिया बयान दर्ज करने के दौरान मौजूद रहने से रोकता है.'
मचर के कथित इकबालिया बयान के बारे में न्यायाधीश ने कहा, 'अभियोजन पक्ष ने पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किए गए वर्तमान अभियुक्त के इकबालिया बयान को साबित नहीं किया है. इसके अलावा, कुछ अन्य सबूत भी होने चाहिए. अपराध सिद्ध करने के लिए केवल स्वीकारोक्ति ही पर्याप्त नहीं है.'
अदालत ने शोभन उर्फ गांडो हिमला माचर को बरी कर दिया और तीन फरार सह-आरोपियों को भी बरी कर दिया.