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जेल में अनंत सिंह, मौके पर FSL और जांच में जुटी CID... दुलारचंद यादव मर्डर केस में अब तक क्या हुआ?

मोकामा का चुनावी रण अब खूनी संग्राम में बदल गया है. जनसुराज प्रत्याशी के समर्थक की हत्या के बाद जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह गिरफ्तार हैं. 30 अक्टूबर की इस वारदात ने बिहार की सियासत को हिला दिया है. सीआईडी जांच में जुटी है. पुलिस शुरुआती तौर पर साजिश से इनकार कर रही है.

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रिहाई के तीन महीने बाद फिर जेल पहुंचे अनंत सिंह, मोकामा में खून से रंगा चुनावी मैदान. (File Photo: ITG)
रिहाई के तीन महीने बाद फिर जेल पहुंचे अनंत सिंह, मोकामा में खून से रंगा चुनावी मैदान. (File Photo: ITG)

बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मोकामा सीट पर सियासत का पारा अचानक उबल पड़ा है. 30 अक्टूबर को हुए दुलारचंद यादव मर्डर केस में बाहुबली नेता अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है. इस वारदात के 60 घंटे के भीतर पुलिस ने अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया. उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

इस वक्त अनंत सिंह पटना की बेऊर जेल में बंद हैं. इस मामले की जांच सीआईडी कर रही है. एफएसएल की एक टीम ने मौके पर पहुंचकर जरूरी सबूत एकत्र किए हैं. पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में किसी बड़ी साजिश के संकेत नहीं मिले हैं, लेकिन यह भी साफ है कि चुनावी टकराव के बीच हिंसा कैसे भड़क गई और हत्या तक जा पहुंची, इस पर जांच अब भी जारी है.

30 अक्टूबर को मोकामा में जनसुराज और जेडयू समर्थक आमने-सामने आ गए. दोनों के बीच बहस, फिर झड़प और उसके बाद हिंसा भड़क गई. इसी दौरान जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या हो गई. दुलारचंद के परिवार ने सीधे-सीधे अनंत सिंह और उनके समर्थकों पर हत्या का आरोप लगाया. वारदात के 60 घंटे बाद पटना पुलिस ने बाढ़ से अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया.

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यह भी पढ़ें: खून से लाल मोकामा की मिट्टी, अनंत सिंह पर हत्या का इल्जाम... 'छोटे सरकार' की कुंडली में कितने क्राइम?

Bahubali Anant Singh

बीते शनिवार की रात 11.10 बजे एसएसपी के नेतृत्व में पुलिस टीम बाढ़ पहुंची. करीब 5 मिनट बातचीत के बाद 11.30 बजे पुलिस ने अनंत सिंह को हिरासत में लिया. पूरी कार्रवाई 25 मिनट के भीतर पूरी हुई. इसके बाद उन्हें पटना लाया गया, जहां देर रात 2 बजे गिरफ्तारी का औपचारिक ऐलान किया गया. 6 अगस्त को अनंत सिंह जेल से रिहा हुए थे. इसके बाद चुनाव लड़ने का ऐलान किया था.

उनको जेडीयू ने मोकामा से अपना प्रत्याशी बनाया. दूसरी ओर उनके पुराने प्रतिद्वंदी सूरजभान सिंह ने अपनी पत्नी वीणा देवी को मैदान में उतार दिया. अनंत सिंह ने पूरी ताकत प्रचार में झोंक दी थी. लेकिन रिहाई के महज तीन महीने बाद, एक बार फिर जेल की सलाखों के पीछे हैं. इस हत्याकांड के बाद एफएसएल टीम ने मौके का मुआयना किया. पत्थरबाजी में क्षतिग्रस्त वाहनों से साक्ष्य जुटाए गए. 

पत्थरों के सैंपल लिए गए. पुलिस जांच में सामने आया कि झड़प के दौरान जो पत्थर इस्तेमाल किए गए थे, वे रेलवे ट्रैक पर इस्तेमाल होने वाले पत्थर थे, जो इस इलाके में सामान्यत: नहीं मिलते. यानी पत्थर पहले से लाए गए थे. सवाल उठता है कि क्या हिंसा की तैयारी पहले से की गई थी? 30 अक्टूबर का एक नया वीडियो भी सामने आया है. इसमें दोनों पक्ष आमने-सामने दिख रहे थे. 

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पहले बहस होती है, फिर धक्का-मुक्की और फिर पत्थरबाजी. पुलिस इस वीडियो को केस में अहम सबूत मान रही है. अब तक पुलिस ने करीब 80 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की है और वीडियो फुटेज की मदद से बाकी आरोपियों की पहचान की जा रही है. मोकामा की लड़ाई अब सिर्फ एक विधानसभा सीट की नहीं रह गई. ये एक बाहुबली की प्रतिष्ठा, साख और सियासत का प्रतीक बन चुकी है.

अनंत सिंह पर पहले भी कई गंभीर मामले दर्ज हैं, वो कई बार जेल जा चुके हैं. लेकिन इस बार मामला अलग है. उनकी गिरफ्तारी चुनाव प्रचार के बीच, वोटिंग से महज एक हफ्ता पहले हुई है. 6 नवंबर को मोकामा में मतदान है. उससे पहले अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने जेडीयू के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सीआईडी इस मामले की जांच करते हुए कई अनसुलझे सवालों के जवाब तलाश रही है.

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