बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित केसरिया विधानसभा क्षेत्र पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट के तहत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. यह सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित सीट है और इसकी स्थापना 1951 में हुई थी. वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद इस क्षेत्र का पुनर्गठन किया गया, जिसके तहत केसरिया प्रखंड, संग्रामपुर प्रखंड के कुछ हिस्से और कल्याणपुर
प्रखंड के कुछ भाग इसमें शामिल किए गए.
केसरिया का नाम केसरिया स्तूप के लिए प्रसिद्ध है, जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा और प्राचीनतम बौद्ध स्तूप माना जाता है. यह स्थान भगवान बुद्ध की अंतिम यात्रा से जुड़ा हुआ है, जो इसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है.
केसरिया, मोतिहारी से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण और पटना से 110 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. यह कल्याणपुर, संग्रामपुर और मेहसी जैसे कस्बों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है, जबकि सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन चकिया में है, जो करीब 25 किलोमीटर दूर है.
यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है. यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है, जहां धान, गेहूं और मक्का प्रमुख फसलें हैं. क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग नहीं है, लेकिन छोटे पैमाने का व्यापार और प्रवासी मजदूरों से प्राप्त धनराशि स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा देती है. क्षेत्र में आधारभूत संरचना का विकास सीमित है और कई हिस्सों में सड़क संपर्क अब भी कमजोर है.
2020 के विधानसभा चुनाव में केसरिया में कुल 2,67,733 पंजीकृत मतदाता थे. यह संख्या 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 2,72,436 हो गई. चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 के बाद 1,936 मतदाता क्षेत्र से बाहर चले गए. पिछले कुछ चुनावों में मतदाता मतदान प्रतिशत 55% से 57% के बीच स्थिर रहा है.
सामाजिक संरचना में अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी लगभग 11.4% (30,522 मतदाता), अनुसूचित जनजातियों की 0.35% (937 मतदाता) और मुस्लिम समुदाय की 13.9% (37,215 मतदाता) है. कुल मतदाताओं में शहरी मतदाता केवल 5% से कम हैं.
1951 से अब तक केसरिया में 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इसमें सबसे ज्यादा बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने 6 बार, और कांग्रेस ने 4 बार जीत दर्ज की है. जनता दल (यूनाइटेड) ने अब तक 3 बार, जिसमें एक बार समता पार्टी के रूप में, जीत हासिल की है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 2 बार, जबकि जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
हाल के चुनाव बहुकोणीय मुकाबलों से भरे रहे हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू की शालिनी मिश्रा ने राजद के संतोष कुशवाहा को 9,227 वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी. लोजपा और रालोसपा ने भी उल्लेखनीय वोट प्राप्त किए थे. वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राधामोहन सिंह ने केसरिया विधानसभा क्षेत्र में विपक्षी INDI गठबंधन के उम्मीदवार राजेश कुमार (VIP) को 20,892 वोटों से हराया था.
केसरिया विधानसभा क्षेत्र की एक विशेषता यह रही है कि यह स्पष्ट जनादेश देता है. 2020 में 9,227 वोटों का अंतर पिछले चार लोकसभा और तीन विधानसभा चुनावों में सबसे कम अंतर था.
जैसे-जैसे 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, NDA गठबंधन केसरिया में बढ़त की स्थिति में नजर आ रहा है. हालांकि राजद-कांग्रेस गठबंधन अभी भी प्रतिस्पर्धा में बना हुआ है, लेकिन उन्हें जीत के लिए अपने वोट बैंक को और मजबूत करना होगा. प्रशांत किशोर द्वारा स्थापित जन सुराज पार्टी भी कुछ क्षेत्रों में प्रभाव डाल सकती है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इसका असर किस दल के वोट बैंक पर पड़ेगा.
(अजय झा)