संगम में घुटनों पर बैठ डुबकी लगा रहे लोग, तेजी से सूख रही गंगा... हर दिन 2 CM घट रहा वाटर लेवल

प्रयागराज के संगम तट पर साल के बारह महीने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन गंगा के घटते जलस्तर से यहां आने वाला हर कोई हैरान है. गंगा और यमुना के मिलन स्थल होने के कारण पहले जहां हमेशा पर्याप्त पानी रहता था. वहां अब इतना पानी भी नहीं है कि लोग गंगा में डुबकी लगा सके. पर्यावरण के जानकार इसे गंगा के अस्तित्व को लेकर बड़ी चेतावनी बता रहे हैं.

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वाराणसी में गंगा का घटता जलस्तर वाराणसी में गंगा का घटता जलस्तर

आनंद राज / रोशन जायसवाल

  • प्रयागराज/वाराणसी,
  • 13 जून 2024,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST

देश के उत्तरी भाग में गर्मी पड़ रही भीषण गर्मी के चलते नदी, नाले, तालाब और पानी के सोते तो सूख ही रहे हैं, साथ ही बड़ी नदियों में भी पानी का स्तर  नीचे चला गया है. संगम नगरी प्रयागराज में गंगा नदी का हाल भी कुछ ऐसा है. यहां कुंभ और माघ मेला के अलावा साल भर देश भर से आये श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना करते हैं. अब संगम तट पर श्रद्धालुओं के स्नान के लिए जो स्थान तय था वहां डुबकी लगाने भर का पानी नहीं है.

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आलम ये है कि संगम तट स्नान करने पहुंचने वाले श्रद्धालु घुटनों के बल पर बैठकर या लेट कर स्नान कर रहे हैं. गंगा के जलस्तर में आई इस कमी की वजह से श्रद्धालु निराश हो रहे हैं. खासकर वो श्रद्धालु जो सैकड़ों किलोमीटर से पुण्य स्नान की कामना लिए संगम तट पहुंचे थे. लेकिन गंगा आस्था का केंद्र है. हर कोई संगम में स्नान करने के बाद पूजा अर्चना कर रहा है, लेकिन इस घटते जलस्तर से दुखी भी है.

जानकार बता रहें गंभीर चेतावनी
पर्यावरण के जानकार गंगा की धारा के कमजोर होने से बेहद परेशान हैं, वो इसे ग्लेशियर के पिघलने और पर्यावरण से खिलवाड़ का नतीजा बता रहे हैं. पर्यावरणविद प्रोफेसर एस सिद्दिकी के मुताबिक तापमान और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के चलते ग्लेशियर और बर्फ के पहाड़ खत्म हो रहे हैं, जो कि गंगा जैसी नदियों के आधार हैं और अगर वक्त रहते हम चेते नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब एक मात्र जीवित देवी गंगा भी विलुप्त हो जाएं.

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गंगा पर बांध से अस्तित्व पर खतरा
प्रो. सिद्दिकी ने बताया कि गंगा पर बनाये गए बांध और परियोजनाओं के चलते भी अब गंगा की धारा में अब पहले जैसा प्रवाह नही रहा लेकिन पर्यावरण और प्रकृति से खिलवाड़ कर हम सब कुछ नष्ट कर देंगे. यही नहीं प्रोफेसर सिद्दीकी  यह भी कहते हैं यह मौसम के बदलाव की वजह से भी होता है और जून के महीने में  इस तरह की चीज नजर भी आती हैं.

तट पर कुंभ मेला को लेकर जलस्तर ध्यान देना जरूरी
यूपी के प्रयागराज के संगम तट पर 2025 में कुंभ मेले का आयोजन होना जिसके लिए सरकार ने हज़ारों करोड़ रुपये का बजट दिया है और बड़े विकास काम लगातार जारी है. लेकिन अगर गंगा ही न रही तो न तो कुंभ का आयोजन होगा, न माघ मेले का. गंगा केवल हमारी स्मृतियों में शेष रह जाएंगी. इसलिए घटते जल स्तर पर सभी को ध्यान देना चाहिए.

प्रतिदिन घट रहा 2 सेंटीमीटर जलस्तर
इधर, वाराणसी में गंगा का जलस्तर प्रतिदिन एक सेंटीमीटर से लेकर 2 सेंटीमीटर की रफ्तार से घटता चला जा रहा है. आलम यह है कि अगर गंगा का जलस्तर 3 फीट और नीचे गया तो गंगा किनारे लगे हुए पंपिंग स्टेशन जो गंगा से पानी खींचकर आधे बनारस को सप्लाई करते हैं. वह ठप पड़ जाएंगी और बनारस में जल संकट खड़ा हो जाएगा. 16 जून को गंगा दशहरा के पहले इस जलीय आपदा के संकेत को समझते हुए जलकल, नगर निगम और जिला प्रशासन ने बकायदा कानपुर के रामगंगा बैराज से पानी छोड़ने के लिए पत्र भी लिख दिया है.

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पिछले साल के न्यूनतम स्तर पर अभी ही पहुंची गंगा
अभी जून के दूसरे सप्ताह में ही गंगा का जलस्तर पिछले साल के न्यूनतम 189 फीट तक जा पहुंचा है. अगर 2-3 फीट और नीचे यानी 186 फीट पर गंगा का जलस्तर गया, तो गंगा किनारे जलकल के लगे पंपिंग स्टेशन गंगा से पानी खींचने में असमर्थ हो जाएंगे. फिर लगभग आधे बनारस में जलीय संकट गहरा जाएगा. 

रामगंगा बैराज से पानी छोड़ने के लिए लिखा पत्र 
वाराणसी जलकल के महाप्रबंधक वीएन मौर्य ने बताया कि 2022 में इसी महीने गर्मी के वक्त वाराणसी का जलस्तर 193 फीट था. पिछली बार 15 जून तक 189 फीट हो गया था और वर्तमान समय में 189 फीट हो चुका है. इससे भी कम गंगा का जलस्तर दो-तीन फीट और नीचे जाएगा तो गंगा किनारे लगे पंपिंग स्टेशन से पानी को पंप करने में दिक्कत शुरू हो जाएगी. इसको लेकर मुख्य अभियंता रामगंगा सिंचाई विभाग कानपुर बैराज को पत्र लिखा गया है.

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