चिरैया विधानसभा क्षेत्र बिहार के पूर्वी चंपारण (पूर्वी) जिले में स्थित है. इसमें चिरैया और पताही प्रखंड शामिल हैं. यह क्षेत्र 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद अस्तित्व में आया और अब तक तीन विधानसभा चुनाव (2010, 2015 और 2020) देख चुका है. दिलचस्प बात यह है कि तीनों बार जीत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में गई.
पहले चुनाव में अवनीश कुमार सिंह ने राजद प्रत्याशी को 14,828 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. 2015 में भाजपा ने उन्हें टिकट न देकर लाल बाबू प्रसाद गुप्ता को उम्मीदवार बनाया. सिंह को नरेंद्र मोदी की पीएम पद की उम्मीदवारी का विरोध करने पर पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. इस बार गुप्ता ने सीट तो बचाई, लेकिन एनडीए से जदयू के अलग होने और राजद के साथ गठबंधन करने के कारण उनकी जीत का अंतर घटकर मात्र 4,374 वोट रह गया.
2020 में जदयू दोबारा एनडीए में लौट आया और गुप्ता ने राजद उम्मीदवार को 16,874 वोटों से पराजित किया. चिरैया की तस्वीर राष्ट्रीय चुनावों में भी लगभग वैसी ही रही. 2009 लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां से 21,888 वोटों की बढ़त मिली. 2014 में जदयू के अलग होने पर यह बढ़त घटकर 4,374 रह गई. 2019 में जदयू के एनडीए में लौटने के बाद भाजपा-जदयू गठबंधन को 54,972 वोटों की बड़ी बढ़त मिली. 2024 लोकसभा चुनाव में पूर्वी चंपारण सीट पर जदयू ने चुनाव लड़ा और चिरैया में 8,490 वोटों से बढ़त हासिल की.
2020 विधानसभा चुनाव में चिरैया में कुल 2,95,214 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें से 43,101 मुस्लिम मतदाता (14.60%) और 37,728 अनुसूचित जाति मतदाता (12.78%) शामिल थे. यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है और यहां शहरी मतदाता बिल्कुल नहीं हैं. 2020 में मतदान प्रतिशत 56.64% रहा.
चिरैया क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि प्रधान है. खेती ही लोगों का मुख्य पेशा है, लेकिन ग्रामीण बिहार की तरह यहां भी बुनियादी ढांचे और रोजगार की समस्याएं गहरी हैं. बागमती नदी यहां बहती है, जिसे किसान वरदान मानते हैं, लेकिन सालभर सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होने से परेशानी बनी रहती है. बरसात में तो मदद मिलती है, परंतु शेष समय पानी संग्रहण और वितरण की कमी रहती है.
रोजगार की तलाश में युवाओं का पलायन आम है. शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सार्वजनिक सेवाएं अब भी पिछड़ी हुई हैं और सड़क संपर्क भी कई जगह कमजोर है.
चिरैया भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित है. जिला मुख्यालय मोतिहारी (लगभग 25 किमी दक्षिण-पश्चिम) इसका प्रमुख प्रशासनिक व वाणिज्यिक केंद्र है.
ढाका (20 किमी उत्तर-पश्चिम), बैरगनिया (35 किमी उत्तर, नेपाल सीमा पर), सीतामढ़ी (60 किमी उत्तर-पश्चिम), रक्सौल (60 किमी उत्तर-पूर्व),केसरिया (40 किमी दक्षिण, प्राचीन बौद्ध स्तूप के लिए प्रसिद्ध), मुजफ्फरपुर (90 किमी दक्षिण-पश्चिम) और पटना (170 किमी दक्षिण-पश्चिम) प्रमुख कस्बे और शहर हैं. नेपाल की ओर, बीरगंज (60 किमी, रक्सौल मार्ग से), गौर (50 किमी उत्तर) और जनकपुर (80 किमी उत्तर) प्रमुख शहर हैं.
बीजेपी ने अब तक लगातार तीन बार यहां जीत दर्ज की है और जदयू के साथ गठबंधन इसे और मज़बूत करता है. 2025 चुनावों में भी भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जा रही है. जब तक कोई बड़ा राजनीतिक समीकरण नहीं बदलता या सत्ता-विरोधी लहर नहीं उठती, तब तक भाजपा के लिए चिरैया सीट चौथी बार जीतना लगभग तय माना जा रहा है.
(अजय झा)