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Boycott Chinese: अभी से कर लो तैयारी... 2 महीने बाद चीन को सिखाना है सबक, खुद के घर से करें शुरुआत!

Boycott Chinese Products: हर त्योहार पर बाजार में स्वदेशी और विदेशी सामान होते हैं, अधिकतर लोग सस्ते के चक्कर में विदेशी सामान खरीद लेते हैं, अब जब आप विदेशी सामान खुद खरीदेंगे, तो उसकी डिमांड को बढ़ती रहेगी और चीन जैसे देश का भारतीय बाजार पर कब्जा बरकरार रहेगा.

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Boycott Chinese Products
Boycott Chinese Products

वैसे तो पिछले 5 साल से देशभर में 'बायकॉट चाइना' की मुहिम चल रही है, असर हो भी रहा है. लेकिन चीन तभी सबक सिखेगा, जब उसके लिए भारतीय बाजार बंद हो जाएगा. चीन के लिए भारतीय बाजार तब बंद होगा, जब देश के लोग स्वदेशी प्रोडक्ट्स को अपनाएंगे.

सरकार भी स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए लगातार अभियान चला रही है, 'लोकल फोर वोकल' उसी का एक हिस्सा है. जब आप अपने आसपास बनी चीजों को खरीदेंगे, तो घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही विदेशी प्रोडक्ट्स की डिमांड घटेगी.

भारत एक त्योहारों का देश है, हर महीने कोई-न-कोई त्योहार होता है. लोग त्योहार पर जमकर खरीदारी करते हैं, इस खरीदारी असर देश की इकोनॉमी पर भी होता है. लेकिन जब आप पूर्ण रूप से देशी सामान खरीदेंगे, तो देश और तेजी से आगे बढ़ेगा, स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. 

रक्षाबंधन पर मत खरीदें चाइनीज राखी

दरअसल, हर त्योहार पर बाजार में स्वदेशी और विदेशी सामान होते हैं, अधिकतर लोग सस्ते के चक्कर में विदेशी सामान खरीद लेते हैं, अब जब आप विदेशी सामान खुद खरीदेंगे, तो उसकी डिमांड को बढ़ती रहेगी और चीन जैसे देश का भारतीय बाजार पर कब्जा बरकरार रहेगा. आप खुद सोचिए क्या आपको दिवाली पर चाइनीज लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और झालर खरीदनी चाहिए? क्या आपको होली पर चाइनीज रंग-पिचकारी खरीदनी है? क्या आपको बाकी त्योहारों पर विदेशी सामान खरीदना चाहिए? 

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कुछ लोगों का तर्क होता है कि विदेशी सामान सस्ते में मिल जाते हैं. लेकिन सच ये है कि जब आप स्वदेशी सामान नहीं खरीदेंगे, तो उसका प्रोडक्शन नहीं बढ़ेगा, और जब डिमांड नहीं बढ़ेगी तो उसकी कोस्ट कम कैसे होगी. इसलिए जब हर भारतीय संकल्प ले लेंगे, कि हर हाल में मुझे विदेशी सामान का बायकॉट करना है और स्वदेशी अपनाना है तो फिर बायकॉट चाइना मुहिम का असर होगा.

स्वदेशी मुहिम से जुड़कर देश को आगे बढ़ाएं

अब बात आती है कि कब से इसकी शुरुआत करें, जब आप एक-एक चीज को खरीदते समय गौर करेंगे, कि कहीं ये चाइनीज तो नहीं है फिर आप स्वदेशी मुहिम का हिस्सा बन जाएंगे और विदेशी चीजों की डिमांड घटने लगेगी.   
 
करीब 2 महीने के बाद 9 अगस्त को रक्षाबंधन है, इस मौके पर करोड़ों रुपये की राखी बिकती है. अभी भी भारतीय बाजार में बड़े पैमाने पर चाइनीज राखी का दबदबा है. लोग डिजाइन और सस्ते के चक्कर में चाइनीज राखी खरीदते हैं और चीनी का व्यापार बढ़ा रहे हैं. इसके अलावा गणपति पूजा 27 अगस्त से शुरू होगी. 

हालांकि Boycott Chinese Products अभियानों और स्वदेशी रुझानों ने राखी की आयातों को प्रभावित किया है. साल 2024 में भारतीय बाजार में बहुत कम चाइनीज राखियां दिखी थीं. लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. पिछले साल स्वदेशी खादी, जूट, मधुबनी, और सांगानेरी कला राखियां ज्यादा बिकी थीं. साल 2024 में रक्षाबंधन पर राखी का कारोबार 12,000 करोड़ तक पहुंच गया था, जिसमें बड़ा हिस्सा चाइनीज राखी का था. लेकिन अब भारतीय व्यापारी चीन को राखियों का कोई बड़ा ऑर्डर देने से बच रहे हैं. 

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दिवाली पर चाइनीज सजावटें क्यों? 

दिवाली के दौरान अब भी चीन से सजावटी झालरें, LED लाइट्स, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, प्लास्टिक दीये और अन्य सजावटी सामान आ रहे हैं. CAIT के मुताबिक कुछ साल पहले तक रक्षाबंधन से नए साल तक के त्योहारी सीजन में भारत आमतौर पर चीन से 80,000 करोड़ रुपये तक का सामान आयात करता था, जिसमें दिवाली के सजावटी सामान (जैसे झालरें, लाइट्स, और गिफ्ट आइटम) का बड़ा हिस्सा शामिल होता था. 

CAIT की मानें तो 2024 के त्योहारी सीजन (रक्षाबंधन से तुलसी विवाह तक) के दौरान देश में करीब 4 लाख करोड़ से अधिक का कारोबार हुआ, जिसमें स्वदेशी सामानों की हिस्सेदारी बढ़ी. हालांकि, सजावटी सामानों (जैसे LED लाइट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स) में चीन से ज्यादा आयात हुआ था. हालांकि इसकी मात्रा पहले की तुलना में कम थी. 

धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं देश के लोग

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने चीन से कुल 101.7 अरब डॉलर (करीब ₹8.5 लाख करोड़) का सामान आयात किया था, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक सामान और सजावटी आइटम्स शामिल थे. आंकड़ों देखें तो इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स और प्लास्टिक प्रोडक्ट्स का हिस्सा करीब 30-40% रहा था. 

एक अनुमान के मुताबिक साल 2024 में दिवाली पर सजावटी सामानों (जैसे LED झालरें, लाइट्स, और गिफ्ट आइटम्स) का चीन से आयात करीब 10,000-15,000 करोड़ रुपये का रहा था. जबकि कुल त्योहारी सीजन में 4 लाख करोड़ का कारोबार हुआ, जिसमें स्वदेशी सामानों की हिस्सेदारी 70-80% थी. 

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2018 में रक्षाबंधन पर करीब 3,000 करोड़ रुपये कारोबार हुआ था, इसमें चीनी राखियों की हिस्सेदारी करीब 30-40% थी, जबकि साल 2022 में 7,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था, इसमें चाइनीज राखी की हिस्सेदारी करीब 10-15% थी, यानी साल-दर-साल हिस्सेदारी घट रही है. 

ऐसे में जब आप हर त्योहार पर चाइनीज प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करेंगे, तो स्वदेशी को बढ़ावा मिलेगा. संकल्प लीजिए कि इस रक्षाबंधन हर कलाई पर स्वदेशी राखी होगी. आप अपने घर से इसकी शुरुआत कर सकते हैं.  

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