देश में हर रोज हो रहे हैं 34 बैंक फ्रॉड, खतरे में 20 फीसदी संपत्ति

इन फ्रॉड्स में बैंक ऑफ महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 3,893 फ्रॉड के मामले सामने आए वहीं रुपये में सबसे बड़ा नुकसान पंजाब नेशनल बैंक को 2810 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. बैंक फ्रॉड के ये मामले अप्रैल 2016 से लेकर मार्च 2017 तक के हैं. जाहिर है इन आंकड़ों में पंजाब नेशनल बैंक का हाल में सामने आया घोटाला शामिल नहीं है.

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कैसे घोटाला मुक्त होंगे भारतीय बैंक कैसे घोटाला मुक्त होंगे भारतीय बैंक

राहुल मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 5:28 PM IST

देश के बैंकिंग क्षेत्र में वित्त वर्ष 2017 के दौरान कुल 12,553 फ्रॉड के मामले सामने आए. इन सभी फ्रॉड में देश के बैंकिंग क्षेत्र को कुल 18,170 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इन फ्रॉड्स में बैंक ऑफ महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 3,893 फ्रॉड के मामले सामने आए वहीं रुपये के मामले में सबसे बड़ा नुकसान पंजाब नेशनल बैंक को 2810 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक फ्रॉड के ये मामले अप्रैल 2016 से लेकर मार्च 2017 तक के हैं. जाहिर है इन आंकड़ों में पंजाब नेशनल बैंक का हाल में सामने आया घोटाला शामिल नहीं है.

वित्त वर्ष 2017 में भारतीय बैंकों में घोटालों की संख्या और रकम

एडवाइजरी सर्विसेज की इस वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक जहां कुछ बैंकों में घोटले की रकम कम है लेकिन घोटालों की संख्या अप्रत्याशित तौर पर अधिक है. इसका साफ आशय है कि देश के बैंकिंग क्षेत्र में आंतरिक वित्तीय कंट्रोल की व्यवस्था को जल्द से जल्द दुरुस्त करने की जरूरत है.

भारतीय बैंकों में इतने बड़े स्तर पर हो रहे वित्तीय घोटाले मुफ्त में नहीं हो रहे हैं. इन घोटालों में शामिल रकम के अलावा बैंक पर अलग से वित्तीय दबाव पड़ता है. उदाहरण के लिए यदि बैंक ऑफ महाराष्ट्र में फ्रॉड की कुल रकम उसके कुल एसेट का 1.02 फीसदी है. वहीं, इसे बैंक के वार्षिक एनपीए में जोड़ा जाए तो बैंक के कुल एसेट का लगभग 20 फीसदी प्रति वर्ष खतरे में रहता है. यह खतरा महज कमजोर वित्तीय कंट्रोल और घटिया ड्यू डिलिजेंस के चलते है.

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गौरतलब है कि बैंक फ्रॉड के चलते होने वाले नुकसान और एनपीए में हो रहे इजाफे के अलावा भी बैंकों को इस फ्रॉड की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. इतने बड़े स्तर पर होने वाले फ्रॉड के चलते सभी बैंकों को एक बड़ी रकम वार्षिक आधार पर ऑडिट कराने में भी खर्च करनी पड़ती है.

लेकिन इस बड़ी ऑडिट फीस के बावजूद देश के सरकारी बैंकों में फ्रॉड की संख्या प्रति वर्ष बेलगाम भागती है. उदाहरण के लिए पंजाब नेशनल बैंक की देशभर में फैली शाखाओं के अलग-अलग ऑडिट कराना, सैकड़ों की संख्या में ऑडिटर्स को रखना और आरबीआई द्वारा तय मानक पर इनका भुगतान करना बैंक के लिए परेशानी का सबब भी बनता है.

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इस खर्च के बावजूद बैंक की ऑडिट क्वालिटी में सुधार देखने को नहीं मिलता और प्रति वर्ष फ्रॉड की संख्या में इजाफा देखने को मिलता है. लिहाजा, जानकारों का मानना है कि इस स्थिति में बैंकों को चाहिए कि अपनी ऑडिट व्यवस्था को पुख्ता करें और कर्ज देने की व्यवस्था को सख्त करें जिससे कर्ज देने से पहले ग्राहक की सही क्षमता को आधार बनाकर ही कर्ज दिया जाए.

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