
Women Buried Alive in Soil: जब कानून को किसी और काम पर लगा दिया जाए. जब पुलिस सरकार की जी हुजूरी करने लगे और जब सरकार जनता से बड़ी हो जाए, तब किसी जिंदा इंसान को दफनाने पर हैरान नहीं होना चाहिए. पता नहीं नाम वाली दुकान के शोर के बीच ये ख़बर आप तक पहुंची या नहीं कि अपने इसी देश में दो महिलाओं को जिंदा दफना दिया गया. ये सनसनीखेज वारदात मध्य प्रदेश की है. जिसे जानकर आप सन्न रह जाएंगे.
इंसानों की सुध किसे?
मालूम नहीं अकबर ने अनारकली को सचमुच जिंदा दीवार में जिंदा चुनवाया था या नहीं. ये भी पता नहीं कि एक जिंदा इंसान को दफनाने का अहसास क्या होता है? वैसे भी आजकल तो इंसान से कहीं ज़्यादा अहम आम-अमरूद हो चुका है? बेचारा बिना किसी कुसूर के अलग-अलग दुकानों और ठेलों पर अलग-अलग धर्म और मज़हब के हाथों बिक रहा है. फिर भला ऐसे में ज़िंदा इंसानों की सुध किसे है? वर्ना आप ही बताइए. ऐसी वारदात इससे पहले कभी देखी है आपने? पर क्या कीजिएगा?
20 जुलाई 2024, शनिवार
वारदात मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले की हैं. रीवा के मनगवां थाना इलाके में पड़ने वाले हनौता कोठार गांव की. वहां एक महिला कमर तक मिट्टी में दबी है, जबकि दूसरी महिला तो तकरीबन पूरी की पूरी ज़मीन के नीचे दफन हो चुकी है. पूरे इलाके में चीख पुकार मची है और जिससे जैसे बन पड़ रहा है, वो इन दोनों महिलाओं को जल्द से जल्द जमीन के नीचे से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है. कोई फावड़ा चला रहा है, कोई कुदाल लेकर आया है, तो कोई अपने हाथों से लगातार मिट्टी खोद रहा है, ताकि सांसें घुट जाने से पहले ही जैसे भी हो दोनों महिलाओं को मिट्टी के नीचे से बाहर निकाल लिया जाए.

कानून का राज या जंगल राज?
यकीनन वो तस्वीरें अजीब और विचलित करने वाली हैं. लेकिन साथ ही हैरत भी पैदा करने वाली हैं. पहली नजर में तो देख कर ये समझ ही नहीं आता कि आखिर इन दो महिलाओं का ये हाल हुआ कैसे? क्या ये किसी अंधविश्वास से भरी परंपरा का नतीजा है या फिर किसी हादसे का? खेतों के बीचों-बीच दो महिलाएं जमीन के नीचे यूं दफन कैसे हो गईं? लेकिन जब आप इन महिलाओं के यूं जिंदा दफन हो जाने की पूरी कहानी सुनेंगे, तो आप भी ये जान कर हैरान हो जाएंगे कि आखिर कानून के राज में ऐसा कैसे मुमकिन हुआ? क्योंकि ये महिलाएं किसी हादसे का गलती के चलते यूं जमीन के नीचे दफ्न नहीं हो गई. बल्कि इन्हें कुछ लोगों ने जानबूझ कर इस हाल में पहुंचा दिया. जीते-जीते मिट्टी के नीचे दफ्ना कर उनकी जान लेने की कोशिश की.
ऐसे बची दोनों महिलाओं की जान
सुन कर भी अजीब लगता है कि कोई इंसान अपने ही जैसे किसी दूसरे इंसान के साथ इतनी भयानक और गिरी हुई हरकत कैसे कर सकता है. लेकिन दुश्मनी में अंधे हो चुके कुछ लोगों ने शनिवार को रीवा में दो ग्रामीण महिलाओं के साथ जो कुछ किया, वो सिर्फ रीवा जिले में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लोगों को हैरान कर गया. वो तो भला हो गांव वालों का जिन्होंने फूर्ति दिखाते हुए तुरंत ही दोनों महिलाओं को जमीन के नीचे से बाहर निकाल लिया और अस्पताल लेकर पहुंचे, जिससे दोनों की जान बच गई, वरना होने को कुछ भी हो सकता था.
दहला देगी ये पूरी वारदात
अब आइए दो महिलाओं को जीते-जी मिट्टी में दफनाए जाने के पीछे की इस वारदात की पूरी कहानी को सिलसिले वार तरीके से समझते हैं. असल में यहां गांव के बीचों-बीच मौजूद इस जमीन पर एक परिवार के लोग सड़क बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि उन्हीं के कुछ दूसरे रिश्तेदार इस बात का विरोध कर रहे हैं. असल में दोनों परिवारों के बीच इस जम़ीन को लेकर विवाद है. पीड़ित पक्ष का कहना है कि ये जमीन उनकी है और अदालत की ओर से दो बार उनके हक में फैसला भी हो चुका है. लेकिन इसके बावजूद हमलावर पक्ष सड़क बनाने की अपनी ज़िद पर अड़ा है और इसका विरोध करने पर उस पक्ष ने कुछ इसी तरह दो महिलाओं को मिट्टी में जिंदा गाड़ देने की कोशिश की. जिससे दोनों की जिंदगी पर बन आई.

जीते-जी मिट्टी के नीचे दफन हो गईं दो महिलाएं
गांव के ही गोकर्ण प्रसाद पांडेय और महेंद्र प्रसाद पांडेय इस जमीन पर सड़क बनाना चाहते हैं, जबि जीवेश कुमार पांडेय और शिवेश कुमार पांडेय इसका विरोध कर रहे हैं. लेकिन विरोध के बावजूद शनिवार को पहला हमलावर पक्ष सड़क बनाने के लिए जेसीबी के साथ-साथ डंपर में दानेदार लाल मिट्टी यानी मोरंग भर कर मौके पर पहुंच गया. इत्तेफाक से उस वक्त जीवेश और शिवेश दोनों ही घर में नहीं थे. और ऐसे में उनकी बीवियों ममता और आशा पांडेय ने मोर्चा संभाला. दोनों विरोध स्वरूप उसी जगह पर जाकर बैठ गईं, जहां वो आरोपी पक्ष मोरंग डालना चाहता था. लेकिन हद तो तब हो गई, जब आरोपियों के कहने पर डंपर के ड्राइवर ने दोनों महिलाओं के ऊपर ही पूरी की पूरी मोरंग से भरी डंपर खाली कर दी. जिससे दोनों महिलाएं जीते-जी मिट्टी के नीचे दफन हो गईं.
सांस रुक जाने से बेहोश हुई एक महिला
अचानक दोनों महिलाओं पर पूरा का पूरा मोरंग से भरा डंपर पलट दिए जाने जाने से दोनों ही मिट्टी के नीचे फंस गई. खास कर ममता पांडेय के तो सिर तक ही मिट्टी भर गया, जिससे उसके लिए सांस लेना भी मुश्किल होने लगा. जबकि आशा पांडेय पांडेय भी कमर तक मिट्टी में दब जाने की वजह से हिलने डुलने से लाचार हो गई. हालत ये हुई कि सांस रुक जाने की वजह से ममता चंद मिनटों के अंदर ही बेहोश हो गई. हालांकि गांव वालों ने किसी तरह मिट्टी खोद कर दोनों को बाहर निकाल लिया और फिर प्राथमिक उपचार के बाद दोनों को पास के अस्पताल में लेकर पहुंचे, जहां दोनों की हालत फिलहाल खतरे से बाहर है.
दोनों महिलाओं की जान पर बनी
पीड़ित महिलाओं का कहना है कि सांस लेने की दिक्कत के चलते वो वारदात के बाद करीब दो घंटे तक बेहोश रहीं. इस वारदात से दोनों महिलाओं को भयानक सदमा लगा है और वो अब भी अपनी जिंदगी पर खतरा महसूस कर रही हैं. पीड़ित महिलाओं का कहना है कि आरोपी पक्ष लगातार उनकी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश में उन्हें डरा धमका रहा था. उनके साथ इस बात को लेकर पहले कहासुनी और मारपीट भी हुई थी.

आरोपियों ने पहले ही दी थी धमकी
शनिवार को वो डंपर और जेसीबी के साथ उनकी जमीन पर सड़क बनाने पहुंच गए. यहां तक कि जब उन्होंने आरोपियों को ऐसा करने से मना किया तो उन्होंने धमकी कि वो उन्हें जिंदा जमीन में दफ्ना देंगे और आखिरकार वही किया. पीड़ित पक्ष ने कहा कि उन्होंने पूरे वाकये को मोबाइल फोन पर शूट कर लिया, जिससे आरोपी घबरा गए, वरना वो कुछ भी कर सकते थे.
आरोपियों के खिलाफ एक्शन
हालांकि दो महिलाओं को जिंदा दफनाने की ये तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुई, तो पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करने के साथ-साथ वारदात में इस्तेमाल की गई गाड़ियों को भी जब्त कर लिया. रीवा की कलेक्टर प्रतिभा पाल ने खुद मामले की निगरानी शुरू की. इस मामले की नजाकत का अंदाजा आप इसी बात से लगाइए कि खुद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव को इस मामले पर एक्स के ज़रिए अपना पक्ष साफ करना पड़ा.

मुख्यमंत्री ने दी सफाई
सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने लिखा- सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त वीडियो से रीवा जिले में महिलाओं के खिलाफ अपराध का मामला संज्ञान में आया, जिसमें मैंने जिला प्रशासन एवं पुलिस को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. जिले के थाना मनगंवा अंतर्गत हनौता कोठार गांव में जमीन संबंधी पारिवारिक विवाद में दो महिलाओं पर डंपर से मुरम डालने के मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, दो अन्य की तलाश जारी है. उपचार के बाद महिलाओं को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. मध्य प्रदेश के नागरिकों, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा सरकार की सर्वेच्च प्राथमिकता है. उनके खिलाफ किसी भी अपराध में आरोपी को बख़्शा नहीं जाएगा, कठोर दंड दिया जाएगा.
विपक्ष इस वारदात को बताया सरकार की नाकामी
अब इतना संगीन मामला जिसमें खुद सूबे के मुख्यमंत्री को सामने आकर अपना पक्ष रखना पड़े, इस पर विपक्ष कैसे खामोश रह सकता था, तो कांग्रेस समेत दूसरी पार्टी के नेताओं ने इस मामले को महिला सुरक्षा के मामले पर सरकार की नाकामी से जोड़ दिया. फिलहाल, दोनों महिलाओं को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे गई है, जबकि आरोपी पक्ष के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला जारी है.
एमपी जनसंपर्क विभाग ने भी इस मामले पर सरकार का पक्ष रखा है. लेकिन रीवा के ग्रामीण इलाकों से आई इन तस्वीरों ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि जमीन जायदाद के झगड़े में कई बार लोग कैसे तमाम हदों से आगे निकल जाते हैं.
(रीवा से विजय कुमार विश्वकर्मा का इनपुट)