दिल्ली के रहने वाले नदीम सालों पहले रोजगार की तलाश में दुबई गए, बड़ी मुश्किल से उन्हें वहां का काम मिला. घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी, इसलिए हर मुश्किल को झेलते हुए काम करते रहे और पैसे जोड़कर नोएडा के सेक्टर 132 में स्थिति WTC के CBD प्रोजेक्ट में निवेश किया. नदीम का सपना था रिटायरमेंट के बाद वापस अपने देश में आकर बची हुई जिंदगी चैन से गुजारेंगे, लेकिन 30 साल बाद जब वो अपने वतन लौटे तब पता चला कि उनके साथ बड़ा धोखा हुआ है. जिस प्रोजेक्ट में उन्होंने जिंदगी भर की कमाई लगाई थी, उसके मिलने की उम्मीद अब धीरे-धीरे टूट रही है.
नदीम ने WTC के CBD प्रोजेक्ट में अपने लिए दुकान बुक किया था कि किराया मिलेगा तो जिंदगी आराम से कटेगी, लेकिन आज 69 साल की उम्र में वो इस खंडहर बनती इमारत में प्रोटेस्ट कर रहे हैं, जहां आलीशान इमारत बननी थी. आज उनकी सारी कमाई लूट गई है, हालात ऐसे हो गए हैं कि उनके पास इनकम का कोई जरिया नहीं बचा है. निराश नदीम कहते हैं- 'अब मेरे पास आत्महत्या के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है.' ये कहानी अकेले नदीम की नहीं है, बल्कि उनके जैसे सैकड़ों निवेशक हैं, जिन्होंने WTC के अलग-अलग प्रोजेक्ट में निवेश किया था और अपनी मेहनत की कमाई लगाई थी.
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नोएडा के सेक्टर 132 में बन रहे WTC के CBD प्रोजेक्ट में करीब 3 हजार लोगों ने निवेश किया था. बिल्डर ने लोगों को अच्छा रिटर्न देने का सपना बेचा और लोगों ने उम्मीद में ये सोचकर बुकिंग कर ली कि किराए से जिंदगी आसानी से कट जाएगी. लेकिन ये प्रोजेक्ट सालों से अधूरा पड़ा है. ये प्रोजेक्ट 2018 में लॉन्च हुआ था और 2021 में डिलिवरी का वादा किया था, लेकिन कोविड के बाद से यहां काम ठप है और अब बिल्डर भी जेल में है. लोगों की मुश्किल ये है कि अब उनको पजेशन कैसे मिलेगा. WTC के ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं, जिसमें लोगों ने ऑफिस और प्लॉट की बुकिंग की थी. लेकिन अभी तक पजेशन नहीं मिला है.
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इस प्रोजेक्ट में बुकिंग कराने वाले लोगों का आरोप है कि प्रोजेक्ट को रेरा का अप्रूवल मिला था और WTC जैसा बड़ा नाम था इसलिए भरोसा करके बुकिंग किया, लेकिन हर जगह से धोखा मिला. इस जगह पर 3 टॉवर बनने वाले थे, लेकिन अभी तक एक टॉवर भी नहीं बन पाया है. इस प्रोजेक्ट में देश भर के लोगों ने निवेश किया है. नोएडा के रहे वाले सुबीर ने इस प्रोजेक्ट में अपने लिए ऑफिस बुक किया था, उन्होंने 95 फीसदी पैसे दे दिए हैं, लेकिन अभी तक पजेशन की उम्मीद नहीं है. वो कहते हैं- 'सालों से बिल्डर लगातार बहाने बनाते रहे और हमसे पैसे लेते रहे, लेकिन यहां काम नहीं किया गया. रेरा ने भी कोई मदद नहीं कि और WTC यूएस ने साफ कह दिया कि हमारा इस प्रोजेक्ट से कोई लेना देना नहीं है, हम सिर्फ फ्रेंचाइजी देते हैं. अब हम लोग कहां जाएं'.
लोगों का आरोप है कि बिल्डर आशीष भल्ला ने WTC के नाम पर ठगा और प्रोजेक्ट में इतनी देरी के बाद भी WTC ने बिल्डर की फ्रेंचाइजी कैंसिल नहीं की. जब ED ने बिल्डर के खिलाफ एक्शन लिया, तब उसका लाइसेंस रद्द किया गया है. एक और खरीदार विपुल बताते हैं- 'हम सभी बायर्स ने मिलकर NCLT में केस किया है. लीगल प्रक्रिया चल रही है, लेकिन पता नहीं कब तक कोई फैसला आएगा. बिल्डर के खिलाफ सैकड़ों केस चल रहे हैं और वो जेल में है, लेकिन हमारा क्या होगा?'

इस प्रोजेक्ट में कई ऐसे लोगों ने भी पैसे लगाए हैं, जो विदेश में नौकरी कर रहे थे और इस उम्मीद में यहां निवेश किया था, कि रिटायरमेंट के बाद फिक्स इनकम होगी, लेकिन सारे लोग फंस गए हैं. डॉक्टर रश्मि कई सालों तक दूसरे देशों में काम रहती रहीं और अपनी मेहनत की कमाई WTC के एक दूसरे प्रोजेक्ट Signature Tower में प्लॉट की बुकिंग में लगा दी. लेकिन 11 साल के बाद भी पजेशन नहीं मिला. गुस्सा और निराशा उनके चेहरे पर साफ झलकती हैं वो कहती हैं- 'जिंदगी भर विदेश में नौकरी की और सोचा कि रिटायरमेंट के बाद अपने देश में चैन की जिंदगी जिएंगे, लेकिन हमारे देश में ही हमारे साथ धोखा हो गया. पहले 2018 में पजेशन मिलना था, बाद में यूपी रेरा ने 2022 का डेट दिया, लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से डिले होता गया. हम लोगों ने अपने देश में निवेश करके क्या गुनाह कर दिया?'
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दिल्ली के रहने वाले रितेश कुमार बताते हैं- 'मेरे पिता ने अपने रिटायरमेंट का सारा पैसा इस प्रोजेक्ट में लगा दिया था. पजेशन का इंतजार करते-करते उनकी मौत हो गई, मेरी मां बीमार है, उनकी इनकम का कोई जरिया नहीं है. हमारा सारा पैसे इस प्रोजेक्ट में लगा है, लेकिन ये मिलने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.' एक और खरीदार उमेश कुमार ने अपना फ्लैट बेचकर WTC टेकजोन में कमर्शियल स्पेस बुक किया था. वो कहते हैं- 'रियल एस्टेट का काम करता हूं, जिसमें कमाई फिक्स नहीं रहती, इसलिए मैंने अपना घर बेचकर 30 लाख रुपये का निवेश किया था कि मुझे 30 हजार रुपये महीने रेंट मिलेगा तो बच्चों की पढाई चलती रहेगी, लेकिन सारे पैसे डूब गए.'
WTC के अलग-अलग प्रोजेक्ट में निवेश करने वालों लोगों की अलग-अलग कहानी है, किसी ने रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग की थी, तो किसी को बेटी की शादी के लिए पैसे इकट्ठे करने थे, किसी ने अपने बच्चों के भविष्य के लिए निवेश किया था, लेकिन आज लोगों के खुद का भविष्य अधर में है.

WTC के प्रमोटर आशीष भल्ला को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मार्च में गिरफ्तार किया था. भल्ला पर आरोप है कि उन्होंने निवेशकों से तीन हजार करोड़ रुपये लेकर उन्हें अश्योर्ड रिटर्न का झांसा दिया और पैसा शेल कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया. जांच में खुलासा हुआ कि सैकड़ों करोड़ रुपये विदेश, खासकर सिंगापुर भेजे गए, जिससे उनके परिवार के लोगों को फायदा पहुंचा.
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