आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी AI का चलन दुनियाभर में जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए नौकरियों पर भी खतरा मंडरा रहा है. इसकी वजह है कि अब ज्यादातर कामों में AI का इस्तेमाल किया जा रहा है. कंपनियां कारोबार के विस्तार में इसका इस्तेमाल लगातार बढ़ा रही हैं. कई काम तो ऐसे भी हैं जो पूरी तरह से AI को सौंप दिए गए हैं. बीते दिनों इनवेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैश की रिपोर्ट में भी AI से दुनियाभर में 30 करोड़ नौकरियों के जाने की आशंका जताई गई थी.
अमेरिका-यूरोप में सबसे ज्यादा नौकरियां जाएंगी!
इस आंकड़े से सबसे ज्यादा असर अमेरिका और यूरोप में होने की आशंका है जहां पर एक चौथाई तरह के काम AI संभाल सकता है. हालांकि AI की वजह से कई नई तरह की नौकरियां भी आएंगी और प्रॉडक्टिविटी में भी इससे सुधार हो सकता है. खासकर जेनरेटिव AI तो बहुत ही क्रांतिकारी है क्योंकि ये इंसान की तरह ही कंटेंट क्रिएट कर सकता है.
AI के निशाने पर हैं 10 तरह की नौकरियां!
AI इंसानों के मुकाबले बेहतर तरीके से काम कर सकता है. ऐसे में इसका खामियाजा आने वाले वक्त में कई सेक्टर्स के लोगों को उठाना पड़े सकता है. AI के बढ़ते दखल से जिन सेक्टर्स की नौकरियों पर सबसे ज्यादा खतरा है उनमें शामिल हैं. सॉफ्टवेयर डेवलपर्स जहां पर AI कम समय में ज्यादा तेजी से काम कर सकता है और इसमें गलतियों की गुंजाइश भी काफी कम है. ग्राफिक डिजाइनिंग के सेगमेंट में भी AI से नौकरियों जाने की भरपूर आशंका है, क्योंकि ये तेजी से ज्यादा बेहतर काम कर सकता है. इसके अलावा लीगल एंड अकाउंटिंग सर्विस, फाइनेंस, मीडिया, मार्केट रिसर्च एंड एनालिसिस, एचआर रिक्रूटमेंट, टीचर्स, ट्रांसलेटर और कस्टमर सर्विस सेगमेंट में नौकरियों पर कहर बनकर टूट सकता है.
AI के बढ़ते दायरे से सैलरी कट का खतरा
AI से नौकरियों पर मंडराते खतरे के साथ वेतन घटने की भी आशंका है. इसकी मिसाल जीपीएस टेक्नोलॉजी और उबर के आने से ड्राइवरों की सैलरी में कटौती के साथ जोड़कर देखी जा रही है. इससे ड्राइवर्स की तनख्वाह में 10 फीसदी तक की कमी हुई थी. हालांकि यहां पर असर सैलरी कट तक ही सीमित था और इससे ड्राइवर्स की संख्या में कमी नहीं आई थी. ऐसे में अनुमान है कि जेनरेटिव AI की वजह से क्रिएटिव कामों पर इसी तरह का असर आने वाले समय में देखने को मिल सकता है.
AI के खतरे से निपटने को सरकारें तैयार
AI से रोजगार घटने की आशंका तमाम देशों की सरकारों को है. यही वजह है कि चैटजीपीटी जैसे एआई-इनेबल्ड स्मार्ट टेक प्लेटफॉर्म्स पर लगाम कसने की तैयारी की जा रही है. अलग अलग देशों की सरकारें इस बात पर चर्चा कर रही हैं कि किस तरह से इस पर लगाम लगाई जाए. भारत सरकार में भी इस पर मंथन जारी है और सरकार इसके लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने पर विचार कर रही है. भारत में इस बारे में जो भी कानून बनाया जाएगा वो दूसरे देशों के कानूनों को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर लगाम लगाएगी सरकार
G7 देशों के डिजिटल मंत्री भी इस मुद्दे पर गंभीरता से माथापच्ची कर रहे हैं कि इसके लिए किस तरह का रेगुलेटरी फ्रेमवर्क होना चाहिए. यही वजह है कि इस अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर अलग अलग देशों के बीच विचारों का आदान-प्रदान चल रहा है. इससे जुड़े एप्स को लेकर मौजूद चिंताओं में IPR, कॉपीराइट और अलगॉरिद्म का मुद्दा शामिल है. ऐसे में सभी देश विचार कर रहे हैं कि क्या इसपर एक को-ऑपरेटिव फ्रेमवर्क बनाया जाए?
चैट जीपीटी जैसे एप्स को कंट्रोल करने की तैयारी
दरअसल, ये सारी चर्चा चैटजीपीटी के हिट होने के बाद होने लगी है. चैटजीपीटी को स्टार्टअप कंपनी ओपनएआई ने विकसित किया है. इसे पिछले साल के आखिर में लॉन्च किया गया था और पहले 5 दिन में ही इसके 10 लाख से ज्यादा यूजर बन गए थे. माइक्रोसॉफ्ट ने इस कंपनी में अरबों डॉलर का निवेश किया है और अपने प्रॉडक्ट्स में इस टेक्नोलॉजी को इंटिग्रेट किया है. गूगल भी अपना जेनेरेटिव एआई टूल Bard विकसित कर रहा है. ऐसे में दुनियाभर के रेगुलेटर्स इस तरह की टेक्नोलॉजी की बढ़ती लोकप्रियता, स्वीकार्यता और बढ़ते चलन से परेशान हैं. उन्हें चिंता है कि इससे लोगों को गुमराह किया जा सकता है, फर्जी खबरें फैलाई जा सकती हैं, कॉपीराइट का उल्लंघन किया जा सकता है
और लाखों की संख्या में लोगों को नौकरियों से निकाला जा सकता है.
दुनियाभर में कंट्रोल के लिए कानून बनाने पर माथापच्ची
यूरोपियन और अमेरिकन रेगुलेटर्स इस तरह की स्मार्ट टेक्नोलॉजी पर लगाम कसने के लिए कानून बनाने पर पहले से ही विचार कर रहे हैं. ओपनएआई के सीईओ ने अमेरिकी संसद में अपनी पेशी में बयान दिया है कि पावरफुल एआई सिस्टम के खतरों को कम करने के लिए सरकार का रोल सबसे खास होगा. उन्होंने कहा, 'लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि टेक्नोलॉजी के एडवांस होने से उनका जिंदगी जीने का तरीका बदल जाएगा. इसे लेकर दुनियाभर की तरह हम भी इससे चिंतित है.'
AI से रोजगार को होने लगा नुकसान
IBM में AI कम से कम 7800 लोगों की जगह लेगा. IBM के मुताबिक कंपनी का अनुमान है कि आने वाले बरसों में AI के साथ बदले जा सकने वाले रोल्स के लिए हायरिंग रोक दी जाएगी. इसके असर से एचआर और अकाउंटिंग जैसे बैक-ऑफ़िस फ़ंक्शंस में नौकरियों पर सबसे ज्यादा गाज गिरेगी. IBM मौजूदा समय में ग्लोबल लेवल पर करीब 2.6 लाख कर्मचारियों को रोजगार देता है. इनमें से एक तिहाई भारत में हैं.
AI के गॉडफादर ने इसे बताया अपनी 'भूल'!
AI के गॉडफादर माने जाने वाले जॉर्ज हिंटन ने पिछले महीने गूगल में अपनी नौकरी छोड़ दी थी. हिंटन ने AI को मानवता के लिए वरदान की जगह खतरा करार दिया है. उन्होंने कहा कि इससे बड़ी संख्या में नौकरियां खत्म हो जाएंगी और समाज में तेजी से गलत सूचनाएं फैलेंगी.
एआई आधारित कई प्रोडक्ट को विकसित करने में हिंटन की अग्रणी भूमिका रही है. उन्होंने गूगल के AI विकसित करने के प्रोजेक्ट पर करीब एक दशक तक काम किया लेकिन अब उन्होंने इस तकनीक के खतरों के बारे में आगाह किया है. उन्होंने इसको विकसित करने को अपनी भूल माना है. लेकिन ये भी कहा है कि अगर वो ना करते तो कोई और इसको करता.
AI के बढ़ते दखल से वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम चिंतित
इसके पहले वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम ने AI के इस्तेमाल से 5 साल में 2 फीसदी नौकरियों में कमी आने की आशंका जताई थी. WEF के मुताबिक 2027 तक टेक्नोलॉजी और डिजिटाइजेशन से 1.4 करोड़ नौकरियां के खत्म होने का अनुमान है. गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने AI के दुनिया पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता जताते हुए कहा था कि इससे सभी कंपनियों के सभी प्रोडक्ट्स प्रभावित होंगे. उन्होंने चेतावनी दी कि AI Technology के लिए समाज को सामूहिक रूप से तैयार करने की जरूरत है।
AI में तेजी से बढ़ी जॉब सर्च!
पिछले 5 साल में जॉब प्लेटफॉर्म्स पर AI सेक्टर में नौकरी खोजने वालों की तादाद में 158 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है. मार्च 2018 के मुकाबले generative AI और large language मॉडल्स में नौकरी खोजने की तादाद 89 फीसदी बढ़ी है. गोल्डमैन सैश के मुताबिक AI में अलग अलग क्षेत्रों के 26 फीसदी काम को ऑटोमेटेड करने की क्षमता है. वहीं हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के मुताबिक AI में क्रिएटिव और मार्केटिंग सेगमेंट में दखल देने की क्षमता है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने AI से मशीन लर्निंग विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, डेटा एनालिस्ट और डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन विशेषज्ञों के रोल लेने का अनुमान जताया है.
भारत में AI का बड़ा टैलेंट पूल
भारत में AI के लिए टैलेंट पूल होने से मुमकिन है कि इन नौकरियों के लिए भारतीयों को बड़ी संख्या में मौके मिल सकते हैं. AI सेगमेंट में नौकरियां खोजने का ये ट्रेंड भारत के साथ ही दूसरे देशों में भी देखा जा रहा है. सिंगापुर में AI में नौकरियां खोजने की रफ्तार 94.7 फीसदी बढ़ी है. अमेरिका में सॉफ्टवेयर डेवलपर्स की डिमांड में 30 परसेंट बढ़ोतरी हुई है.