ब्रह्मोस को मिलेगी नई ताकत... लखनऊ प्लांट में शुरू हुआ टाइटेनियम और सुपरएलॉय प्रोडक्शन

ब्रह्मोस की सफलता और लखनऊ का नया संयंत्र भारत के लिए गर्व की बात है. PTC इंडस्ट्रीज का टाइटेनियम प्लांट आत्मनिर्भरता की नई मिसाल है. ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया कि स्वदेशी हथियार दुनिया में अपनी जगह बना सकते हैं. आने वाले सालों में भारत न सिर्फ अपनी सेना, बल्कि दुनिया के लिए भी रक्षा उपकरणों का बड़ा स्रोत बन सकता है.

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ये है ब्रह्मोस मिसाइल की धातु बनाने वाली पीटीसी इंडस्ट्रीज. (Photo: ITG) ये है ब्रह्मोस मिसाइल की धातु बनाने वाली पीटीसी इंडस्ट्रीज. (Photo: ITG)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 8:45 AM IST

भारत की सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस ने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी ताकत दिखा कर दुनिया का ध्यान खींचा है. इस ऑपरेशन में ब्रह्मोस ने पाकिस्तान के आतंकवादी और सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार, अब 14 से ज्यादा देश इस मिसाइल में रुचि दिखा रहे हैं.

लखनऊ में हाल ही में शुरू हुआ एक नया ब्रह्मोस संयंत्र इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तैयार है. साथ ही, PTC इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने भारत का पहला निजी टाइटेनियम और सुपरएलॉय प्लांट शुरू किया है, जो ब्रह्मोस की ताकत को और मजबूत कर रहा है. 

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ऑपरेशन सिंदूर: ब्रह्मोस का कमाल

ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइल का पहली बार युद्ध में इस्तेमाल हुआ. यह मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से बनी है. इसने पाकिस्तान के ठिकानों पर सटीक प्रहार किए. इसकी गति ध्वनि की गति से तीन गुना तेज है, जो इसे दुश्मन की हवाई रक्षा से बचने में सक्षम बनाती है. इस ऑपरेशन की सफलता ने दुनिया को भारत के हथियारों की ताकत दिखाई और कई देशों ने ब्रह्मोस खरीदने की इच्छा जताई.

लखनऊ का नया संयंत्र: आत्मनिर्भर भारत की नींव

ऑपरेशन सिंदूर के बाद लखनऊ में ब्रह्मोस का एक नया उत्पादन और टेस्टिंग संयंत्र शुरू किया गया. यह उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (UPDIC) का हिस्सा है, जिसमें लखनऊ, कानपुर, आगरा जैसे छह प्रमुख केंद्र शामिल हैं. इस संयंत्र में सालाना 80 से 100 मिसाइलें बनाई जाएंगी. आने वाले समय में इसकी संख्या बढ़कर 150 तक हो सकती है. यह संयंत्र न सिर्फ मिसाइल बनाएगा, बल्कि उनका परीक्षण और एकीकरण भी करेगा.

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एक रणनीतिक सामग्री प्रौद्योगिकी परिसर (Strategic Materials Technology Complex) भी शुरू हुआ है, जिसमें चार अलग-अलग कारखाने हैं. ये कारखाने टाइटेनियम और सुपरएलॉय इंगोट, कास्टिंग, फोर्जिंग, और मशीनिंग पार्ट्स बनाते हैं, जो हवाई जहाज, मिसाइल और जेट इंजनों के लिए जरूरी हैं. इसमें प्राइमरी मेटल्स फैसिलिटी, कास्टिंग यूनिट (दुनिया की सबसे बड़ी टाइटेनियम कास्टिंग इकाइयों में से एक), फोर्जिंग यूनिट और प्रिसिजन मशीनिंग फैसिलिटी शामिल हैं.

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PTC इंडस्ट्रीज: भारत का गर्व

PTC इंडस्ट्रीज लिमिटेड भारत का पहला निजी कंपनी है, जो टाइटेनियम और सुपरएलॉय घटक बनाती है. इससे पहले सिर्फ पांच देश फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन इस तकनीक को जानते थे. अब भारत छठा देश बन गया है. PTC के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर सचिन अग्रवाल कहते हैं कि पहले हमें हवाई जहाज और पनडुब्बी के लिए सामग्री और पुर्जे दूसरे देशों से मंगवाने पड़ते थे. अब हम खुद यह बना सकते हैं, ताकि कोई देश हमें जरूरत के समय ब्लैकमेल न कर सके.

टाइटेनियम एक खास धातु है, जो इस्पात से हल्की लेकिन मजबूत होती है. यह गर्मी और दबाव सहन कर सकती है, जो मिसाइल, पनडुब्बी और जेट इंजनों के लिए जरूरी है. PTC न सिर्फ भारत, बल्कि फ्रांस की दसॉल्ट कंपनी (राफेल लड़ाकू विमान के लिए) सहित कई देशों को सुपरएलॉय सप्लाई कर रहा है.

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आत्मनिर्भरता की राह

भारत सरकार का लक्ष्य रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना है. रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान सप्लाई चेन में आई दिक्कतों ने भारतीय सेना को प्रभावित किया था, इसलिए अब स्वदेशी हथियारों और उपकरणों पर जोर है. तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने कहा है कि भविष्य का युद्ध स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगा. लखनऊ का यह संयंत्र न सिर्फ रोजगार (25,000 से ज्यादा नौकरियां) देगा, बल्कि भारत को रक्षा निर्यात में भी मजबूत बनाएगा.

बढ़ती वैश्विक मांग

ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस की मांग तेजी से बढ़ी है. फिलीपींस पहले ही मिसाइल खरीद चुका है. वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे देश भी रुचि दिखा रहे हैं. सचिन अग्रवाल कहते हैं कि अगर मांग बढ़ी, तो हम टाइटेनियम के और पुर्जे बनाएंगे, ताकि भारत दुनिया की जरूरतें पूरी कर सके. यह संयंत्र भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में अहम खिलाड़ी बनाएगा.

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