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नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव को 'सुप्रीम' राहत, 4 हफ्ते के लिए बढ़ाई अंतरिम जमानत

17 फरवरी 2002 को विकास यादव और विशाल यादव ने 25 वर्षीय नीतीश कटारा का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी थी. कटारा एमबीए ग्रेजुएट और आईएएस अधिकारी का बेटा था. जबकि दोषी विकास यादव उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री धर्मपाल यादव का बेटा है.

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विकास यादव को ये राहत सुप्रीम कोर्ट से मिली है
विकास यादव को ये राहत सुप्रीम कोर्ट से मिली है

Nitish Katara Murder Case: नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव को कोर्ट से मिली राहत बरकरार रहेगी. देश की सबसे बड़ी अदालत ने विकास की अंतरिम जमानत अवधि चार हफ्ते और बढ़ा दी है. नीतीश कटारा को 23 साल पहले सन 2002 में कत्ल कर दिया गया था.

जानकारी के मुताबिक, विकास की मां के स्वास्थ्य और बीमारी के इलाज की वजह से अंतरिम जमानत की मियाद और बढ़ाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की शर्तों में भी बदलाव किया है और दोषी को मां की देखभाल के लिए घर पर ही रहने को कहा है. लेकिन जरूरत पड़ने पर बीमार मां के इलाज के लिए वो उसके साथ बाहर जा सकता है. 

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मेडिकल ग्राउंड के आधार पर आगे उसे अंतरिम जमानत नहीं मिलेगी. विकास को अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए कोर्ट ने 28 अप्रैल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया था.

सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को सूचित किया कि उनकी मां का ऑपरेशन पूरा हो चुका है और केवल फिजियोथैरेपी बाकी है. एएसजी ने यह भी बताया कि यादव के हलफनामे में कहा गया है कि उनकी मां चलने में सक्षम हैं, हालांकि उन्हें चलने में कठिनाई हो रही है. 

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आपको फिर याद दिला दें कि 17 फरवरी 2002 को विकास यादव और विशाल यादव ने 25 वर्षीय नीतीश कटारा का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी थी. कटारा एमबीए ग्रेजुएट और आईएएस अधिकारी का बेटा था. जबकि दोषी विकास यादव उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री धर्मपाल यादव का बेटा है.

हत्या के पीछे का मकसद विकास की बहन भारती यादव के साथ नीतीश कटारा की नजदीकी थी. हत्या को अंजाम देने के लिए उन्होंने सुखदेव यादव नामक एक कॉन्ट्रैक्ट किलर की मदद ली थी.

20 फरवरी 2002 को नीतीश कटारा की लाश उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के एक गांव में हापुड़ क्रॉसिंग के पास जली हुई मिली थी और उसे बुरी तरह से कुचला हुआ पाया गया था. इस मामले में कई वर्षों की जांच और सुनवाई के बाद विकास और विशाल यादव को 25 साल कैद की सजा सुनाई गई थी, जबकि सुखदेव को 20 साल की सजा सुनाई गई थी. 
 

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