भारत में अपना घर या कोई प्रॉपर्टी खरीदना हमेशा से एक बहुत बड़ा और दूर का सपना रहा है, दशकों तक इस सपने को पूरा करने के लिए मिडिल क्लास आदमी कड़ी मेहनत करता था. लोग अपनी जरूरतों को नजरअंदाज करके सालों-साल बचत करते थे, और फिर भी अक्सर एक बड़ी रकम की कमी रह जाती थी. बाद में उन्हें भारी-भरकम होम लोन लेना पड़ता था, जिसके कारण परिवार लंबे समय के कर्ज के बोझ तले दब जाते थे.
यह समस्या सिर्फ पैसे की नहीं थी, प्रॉपर्टी खरीदने की प्रक्रिया में भी कई बड़ी रुकावटें थीं, निवेश शुरू करने के लिए एक बहुत बड़ी शुरुआती रकम की जरूरत होती थी. कागजी कार्रवाई इतनी पेचीदा और अंतहीन होती थी कि यह प्रक्रिया को और भी थकाऊ बना देती थी. इन कारणों से, कई लोग, खासकर पहली बार निवेश करने वाले या युवा पीढ़ी, के लिए प्रॉपर्टी का मालिक बनने का सपना पहुंच से बाहर की बात थी.
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लेकिन डिजिटल रियल एस्टेट के आने से अब नियम पूरी तरह बदल चुके हैं. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके, अब ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म आ गए हैं जो उस पुराने, कागजी और हाथों से होने वाले काम को पूरी तरह ऑनलाइन निपटा देते हैं. खास बात यह है कि अब आप बहुत छोटे अमाउंट से भी निवेश शुरू कर सकते हैं. प्रॉपर्टी में निवेश करना अब उतना ही आसान और झंझट-मुक्त बनाना है, जितना कि कोई म्यूचुअल फंड या शेयर खरीदना.
डिजिटल रियल एस्टेट ने कैसे बदली कहानी?
अंसल हाउसिंग के डायरेक्टर कुशाग्र अंसल कहते हैं- 'डिजिटल रियल एस्टेट ने निवेश के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है, जिससे यह पहले से कहीं ज्यादा सहज, पारदर्शी और व्यापक रूप से उपलब्ध हो गया है. आज, कुछ ही क्लिक्स की मदद से निवेशक अपनी आवश्यकतानुसार अच्छे स्थान, उचित मूल्य और सही परियोजना का चुनाव आसानी से कर सकते हैं. डिजिटल माध्यम न केवल समय और धन की बचत कर रहा है, बल्कि यह निवेश को अधिक सुरक्षित और तथ्य-आधारित भी बना रहा है.
यही डिजिटल युग में रियल एस्टेट के वास्तविक सशक्तिकरण का प्रमाण है.'
पारंपरिक निवेश में बिचौलिए एक बड़ी भूमिका निभाते थे, जिससे जानकारी और कीमतों में पारदर्शिता की कमी रहती थी. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने निवेश को भूगोल और बिचौलियों की सीमाओं से मुक्त कर दिया है. आज भारतीय निवेशक सीधे प्लेटफॉर्म पर जाकर प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी, कानूनी दस्तावेज और संभावित रिटर्न का विश्लेषण कर सकते हैं. यह प्रक्रिया को झंझट-मुक्त और विश्वासयोग्य बनाता है.
सिक्का ग्रुप के चेयरमैन हरविंदर सिंह सिक्का कहते हैं- 'अब आपको प्रॉपर्टी में पैसा लगाने के लिए न तो किसी बिचौलिए पर निर्भर रहना पड़ता है और न ही जगह की कोई पाबंदी रही है. डिजिटल रियल एस्टेट ने निवेश को बिल्कुल आजाद कर दिया है. आज, कोई भी भारतीय निवेशक अपने मोबाइल पर ही पूरे देश की प्रॉपर्टी मार्केट को अच्छे से जांच सकता है, चीजों की तुलना कर सकता है, और पूरी तरह सोच-समझकर सुरक्षित फैसला ले सकता है. यह टेक्नोलॉजी सिर्फ काम को आसान नहीं बना रही, बल्कि रियल एस्टेट को एक स्मार्ट, भरोसेमंद और भविष्य के लिए तैयार निवेश का जरिया भी बना रही है.'
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प्रक्रिया का सरलीकरण और समय की बचत
पुरानी प्रक्रिया में प्रॉपर्टी देखना, कागजात तैयार करना और लोन की प्रक्रिया में महीनों लग जाते थे. डिजिटल प्लेटफॉर्म अब वर्चुअल टूर, ऑनलाइन दस्तावेज सबमिशन, और डिजिटल पेमेंट जैसी सुविधाएं देते हैं. यह तकनीक न सिर्फ समय और लागत बचाती है, बल्कि पूरे मैनुअल, पेपर-हैवी प्रोसेस को पूरी तरह से ऑनलाइन कर देती है.
डिजिटल प्लेटफॉर्म निवेशकों को उनके पोर्टफोलियो पर बेहतर नियंत्रण देते हैं. वे कभी भी अपने निवेश के मूल्य की जांच कर सकते हैं, रेंटल इनकम को ट्रैक कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर अपने हिस्से को आसानी से बेच भी सकते हैं. यह सुविधा रियल एस्टेट को एक लिक्विड और भविष्य के निवेश विकल्प के रूप में स्थापित करती है.
डिजिटल रियल एस्टेट ने फ्रैक्शनल ओनरशिप का कॉन्सेप्ट पेश किया है. इसका मतलब है कि अब आपको पूरी प्रॉपर्टी खरीदने की ज़रूरत नहीं है. आप एक बड़ी कमर्शियल प्रॉपर्टी के छोटे से हिस्से में भी निवेश कर सकते हैं. यह सुविधा लाखों रुपये का शुरुआती निवेश करने की बाध्यता को खत्म करती है, जिससे युवा निवेशक भी छोटे टिकट साइज में प्रीमियम प्रॉपर्टी में निवेश शुरू कर पाते हैं.
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