देशभर के अधिकतर राज्यों में गर्मी का एहसास होने लगा है.वहीं, अचानक बढ़े तापमान के चलते किसानों की चिंता भी बढ़ गई है. तापमान बढ़ते ही धान की फसल में रोग लगने की संभावना भी बढ़ जाती है. हाल ही में ओडिशा के संबलपुर जिले में किसानों के खेतों में रबी धान की फसल में तना छेदक कीट का प्रकोप देखा गया है, जिससे फसल को नुकसान हो रहा है. इससे किसानों को फसल खराब होने का डर सता रहा है.
क्या है तना छेदक रोग?
तना छेदक कीट चावल के दानों के समान सफेद रंग का कीट होता है. इसका चेहरा काला या भूरा होता है.इस कीट का प्रकोप गर्म और आर्द्र जलवायु में अधिक होता है.तना छेदक कीट तने को अंदर से खाता है जिससे तना सूखा दिखाई देने लगता है.इसके बाद तना पीला पड़ जाता है.कुछ दिनों के बाद पौधा लाल हो जाता है और फिर पूरी तरह सूख जाता है. इससे धान के उत्पादन को नुकसान होता है और उत्पादन भी बहुत कम होता है.
इस रोग से कैसे करें फसलों का बचाव?
>जुलाई के प्रथम पखवाड़े तक धान की बुआई कर देनी चाहिए.
>बुआई के 15 दिन बाद नर्सरी में एग्रोनिल-जीआर को फिप्रोनिल 0.3% जीआर घटक के साथ 1 किलोग्राम प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से रेत में मिलाकर दें.
>फसल में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए. फसल में यूरिया खाद के स्थान पर अमोनियम सल्फेट का प्रयोग करें.रोपाई से पहले पौधे के ऊपरी हिस्से को काटकर उसकी रोपाई करें.
>वयस्क पतंगों को आकर्षित करने के लिए इस किट के गंध लूप जाल का उपयोग करें. और यदि संभव हो तो लाइट ट्रैप भी लगा सकते हैं.
>रोपाई के बाद, फसल की अवस्था के अनुसार अमेज-एक्स 80 ग्राम या फेम 60 मिली या कोराजन 60 मिली, ताकुमी 100 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें.