नरकटिया बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट है. यह पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसमें बनजारिया, छौड़ादानो (नरकटिया) और बंकेठा जैसे समुदायिक विकास खंड शामिल हैं. इसे पश्चिम चंपारण जिले की नरकटियागंज सीट से भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए, जो वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती
है.
नरकटिया का भौगोलिक स्थान नेपाल सीमा के पास, पूर्वी चंपारण की उपजाऊ मैदानी जमीन में है. यह इलाका बूढ़ी गंडक नदी और उसकी सहायक धाराओं से प्रभावित है, जो समय-समय पर बाढ़ का कारण बनती हैं. कृषि यहां की मुख्य जीवनरेखा है, जहां धान, गेहूं, गन्ना और मक्का प्रमुख फसलें हैं. नदी किनारे की जमीन पर सब्जी की खेती भी आमदनी का एक अतिरिक्त स्रोत है.
यह क्षेत्र अभी भी ग्रामीण स्वरूप में है, हालांकि छोटे बाजार और व्यापारिक केंद्र इसकी गतिविधियों को संचालित करते हैं. चावल मिल, उर्वरक भंडार और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं कृषि व्यवस्था को सहारा देती हैं, लेकिन व्यापक औद्योगिक विकास अभी तक नहीं हो पाया है. मौसमी पलायन और दिहाड़ी मजदूरी आम है, और प्रवासी मजदूरों द्वारा भेजी गई रकमें स्थानीय परिवारों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
छौड़ादानो रेलवे स्टेशन नरकटिया को मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी-रक्सौल रेल लाइन से जोड़ता है. पास के प्रमुख शहरों में मोतिहारी (24 किमी), रक्सौल (49 किमी) और मेहसी (42 किमी) शामिल हैं. वहीं, नेपाल का बीरगंज शहर लगभग 55 किमी दूर है और सीमा पार व्यापार और आवाजाही के लिए प्रमुख मार्ग है.
2020 के विधानसभा चुनावों में नरकटिया में 2,87,950 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 77,170 मुस्लिम समुदाय से थे (लगभग 26.80%). 2024 के लोकसभा चुनावों तक यह संख्या बढ़कर 3,01,604 हो गई. मतदान प्रतिशत 2015 और 2020 दोनों ही चुनावों में एक समान 63.56% रहा, जो दर्शाता है कि मतदाता लगातार लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं.
नरकटिया में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदाताओं का रुझान भिन्न रहा है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 2015 से इस सीट पर मजबूत पकड़ बनाए रखी है. शमीम अहमद ने 2015 और 2020 दोनों ही बार जीत हासिल की, और 2020 में उन्होंने 27,191 मतों से विजय दर्ज की. राजद को 85,562 वोट मिले, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को 20,494 मत मिले, जो परिणाम को प्रभावित नहीं कर पाए.
वहीं, लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस क्षेत्र में लगातार बढ़त बनाए हुए है. 2024 में संजय जायसवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी मदन मोहन तिवारी पर 6,103 मतों की बढ़त बनाई, हालांकि यह बढ़त 2019 में उनके द्वारा ली गई 24,586 मतों की बढ़त की तुलना में काफी कम थी. 2014 में भी उनकी बढ़त 14,582 मतों की थी. ये आंकड़े दर्शाते हैं कि नरकटिया के मतदाता विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अलग-अलग सोच के साथ मतदान करते हैं.
2025 के विधानसभा चुनावों में अगर एनडीए एकजुट होकर मैदान में उतरती है, खासकर एलजेपी के पुनः गठबंधन में लौटने के बाद, तो मुकाबला कड़ा हो सकता है. 2020 में एलजेपी के अलग होने से एनडीए के वोट बंटे थे, जिसका फायदा राजद को मिला. हालांकि, राजद की जमीनी पकड़ और वफादार वोट बैंक को देखते हुए, नरकटिया अब भी एक ऐसा चुनावी मैदान है जहां हर वोट के लिए लड़ाई होगी.
(अजय झा)