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Extreme Poverty: अगर रोज कमाते हैं इससे कम रुपये, तो बेहद गरीबों में होगी गिनती

नए मानक के अमल में आने के बाद 'बेहद गरीब (Extreme Poor)' लोगों की संख्या में 0.2 फीसदी की गिरावट आई है. अब विश्व बैंक की गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाली आबादी का हिस्सा 9.1 फीसदी है.

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कम हुई गरीबों की संख्या (Photo: Reuters)
कम हुई गरीबों की संख्या (Photo: Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अफ्रीका में कम हुई गरीबों की संख्या
  • अफ्रीकी देशों में फूड इंफ्लेशन नगण्य

विश्व बैंक (World Bank) ने बेहद गरीब लोगों (Extreme Poverty) की गणना का फॉर्मूला बदल दिया है. साल 2022 से अब पर्चेजिंग पावर पैरिटी (Purchasing Power Parity) के आधार पर रोजाना 2.15 डॉलर यानी 166 रुपये प्रति दिन से कम कमाने वाल लोगों को 'बेहद गरीब' माना जाएगा. विश्व बैंक की नई गरीबी रेखा (World Bank BPL) 2017 की कीमतों पर आधारित है. इससे पहले 1.90 डॉलर यानी 147 रुपये प्रति दिन से कम कमाने वालों को बेहद गरीब माना जाता था. पुराना फॉर्मूला 2015 की कीमतों पर आधारित था.

नए फॉर्मूले से कम हो गए इतने गरीब

नए मानक के अमल में आने के बाद 'बेहद गरीब (Extreme Poor)' लोगों की संख्या में 0.2 फीसदी की गिरावट आई है. अब विश्व बैंक की गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाली आबादी का हिस्सा 9.1 फीसदी है. संख्या के लिहाज से बात करें तो बेहद गरीब लोगों की संख्या में नए फॉर्मूले के कारण 1.5 करोड़ की कमी आई है. हालांकि इस कमी के बाद भी अभी दुनिया में बेहद गरीब लोगों की आबादी 68 करोड़ है. इसका अर्थ हुआ कि 68 करोड़ लोगों की रोजाना आमदनी 166 रुपये से कम है.

इस कारण कम हुई गरीबों की संख्या

विश्व बैंक ने बताया कि बेहद गरीब लोगों की कुल संख्या में कमी आने का मुख्य कारण गरीब अफ्रीकी देशों (African Countries) की क्रय शक्ति में सुधार आना है. पुराने फॉर्मूले के हिसाब से दुनिया के कुल बेहद गरीब लोगों का 62 फीसदी हिस्सा अफ्रीकी देशों में निवास करता था. नए फॉर्मूले के आधार पर इन देशों का हिस्सा कम होकर 58 फीसदी पर आ गया है. हालांकि अभी भी दुनिया की सबसे ज्यादा गरीब आबादी इन्हीं देशों में निवास करती है. विश्व बैंक ने रिपोर्ट में बताया कि सब-सहारन अफ्रीका में महंगाई में 40 फीसदी हिस्सा फूड कंपोनेंट का है. चूंकि इन देशों में फूड इंफ्लेशन (Food Inflation) नाम मात्र का है, इस कारण इनकी क्रय शक्ति में सुधार आया है.

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भारत में भी कम हुई गरीबी, कोविड से नुकसान

भारत की बात करें तो पिछले कुछ सालों में गरीबों की संख्या में कमी आई है. साल 2011 से 2019 के दौरान गरीबी रेखा से नीचे के लोगों (BPL) की संख्या 12.3 फीसदी कम हुई है. भारत में गरीबों की संख्या कम होने का मुख्य कारण ग्रामीण इलाकों में गरीबी कम होना है. ग्रामीण भारत (Rural India) में बेहद गरीब लोगों की संख्या इस दौरान आधी हो गई और 10.2 फीसदी पर आ गई. हालांकि कोविड महामारी ने गरीबी के खिलाफ विश्व की लड़ाई पर काफी बुरा असर डाला. कई रिपोर्ट बताते हैं कि महामारी ने भारत समेत दुनिया भर में करोड़ों ऐसे लोगों को गरीबी रेखा के दायरे में धकेल दिया, जो बीते सालों के प्रयासों से 'बेहद गरीबी' के दायरे से बाहर निकल पाने में सफल हुए थे. इनके अलावा मध्यम वर्ग के भी करोड़ों लोग महामारी के कारण 'बेहद गरीब' हो गए.

 

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