बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित पिपरा एक सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है, जो पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. इसमें मेहसी, चकिया (पिपरा) और टेकटारिया प्रखंड शामिल हैं. यह सीट वर्ष 1957 में अस्तित्व में आई थी और 2008 तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे सामान्य वर्ग के लिए खोल दिया गया.
उल्लेखनीय है कि बिहार में सुपौल जिले में भी एक पिपरा नाम की विधानसभा सीट है, जिससे भ्रम की संभावना रहती है.
पिपरा का प्रारंभिक राजनीतिक इतिहास कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के प्रभुत्व का रहा है. कांग्रेस ने यहां से पांच बार जीत हासिल की, जबकि सीपीआई तीन बार विजयी रही. हालांकि, समय के साथ दोनों दल कमजोर होते गए और अब राजद गठबंधन का हिस्सा बन चुके हैं.
1990 और 1995 में जनता दल ने जीत दर्ज की, 2000 में राजद जीती, 2005 में भाजपा ने दो बार यह सीट अपने नाम की और 2010 में जदयू ने इसे जीत लिया. 2015 से भाजपा के श्यामबाबू प्रसाद यादव इस सीट पर काबिज हैं, लेकिन उनकी जीत का अंतर हमेशा सीमित और अस्थिर रहा है.
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के श्यामबाबू यादव ने सीपीएम के राजमंगल प्रसाद को 8,177 वोटों से हराया. उस वर्ष 59.08% मतदान दर्ज किया गया और कुल पंजीकृत मतदाता 3,39,434 थे. अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 53,936 (15.89%) और मुस्लिम मतदाता लगभग 41,071 (12.10%) थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाता संख्या बढ़कर 3,50,456 हो गई, लेकिन पिपरा में भाजपा की बढ़त घटकर मात्र 4,495 रह गई, जो 2019 के 52,027 वोट की बढ़त की तुलना में काफी कम है. इससे मतदाता मनोवृति में तेजी से बदलाव और चुनावी अंतर में कमी का संकेत मिलता है.
पिपरा की जातीय संरचना जटिल है और यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है- लगभग 90.52% मतदाता ग्रामीण इलाकों में निवास करते हैं. जीत का अंतर कम होने के कारण विपक्षी दलों को इस सीट पर अवसर दिखाई दे रहा है. हालांकि, मतदाता सूची में संभावित संशोधन से जनसांख्यिकीय परिदृश्य में बड़ा बदलाव आ सकता है.
पिपरा, बिहार के उत्तरी हिस्से में स्थित है और नेपाल सीमा के निकट है. यह मोतिहारी से लगभग 30 किमी, चकिया से 12 किमी, मेहसी से 15 किमी और पटना से लगभग 161 किमी दूर स्थित है. यह क्षेत्र गंगा के मैदानी भूभाग में आता है और यहां तालाब, नहरें और छोटी नदियां पाई जाती हैं जो सिंचाई में सहायक हैं. गंडक और बुढ़ी गंडक नदियां इस क्षेत्र की मिट्टी को उपजाऊ बनाती हैं.
यहां की मुख्य आर्थिक गतिविधि कृषि है जिसमें गन्ना, धान, मक्का, गेहूं और दालें प्रमुख हैं. कुछ क्षेत्रों में पटसन की खेती भी होती है. इसके अतिरिक्त मोती का बटन निर्माण और बकरी पालन जैसे लघु उद्योग ग्रामीण आय का पूरक साधन हैं. नेपाल के रक्सौल और सुगौली जैसे शहरों से निकटता व्यापार और संपर्क को बढ़ावा देती है. हालांकि, बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई अब भी बड़ी चुनौतियां हैं.
रेल संपर्क चौरादानो, मोतिहारी और मेहसी स्टेशनों से संभव है. सड़क नेटवर्क में सुधार हुआ है लेकिन आंतरिक क्षेत्रों में अभी भी खामियां हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं कार्यरत हैं लेकिन असमान रूप से फैली हुई हैं. राजनीतिक भागीदारी अच्छी है और मतदान प्रतिशत आमतौर पर 50% से ऊपर रहता है.
2025 विधानसभा चुनाव में BIHAR की PIPRA सीट पर BJP के प्रत्याशी Shyam Babu Prasad Yadav ने जीत दर्ज की. उन्होंने CPI(M) के उम्मीदवार Rajmangal Prasad को 10745 मतों से हराया. Shyam Babu Prasad Yadav को 110422 वोट मिले, जबकि CPI(M) के उम्मीदवार 99677 वोट ही प्राप्त कर सके.
(अजय झा)