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CrPC Section 126: भरण पोषण के मुकदमे से संबंधित है सीआरपीसी की धारा 126

CrPC की धारा 126 (Section 126) में बताया गया है कि भरणपोषण का मुकदमा उस स्थान पर दाखिल नहीं किया जा सकता जहां फ्लाइंग विजिट किए जाते हैं. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 126 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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भरणपोषण के मुकदमे से जुड़ी है ये धारा
भरणपोषण के मुकदमे से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भरणपोषण के मुकदमे से जुड़ी है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में परिवार संबंधी कई कानूनी प्रावधान मौजूद हैं. जिनका उपयोग न्यायलयों में ज़रूरत के हिसाब से किया जाता है. ऐसे ही CrPC की धारा 126 (Section 126) में बताया गया है कि भरणपोषण का मुकदमा उस स्थान पर दाखिल नहीं किया जा सकता जहां फ्लाइंग विजिट किए जाते हैं. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 126 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

सीआरपीसी की धारा 126 (CrPC Section 126)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 126 (Section 126) में बताया गया है कि भरणपोषण का मुकदमा उस स्थान पर दाखिल नहीं किया जा सकता जहां फ्लाइंग विजिट किए जाते हैं. CrPC की धारा 126 के अनुसार प्रक्रिया निम्न है-

(1) किसी व्यक्ति के विरुद्ध धारा 125 के अधीन कार्यवाही किसी ऐसे जिले में की जा सकती है (क) जहां वह है, अथवा (ख) जहां वह या उसकी पत्नी निवास करती है, अथवा (ग) जहां उसने अंतिम बार, यथास्थिति, अपनी पत्नी के साथ या अधर्मज संतान की माता के साथ निवास किया है.

(2) ऐसी कार्यवाही में सब साक्ष्य, ऐसे व्यक्ति की उपस्थिति में, जिसके विरुद्ध भरणपोषण के लिए संदाय का आदेश देने की प्रस्थापना है, अथवा जब उसकी वैयक्तिक हाजिरी से अभियुक्ति दे दी गई है तब उसके प्लीडर की उपस्थिति में लिया जाएगा और उस रीति से अभिलिखित किया जाएगा जो समन-मामलों के लिए विहित है:

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परंतु यदि मजिस्ट्रेट का समाधान हो जाए कि ऐसा व्यक्ति जिसके विरुद्ध भरणपोषण के लिए संदाय का आदेश देने की प्रस्थापना है, तामील से जानबूझकर बच रहा है अथवा न्यायालय में हाजिर होने में जानबूझकर उपेक्षा कर रहा है तो मजिस्ट्रेट मामले को एकपक्षीय रूप में सुनने और अवधारण करने के लिए अग्रसर हो सकता है और ऐसे दिया गया कोई आदेश उसकी तारीख से तीन मास के अंदर किए गए आवेदन पर दर्शित अच्छे कारण से ऐसे निबंधनों के अधीन जिनके अंतर्गत विरोधी पक्षकार को खर्चे के संदाय के बारे में ऐसे निबंधन भी हैं जो मजिस्ट्रेट न्यायोचित और उचित समझें, अपास्त किया जा सकता है.

(3) धारा 125 के अधीन आवेदनों पर कार्यवाही करने में न्यायालय को शक्ति होगी कि वह खर्चों के बारे में ऐसा आदेश दे जो न्यायसंगत है.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 125: पत्नी, संतान और माता-पिता के भरणपोषण से जुड़ी है सीआरपीसी की धारा 125 

क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

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1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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