क्या अंतरिक्ष में औरत बच्चा पैदा कर सकती है... जानिए कैसा जोखिम है वहां?

अंतरिक्ष में बच्चा पैदा करना अभी सपना है, लेकिन वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं. माइक्रोग्रैविटी और रेडिएशन जैसे जोखिम इसे मुश्किल बनाते हैं, लेकिन गर्भ में भ्रूण का तैरना एक प्राकृतिक फायदा देता है. क्या भविष्य में अंतरिक्ष में जन्म संभव होगा?

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वैज्ञानिक पता कर रहे हैं कि क्या अंतरिक्ष में बच्चा पैदा किया जा सकता है. वैज्ञानिक पता कर रहे हैं कि क्या अंतरिक्ष में बच्चा पैदा किया जा सकता है.

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:57 PM IST

आजकल मंगल ग्रह पर मानव मिशन की तैयारी जोरों पर है. इससे जुड़े सवाल भी बढ़ रहे हैं. मंगल की यात्रा आने-जाने में इतना समय लगेगा कि कोई महिला गर्भवती हो सकती है. बच्चे को जन्म भी दे सकती है. लेकिन क्या अंतरिक्ष में गर्भावस्था सुरक्षित हो सकती है? 

जो बच्चा अंतरिक्ष में पैदा होगा, उसके साथ क्या होगा? ये सवाल सुनने में अजीब लग सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक इनका जवाब ढूंढ रहे हैं. आइए, समझते हैं कि अंतरिक्ष में बच्चा पैदा होने के क्या जोखिम हैं. ये कैसे मुमकिन हो सकता है.

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गर्भावस्था: पृथ्वी पर और अंतरिक्ष में

हममें से ज्यादातर लोग ये नहीं सोचते कि जन्म से पहले हम कितने जोखिमों से गुजरे. जैसे मानव भ्रूण में से करीब दो तिहाई या 66% हिस्सा गर्भ में ही खो जाता है, वो भी ज्यादातर पहले कुछ हफ्तों में, जब महिला को पता भी नहीं चलता कि वह गर्भवती है. ये तब होता है जब भ्रूण सही से नहीं बनता या गर्भाशय की दीवार में चिपक नहीं पाता.

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गर्भावस्था को एक चेन की तरह समझ सकते हैं, जिसमें हर स्टेप सही क्रम में और सफलता के साथ पूरा होना जरूरी है. पृथ्वी पर डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने इसकी संभावनाएं आंक ली हैं. लेकिन अंतरिक्ष में ये स्टेप्स कितने सुरक्षित होंगे... ये बताना मुश्किल है. 

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  • गर्भधारण: अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी (कम गुरुत्वाकर्षण) की वजह से गर्भधारण थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है. लेकिन एक बार भ्रूण गर्भाशय में चिपक जाए, तो गर्भ को बनाए रखने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी. 
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  • प्रसव: बच्चे को जन्म देना और उसकी देखभाल अंतरिक्ष में बहुत मुश्किल होगी. वहां गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, तो तरल पदार्थ तैरते हैं और लोग भी. इससे डिलीवरी और बच्चे की देखभाल धरती की तुलना में बहुत गंदा और जटिल हो सकता है.

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गर्भ में माइक्रोग्रैविटी का असर

हैरानी की बात है कि भ्रूण पहले से ही माइक्रोग्रैविटी जैसी स्थिति में रहता है. गर्भ में वह एमनियोटिक द्रव में तैरता है, जो उसे हल्का और सुरक्षित रखता है. अंतरिक्ष यात्रियों को वाटर टैंक में ट्रेनिंग इसी वजह से दी जाती है, ताकि वे वजनहीनता का अहसास कर सकें. तो गर्भ एक तरह से माइक्रोग्रैविटी सिम्युलेटर है. लेकिन गुरुत्वाकर्षण सिर्फ एक पहलू है, असली खतरा कुछ और है.

रेडिएशन: अंतरिक्ष का बड़ा खतरा

पृथ्वी के बाहर सबसे खतरनाक चीज है कॉस्मिक किरणें. ये हाई-एनर्जी कण होते हैं, जो लगभग प्रकाश की गति से अंतरिक्ष में दौड़ते हैं. ये वो परमाणु हैं जिनके इलेक्ट्रॉन निकल गए हैं. सिर्फ प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का घना हिस्सा बचा है. जब ये मानव शरीर से टकराते हैं, तो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं.

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  • पृथ्वी पर सुरक्षा: धरती का मोटा वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र हमें इन किरणों से बचाते हैं.  
  • अंतरिक्ष में खतरा: अंतरिक्ष में ये सुरक्षा नहीं होती. जब ये किरणें शरीर से गुजरती हैं, तो वे परमाणुओं से टकराकर इलेक्ट्रॉन निकाल सकते हैं और कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. अगर ये DNA से टकराएं, तो कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.

गर्भावस्था के पहले हफ्तों में भ्रूण की कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं. इस वक्त एक कॉस्मिक किरण का सीधा वार भ्रूण को मार सकता है. अगर ऐसा होता है, तो शायद मिसकैरेज हो जाए, जिसका पता भी नहीं चलेगा.

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गर्भावस्था में रेडिएशन के जोखिम

जैसे-जैसे गर्भ बढ़ता है, खतरे बदल जाते हैं. पहले तीन महीने के बाद प्लेसेंटा बन जाता है, जो मां और बच्चे के बीच खून का रास्ता जोड़ता है. इसके बाद बच्चा और गर्भाशय तेजी से बढ़ते हैं. अगर कॉस्मिक किरण गर्भाशय की मांसपेशियों से टकराए, तो यह संकुचन पैदा कर सकता है.

प्रीमैच्योर डिलीवरी का कारण बन सकता है. धरती पर भी गर्भावस्था और प्रसव में जोखिम होते हैं, लेकिन अंतरिक्ष में ये जोखिम और बढ़ जाते हैं. फिर भी, ये पूरी तरह असंभव नहीं हैं.

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जन्म के बाद का विकास

बच्चा अंतरिक्ष में पैदा होने के बाद भी माइक्रोग्रैविटी में बढ़ेगा, जो उसके शारीरिक विकास को प्रभावित कर सकता है. जैसे सिर उठाना, बैठना, रेंगना और चलना जैसे रिफ्लेक्स गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करते हैं. अंतरिक्ष में "ऊपर-नीचे" का अहसास न होने से ये स्किल्स अलग तरह से विकसित हो सकती हैं.

रेडिएशन का खतरा भी खत्म नहीं होता. बच्चे का दिमाग जन्म के बाद भी बढ़ता है. लंबे समय तक कॉस्मिक किरणों के संपर्क में रहने से दिमाग को नुकसान हो सकता है. इससे याददाश्त, व्यवहार और लंबी सेहत पर असर पड़ सकता है.

क्या अंतरिक्ष में बच्चा पैदा हो सकता है?

थ्योरी में हां, लेकिन अभी तक हम इसके लिए तैयार नहीं हैं. जब तक हम भ्रूण को रेडिएशन से बचा नहीं सकते. प्रीमैच्योर बर्थ रोक नहीं सकते. माइक्रोग्रैविटी में बच्चे के सुरक्षित विकास की गारंटी नहीं ले सकते. तब अंतरिक्ष में गर्भावस्था एक जोखिम भरा प्रयोग रहेगा.

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