
Umesh Pal Murder: प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड को 26 दिन बीत चुके हैं. पुलिस ने अपनी तरफ से मोटे तौर पर मामले का खुलासा भी कर दिया है. कत्ल के मास्टरमाइंड से लेकर उसे अंजाम देने वाले गुर्गों यानी शूटर्स की पहचान भी बता दी. लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद पुलिस अब तक शूटरों तक नहीं पहुंच पा रही है. बल्कि अगर ये कहें कि इस केस के शूटर पुलिस की पकड़ से हाथ आई मछली की तरह लगातार फिसलते जा रहे हैं, तो भी ये गलत नहीं होगा. क्योंकि इन 26 दिनों में ऐसा कई बार हो चुका है जब पुलिस को इन शूटर्स के अलग-अलग जगहों पर छुपे होने की इत्तिला मिली, दबिश दी गई, लेकिन ठीक दबिश से पहले ही शूटर वहां से फरार हो गए.
आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसा एक नहीं बल्कि उन सभी के सभी शूटर्स के साथ हुआ, जो पुलिस के बही-खातों में फिलहाल फरार चल रहे हैं. और जिनकी धर पकड़ के लिए पुलिस लगातार उन पर इनाम बढ़ाती जा रही है. मगर ये शातिर बदमाश पुलिस को लगातार चकमा दिए जा रहे हैं. तो आइए सबसे पहले शुरुआत शूटआउट के वक्त क्रेटा से उतर कर राइफल से ताबड़तोड़ गोलियां चलाने वाले अतीक अहमद के पुराने वफादार साबिर से.
पुलिस को चकमा नंबर- 1
पुलिस सूत्रों की मानें तो उन्हें शूटआउट के ठीक दो दिन बाद ही प्रयागराज के पड़ोसी जिले कौशांबी में साबिर के छुपे होने की खबर मिली. तारीख थी 26 फरवरी. और तो और पुलिस को साबिर के हाइड आउट यानी खुफिया ठिकाने की पिन प्वाइंट लोकेशन भी मिल गई थी. लेकिन इससे पहले कि पुलिस उस ठिकाने पर दबिश डालती, साबिर वहां से फरार हो चुका था.
पुलिस को चकमा नंबर- 2
इसके अगले ही दिन यानी 27 फरवरी को बारी आई बमबाज गुड्डू मुस्लिम की. वही गुड्डू मुस्लिम जिसने उमेश पाल शूटआउट के दौरान बम मार कर पूरे इलाके को धुआं-धुआं कर दिया था. पुलिस को पता चला कि तीन दिनों तक प्रयागराज में ही छुपे रहने के बाद अब गुड्डू मुस्लिम गोरखपुर के लिए निकल चुका है. पुलिस ने ख़बर मिलते ही उसे बीच रास्ते से पकड़ने के लिए जाल बिछाया. लेकिन इसे पुलिस के सूचना तंत्र की नाकामी कहें या फिर शूटरों के मददगारों की चौकसी, पुलिस इंतजार करती रह गई और रास्ते से ही गुड्डू मुस्लिम ऐसा गायब हुआ कि फिर पुलिस को उसका नामो-निशान नहीं मिला.
पुलिस को चकमा नंबर- 3
तीसरे नंबर पर उमेश पाल हत्याकांड के सबसे लो-प्रोफाइल शूटर अरमान की बारी आई. जब पुलिस को पता चला कि अरमान बिहार के सासाराम कोर्ट में सरेंडर करने वाला है. तारीख थी 3 मार्च 2023 अरमान के बिहार में होने की ख़बर मिलते ही प्रयागराज पुलिस और एसटीएफ की तीन टीमों ने बिहार का रुख किया. लोकल पुलिस की मदद से पूरे इलाके की घेराबंदी की गई, लेकिन इस बार भी पुलिस की सारी कोशिशें धरी की धरी रह गई और अरमान निकल गया.
पुलिस को चकमा नंबर- 4
उमेश पाल हत्याकांड के सबसे लो प्रोफाइल शूटर के बाद पुलिस को सबसे हाई प्रोफाइल शूटर यानी अतीक अहमद के बेटे असद के बारे में जानकारी मिली. तारीख थी 15 मार्च 2023. पता चला कि असद भारत से निकल कर नेपाल में जा छुपा है. नेपाल में कपिलवस्तु जिले में अतीक अहमद के खास आदमी कय्यूम अंसारी के खुफिया ठिकाने पर मौजूद है. ख़बर मिलते ही यूपी पुलिस की कई टीमों ने कय्यूम के ठिकानों पर छापेमारी की. कय्यूम कपिलवस्तु के ही चंद्रौटा इलाके में अपने पेट्रोल पंप अंसारी डीज़ल्स से गिरफ्तार भी कर लिया गया, लेकिन असद का कुछ पता नहीं चला. फिलहाल पुलिस कय्यूम से असद समेत बाकी शूटरों के राज उगलवाने की कोशिश कर रही है.
पुलिस को चकमा नंबर- 5
अब जब एक-एक कर सारे शूटर्स पुलिस को चकमा दे रहे थे तो भला इस शूटआउट का सबसे शातिर किरदार गुलाम मोहम्मद कैसे पीछे रह जाता? तो यूपी पुलिस को गुलाम मोहम्मद के बारे में भी जानकारी मिली. 18 मार्च को पता चला कि वो आगरा के फतेहपुर सीकरी इलाके में अपने किसी जानकार के खुफिया ठिकाने पर छुपा है. पुलिस ने भारी अमले के साथ उसकी घेराबंदी करने की कोशिश की. लेकिन बाकी के शूटरों की तरह ही गुलाम मोहम्मद भी पुलिस की छापेमारी से पहले वहां से फरार हो चुका था.

पुलिस के खुफिया तंत्र की नाकामी
जाहिर है शूटरों का यूं लगातार पुलिस के आने से पहले ही गायब हो जाना इस बात को साबित करता है कि लुकाछिपी के इस खेल में ये शूटर इस वक्त पुलिस पर बीस साबित हो रहे हैं. इसे पुलिस के खुफिया तंत्र की नाकामी भी कह सकते हैं और इनफॉरमेशन के लीक होने का नतीजा भी. लेकिन शूटरों की फरारी यूपी पुलिस के लिए अब बड़ी किरकिरी साबित हो रही है.
पुलिस के हत्थे चढ़ा हथियारों का सप्लायर
हालांकि नाकामी की इस कहानी के बीच जो एक बात पुलिस को मामूली राहत देनेवाली है, वो है उसका इस मर्डर केस में इस्तेमाल किए गए हथियारों के सप्लायर तक पहुंच जाना. पुलिस सूत्रों की मानें तो उसने अतीक अहमद के उस हथियार सप्लायर को हिरासत में ले लिया है, जिससे लिए गए असलहों से उमेश पाल की हत्या की गई. ये शख्स प्रयागराज के ही चकिया इलाके का रहनेवाला है. और नाजायज़ असलहों का पुराना कारोबारी है.
असद के संपर्क में हथियारों का सप्लायर
पुलिस सूत्रों की मानें तो उससे पहले उसके पिता और दादा भी नाजायज़ असलहों का कारोबार किया करते थे और शुरू से उसका परिवार अतीक अहमद को हथियारों की सप्लाई भी किया करता है. पुलिस की मानें तो हथियारों का ये सप्लायर अतीक अहमद के बेटे असद के संपर्क में था और उसने असद को इस मर्डर में इस्तेमाल के लिए हथियार सौंपे थे. अतीक के जिस शूटर ने भी उमेश पर फायरिंग की, वो इसी हथियार सप्लायर से मिले हथियारों से की. फिलहाल इस कारोबारी के पास से 9 पिस्टल और दूसरे हथियार बरामद होने की ख़बर है.

अशरफ के गुर्गे लल्ला गद्दी ने किया सरेंडर
अब बात करते हैं जेल में बंद अशरफ अहमद के एक गुर्गे की. जिसने एनकाउंटर के डर से सोमवार को बरेली के चौराहे पर सरेंडर कर दिया. लल्ला गद्दी नाम के इस बदमाश ने शोर मचा कर सोमवार रात को बरेली के चौराहे पर खुद को एसओजी के हवाले किया. फिलहाल उसके सरेंडर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायर हो रहा है. लल्ला गद्दी का नाम अतीक के भाई अशरफ के साले सद्दाम के साथ आया था. आरोप है कि सद्दाम के साथ मिलकर लल्ला, अशरफ को गैरकानूनी तरीके से मदद करता था. इसी मामले में वह बिथरी चैनपुर और बारादरी थाने में उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है.
कोर्ट में भी लगाई थी सरेंडर एप्लीकेशन
हालांकि एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही वो फरार चल रहा था. उसने पुलिस से बचने के लिए सरेंडर अर्जी भी लगाई थी लेकिन बिथरी थाना पुलिस ने कोर्ट में रिपोर्ट नहीं भेजी, जिसके चलते उसकी अर्जी पर सुनवाई नहीं हो पाई. उसकी सरेंडर एप्लीकेशन पर अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 21 मार्च की तारीख तय की थी. लेकिन मंगलवार को सुनवाई से पहले ही उसने सोमवार रात को बीच चौराहे पर सरेंडर कर दिया.

पुलिस के लिए सिरदर्द बने आरोपी
प्रयागराज और लखनऊ वाया बरेली से लेकर नेपाल तक पुलिस और एसटीएफ की 22 टीमें शूटरों की तलाश में खाक छान रही हैं. पुलिस ने मोहम्मद गुलाम के लिए पुलिस ने मेंहदौरी में घेरा लगाया है जबकि गुड्डू मुस्लिम की तलाश में पुलिस ने लाला की सराय पर नज़र गड़ा रखी है. इसी तरह साबिर के लिए उसने प्रयागराज में अपने मुखबिरों को अलर्ट कर दिया है. क्योंकि ये सभी के सभी आरोपी प्रयागराज के ही रहने वाले हैं. और ये तमाम आरोपी ही पुलिस के सिरदर्द बन चुके हैं.
हत्याकांड में शामिल हो सकते हैं कई और लोग
इस हत्याकांड में बाहुबली अतीक अहमद के बेटे असद की सबसे बड़ी भूमिका दिखाई दी. पुलिस का दावा है कि उमेश पाल पर हुए हमले में अतीक अहमद के इस बेटे को ताबड़तोड़ गोली चलाते हुए देखा जा सकता है. लेकिन गोली कांड के बाद असद को जमीन खा गई और आसमान निगल गया? इसका जवाब यूपी पुलिस में कोई नहीं दे पा रहा. उमेश पाल हत्याकांड में तीन और कारों के इस्तेमाल होने की बात सामने आई है. पुलिस और एसटीएफ की टीमें यह पता लगाने में लगी हैं कि इन कारों में भी शूटर थे या उनके मददगार? क्योंकि इस वारदात में सीसीटीवी में दिख रहे शूटरों के अलावा कई और लोगों के शामिल होने का अंदेशा है.