भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और एमटीएनएल के बढ़ते संकट के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय सिद्धांतत: इसमें दखल देने को तैयार हो गया है. बीएसएनएल कर्मचारी संघ ने वीआरएस लागू करने के प्रस्ताव का विरोध किया है, इसलिए यह संकट आसानी से सुलझता नहीं दिख रहा.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने दूरसंचार विभाग को बीएसएनएल और एमटीएनएल के पुनरुद्धार के लिए एक विस्तृत रूपरेखा पेश करने के लिए कहा है जिसमें 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन, वीआरएस के माध्यम से बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या में कमी आदि शामिल हैं.
संघ का आरोप-निजी कंपनी को बेचने की तैयारी
सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के कर्मचारी संघ ने गुरुवार को सरकार के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) लागू करने के प्रस्ताव का विरोध किया. संघ ने आरोप लगाया कि यह निजी कंपनी को सौंपने से पहले बीएसएनएल के कर्मचारियों को कम करने की रणनीति है. बीएसएनएल कर्मचारी संघ ने बयान में सरकार पर कंपनी के साथ सौतेला रुख अपनाने का आरोप लगाया क्योंकि उसने बीएसएनएल को कारोबार में वृद्धि के लिए जरूरी 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन नहीं किया.
सीएमडी ने किया छंटनी से इंकार
हालांकि बीएसएनएल के सीएमडी अनुपम श्रीवास्तव ने इस बात से साफ इंकार किया है कि कंपनी में किसी तरह की छंटनी होने जा रही है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि कर्मचारियों को वीआरएस की पेशकश तो की जा रही है, लेकिन छंटनी के बारे में मीडिया में आई खबरें सही नहीं हैं.
Turnaround of #BSNL being devised by @DoT_India & @BSNLCorporate includes allotment of 4G spectrum & offering lucrative VRS to willing staff. Reduction of retirement age or laying off employees is not at all being considered. BSNL denies any such media appearances in this regard.
— Anupam Shrivastava (@CMDBSNL) April 3, 2019
क्यों नहीं किया 4जी का आवंटन
कर्मचारी संघ ने कहा कि दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने जनवरी 2018 में भरोसा दिलाया था कि बीएसएनएल को 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जाएगा लेकिन यह मामला अभी तक लंबित पड़ा है. सूत्रों के मुताबिक, दूरसंचार विभाग ने बीएसएनएल को 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए एक कैबिनेट नोट जारी किया था, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इस तरह के प्रस्ताव की व्यावसायिक व्यवहार्यता पर सवाल उठाए हैं.
संघ ने कहा, 'ध्यान दिया जाना चाहिए कि एमटीएनएल में वीआरएस दो बार पहले लागू किया जा चुका है. हालांकि, इसने एमटीएनएल की वित्तीय स्थिति में सुधार में कोई मदद नहीं की. इसलिए हम इस ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं कि वीआरएस बीएसएनएल के वित्तीय पुनरुद्धार में मददगार नहीं है.'
उसने कहा कि सरकार को वित्तीय पुनरुद्धार के लिए तुरंत बीएसएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम आवंटित करना चाहिए और नेटवर्क के विस्तार एवं आधुनिकीकरण के लिए रियायती कर्ज देकर बीएसएनएल की वित्तीय मदद करनी चाहिए.
गौरतलब है कि गुरुवार को यह खबर आई थी कि एमटीएनएल और बीएसएनएल कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की पेशकश करने को लेकर मंत्रिमंडल नोट जारी करने के लिये दूरसंचार मंत्रालय चुनाव आयोग से मंजूरी मांगेगा. हालांकि, इस बारे में अंतिम निर्णय चुनाव के बाद ही हो सकता है. इसके अलावा कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र में भी 2 साल की कटौती की जाएगी. यह अनुमान सामने आया कि इस योजना से बीएसएनएल में 54 हजार कर्मचारियों की छंटनी हो जाएगी.
भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के कर्मचारियों की संख्या 1.76 लाख है, जबकि एमटीएनएल में 22,000 कर्मचारी हैं. ऐसा अनुमान है कि अगले पांच से छह साल में एमटीएनएल के 16,000 कर्मचारी तथा बीएसएनएल के 50 फीसदी कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे. बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिये वीआरएस से क्रमश: 6,365 करोड़ रुपये तथा 2,120 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है. विभाग वीआरएस के वित्त पोषण के लिये 10 साल का बॉन्ड जारी करेगा. एमटीएनएल के मामले में वेतन अनुपात 90 फीसदी पहुंच गया है जबकि बीएसएनएल के मामले में यह करीब 60 से 70 फीसदी है.