कभी सरकार, कभी विपक्ष तो कभी ज्यूडिशरी… तीन साल के कार्यकाल में सबने देखे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के सख्त तेवर

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन के समाप्ति के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है. अपने त्यागपत्र में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है और बताया कि डॉक्टर्स की सलाह पर उन्होंने यह निर्णय लिया है.

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 अपने बयानों और फैसलों के चलते सुर्खियों में रहे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपने बयानों और फैसलों के चलते सुर्खियों में रहे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:54 PM IST

संसद का मानसून सत्र आज (सोमवार) से शुरू हो गया है. इस बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है. अपने त्यागपत्र में उन्होंने लिखा है कि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से डॉक्टर्स की सलाह पर पद छोड़ रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेखन के माध्यम से आर्टिकल 67(a) के तहत इस्तीफा सौंपा है. 

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आइए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति के तौर पर उनका करीब तीन साल का कार्यकाल कैसा रहा.

6 अगस्त 2022 को जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की मार्गरेट अल्वा को हराया था. धनखड़ ने 725 में से 528 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. 11 अगस्त 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा शपथ ग्रहण कर राज़्यसभा के सभापति के रूप में कार्यभार संभाला. 

जगदीप धनखड़ 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी के साथ (Photo:PTI)


उपराष्ट्रपति के वो टिप्पणी जिसकी वजह से सुर्खियों में रहे

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सवाल


जनवरी 2023 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की 'मूल संरचना सिद्धांत' के पुनरावृत्ति के संदर्भ में बयान दिया था जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया था. उन्होंने कहा था, 'संसद के बनाए काननों को अगर अदालत रोक देती है तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा होगा'.

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विपक्ष ने उपराष्ट्रपति के बयान पर केंद्र सरकार पर हमला बोला. विपक्ष ने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि, 'उपराष्ट्रपति संवैधानिक मर्यादाओं को तोड़ रहे हैं.'

जगदीप धनखड़ ने अदालत द्वारा कानूनों पर रोक लगाए जाने पर की थी सख्त टिप्पणी (Photo: PTI)

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वहीं टीएमसी की ओर से कहा गया, यह व्यक्ति बीजेपी का एजेंडे को चला रहा है. 

छात्र राजनीति पर टिप्पणी

मार्च 2023 में शैक्षणिक संस्थानों और छात्र राजनीति पर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि, 'कुछ विश्वविद्यालय देशविरोधी विचारधाराओं की शरणस्थली बन चुके हैं'.

उपराष्ट्रपति के इस बयान को जेएनयू और कुछ अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की ओर इशारा माना गया. विपक्ष दल, जैसे सीपीआई और सीपीएम ने उपराष्ट्रपति के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति की यह भाषा संघी एजेंडे की झलक देती है. छात्र संगठनों ने बयान वापस लेने की मांग की थी.

अधिवेशन में विपक्षी सांसदों को रोकने पर आरोप

दिसंबर 2023 में उपराष्ट्रपति धनखड़ पर अधिवेशन में विपक्षी सांसदों को रोकने का आरोप लगा था. विपक्षी दलों के नेताओं ने आरोप लगाया कि संसद के शीत सत्र में विपक्षी सांसदों के साथ पक्षपात किया जा रहा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि 'यह उपराष्ट्रपति नहीं, भाजपा प्रवक्ता की तरह बर्ताव कर रहे हैं.'

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21 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही का संचालन करते हुए


‘लोकतंत्र को खतरा’ वाला बयान

मई 2024 में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने ‘लोकतंत्र को खतरा’ वाला बयान दिया था. जिसे लेकर जमकर विवाद हुआ. उन्होंने कहा था, 'कुछ लोग लोकतंत्र को खत्म करने में लगे हैं, और उन्हें संसद में नहीं देशद्रोहियों के कटघरे में होना चाहिए.'

उपराष्ट्रपति धनखड़ का यह बयान इशारे के तौर पर विपक्ष की संसद में बहिष्कार रणनीति के संदर्भ में दिया गया. कई विपक्षी नेताओं ने असहमति जताते हुए कहा था कि लोकतंत्र में असहमति को दबाने की कोशिश है. 

CBI और ED के समर्थन में बयान

अक्टूबर 2024 में उन्होंने CBI और ED के समर्थन में बयान दिया था. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा था कि, 'CBI और ED पर सवाल उठाना भारत के न्यायिक तंत्र को कमजोर करता है.'

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उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस बयान को विपक्षी दलों ने जांच एजेंसियों की मनमानी कार्रवाई का समर्थन के तौर पर माना. 

आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा था कि CBI और ED की तरफदारी करना गलता है. केंद्रीय जाँच एजेंसियां विपक्ष को दबाने का औज़ार बन गई हैं.

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जगदीप धनखड़ के केंद्रीय एजेंसियों के समर्थन में दिया था बयान (Photo: PTI)

राज्यसभा अध्यक्ष के रूप में पक्षपात के आरोप

विपक्षी इंडिया गठबंधन ने आरोप लगाया कि धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही में पक्षपात किया और बीजेपी सदस्यों को प्राथमिकता दी जबकि विपक्ष की आवाज को दबाया. विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताते हुए उपराष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कदम करार दिया.

धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

10 दिसंबर 2024 को विपक्षी दलों — कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), डीएमके, समाजवादी पार्टी और वाम दलों के 60 से ज्यादा सांसदों ने संविधान के अनुच्छेद 67(ब) के तहत धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. प्रस्ताव में उन्हें सरकार का 'प्रवक्ता' कहा गया और निष्पक्षता की गंभीर कमी बताई गई.

विपक्षी दलों ने लाया था जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (Photo:PTI)

अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव खारिज

27 मार्च 2025 को कांग्रेस सांसद जयराम रमेश द्वारा गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ लाया गया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव धनखड़ ने खारिज कर दिया. अमित शाह ने आरोप लगाया था कि यूपीए शासनकाल में पीएमएनआरएफ (प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष) पर सोनिया गांधी का नियंत्रण था. धनखड़ ने 1948 के प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए इसे सत्यापित बयान बताया.

जया बच्चन बनाम धनखड़: गरिमा पर बहस

अगस्त 2024 में राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने धनखड़ की बोलने की शैली और हाव-भाव पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि उनका टोन अनुचित है. इसके जवाब में धनखड़ ने कहा कि 'आप सेलिब्रिटी हो सकते हैं लेकिन सदन की मर्यादा समझिए.'

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2 अगस्त, 2023 को मानसून सत्र के दौरान जगदीप धनखड़ जया बच्चन के सदन में बोलने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए (Photo:PTI)

यह भी पढ़ें: 'संविधान की प्रस्तावना बदल नहीं सकती, लेकिन आपातकाल में...', होसबले के बयान पर विवाद के बीच बोले उपराष्ट्रपति धनखड़

महिलाओं को बढ़ावा

धनखड़ ने राज्यसभा में पहली बार 'ऑल-वुमन पैनल ऑफ वाइस-चेयरपर्सन' का गठन किया. यह कदम नारी शक्ति वंदन विधेयक 2023 पर चर्चा के दौरान उठाया गया, जिससे महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिला.

भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम पर कड़ा रुख

जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई 2025 में दावा किया कि उन्होंने भारत-पाक संघर्षविराम कराया, तो धनखड़ ने भारत की संप्रभुता का जोरदार बचाव किया. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत को कोई भी ताकत यह नहीं बता सकती कि उसे क्या करना है.

किसानों की शक्ति और आत्मनिर्भरता

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर अपने ही सरकार को घेरा था. उन्होंने कहा था कि किसान संकट में है. किसानों से अगर वादा किया गया तो हम वादा पूरा करने के लिए क्या कर रहे हैं. 

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