पटना के व्यापारी गोपाल खेमका हत्याकांड में पुलिस की लापरवाही उजागर होने के बाद बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की गई है. गांधी मैदान थाने के SHO राजेश कुमार को निलंबित कर दिया गया है. यह कार्रवाई पटना के IG द्वारा, पटना SSP की सिफारिश पर की गई. SHO पर आरोप है कि खेमका की हत्या के करीब डेढ़ घंटे बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, जिससे जांच और कार्रवाई में देरी हुई.
हत्या के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने तीन टीमों का गठन किया था - स्पेशल टास्क फोर्स (STF), CID और स्थानीय पुलिस टीम. त्वरित जांच में चार दिनों के भीतर शूटर उमेश यादव को गिरफ्तार कर लिया गया था. वहीं, 8 जुलाई को इस केस से जुड़े दूसरे आरोपी विकास उर्फ राजा की एक मुठभेड़ में मौत हो गई. साथ ही हत्या का मास्टरमाइंड माने जा रहे लोहे के व्यापारी अशोक साव को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
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4 जुलाई को घर के पास की गई थी खेमका की हत्या
गोपाल खेमका की 4 जुलाई को हत्या कर दी गई थी. वह 11.4 बजे गांधी मैदान के पास अपने आवास के पास थे जब शूटरों ने उनपर ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी थी. वह बांकीपुर स्थित क्लब से लौट रहे थे, तभी उनका पीछा कर रहे दो संदिग्धों ने शूटरों को इशारा किया जिन्होंने उनपर गोलियां बरसाई.
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जमीन विवाद हत्या की वजह- एसएसपी
पटना पुलिस की अब तक की जांच में मामला जमीन विवाद से जुड़ा पाया गया है. मसलन, पटना के एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने बीते दिनों बताया था, "अभी तक जो मामला सामने आया है वो जमीन विवाद का है, और भी कई वजहें हैं जिन पर हम जांच चल रही है." उन्होंने बताया था कि विवाद से जुड़े कई ऑडियो क्लिप भी बरामद किए गए और विवाद भी सिर्फ एक जमीन का नहीं है, बल्कि कई सारी जमीनों को लेकर मामला चल रहा था.