चारकोल यानी लकड़ी का कोयला, आप इसका इस्तेमाल खाद के तौर पर भी कर सकते हैं. चारकोल या बायोचार खेती में बड़ा लाभ दे सकता है और इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है. आप चाहें तो इसे घर पर बना सकते हैं या बाजार में आधुनिक तरीके से बनाकर इसे बेचा जाता है, उसे खरीदकर खेतों में डाल सकते हैं.
घर में ऐसे बनाएं चारकोल
घर में बनाना हो तो आप ड्रम विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं. जिसे हैदराबाद स्थित केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान ने तैयार किया है. इसमें एक ड्रम होता है जिसमें चारकोल तैयार किया जाता है. इस विधि में ड्रम में बायोमास के अवशेष रख कर उसे आग पर चढ़ाया जाता है. इस ड्रम को 90-95 मिनट के लिए चूल्हे पर रखा जाता है. फिर बाद में उसे उतार कर उसका ढक्कन बंद करके उसपर गीली मिट्टी चढ़ा दी जाती है. इससे चारकोल तैयार हो जाता है.
इस चारकोल को किसान अपने खेतों में इस्तेमाल करके फसल की पैदावार को बढ़ा सकते हैं. चारकोल को बुवाई से पहले खेत की जुताई के दौरान 10-15 सेमी की गहराई पर और खड़ी फसल में छिड़का जा सकता है. इसे एक साथ अधिक मात्रा में या कई बार कम-कम मात्रा में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. खाद की कुछ मात्रा को घटाकर और उसकी जगह पर बायोचार की कुछ मात्रा का उपयोग करने से भी पैदावार को बढ़ाया जा सकता है.
चारकोल के फायदे
चारकोल फसल के लिए कितना फायदेमंद है, यहां इस बात पर निर्भर करता है कि उसे कितने तापमान पर बनाया गया है. अगर तापमान ज्यादा रहेगा तो उसके पोषक तत्व मर जाते हैं, जबकि 500-600 डिग्री सेल्सियस तापमान पर बनाया गया चारकोल मिट्टी में अधिक लाभ देता है. ऐसा चारकोल मिट्टी की उर्वराशक्ति बढ़ाता है. कम तापमान पर बने चारकोल या बायोचार में पोषक तत्व खत्म नहीं होते. इसलिए उसे खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. चारकोल मिट्टी में मौजूद सूक्षमजीवों को बढ़ाता है.
चारकोल फसल उत्पादन बढ़ाने के अलावा किसानों की आय बढ़ाने में मदद करता है. यह फसल की बुवाई से लेकर उसके पकने तक बड़ी भूमिका निभाता है. यह फसल को शुरुआती अवस्था में ही ज्यादा पोषक तत्व देता है, जिससे उनकी ग्रोथ अच्छी होती है. इससे पौधों की जड़ से लेकर तना, फूल और फलों में अच्छी वृद्धि देखी जाती है. चारकोल से मिट्टी की एसिडिटी भी कम होती है और पीएच मान सही बना रहता है.