इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन चली जंग अब खत्म हो चुकी है. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार दोनों देशों के बीच अपनी दखल बनाए रखना चाहते हैं. पहले उन्होंने इजरायल के कहने पर ईरान के तीन प्रमुख ठिकानों पर बमबारी की और मिडिल ईस्ट की जंग में अमेरिका को झौंक दिया. अब बुधवार को उन्होंने एक बार फिर ईरान को परमाणु हथियार न बनाने की सख्त चेतावनी दी, साथ ही बता दिया कि आगे जंग को लेकर अमेरिका का क्या प्लान है.
ईरानी न्यूक्लियर प्रोग्राम पर ब्रेक!
जंग खत्म होने के एक दिन बाद ही ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के साथ सहयोग खत्म करने से जुड़ा बिल संसद में पारित करा लिया है. साथ ही अपने परमाणु कार्यक्रम में तेजी लाने की बात कही है. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि बिना किसी निगरानी के अब ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम बेकाबू हो सकता है, क्योंकि उसने IAEA के साथ किसी तरह का डेटा शेयर न करने का फैसला कर लिया है. लेकिन इसके बाद ट्रंप ने एक बार फिर ईरान को सख्त चेतावनी दी है.
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राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान के लिए रेडलाइन खींचते हुए कहा कि ईरान अब यूरेनियम एनरिचमेंट नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि ईरान आने वाले समय में कोई परमाणु बम नहीं बनाने वाला, हमें नहीं लगता कि अमेरिकी हमले से पहले ईरान के पास परमाणु ठिकानों से न्यूक्लियर मैटेरियल निकालने के लिए पर्याप्त वक्त था. उन्होंने फोर्डो, नतांज और इस्फहान में अमेरिकी बमबारी को ईरान के लिए जबरदस्त झटका बताया है.
'अमेरिकी हमले से रुकी जंग'
ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की तुलना जापान के हिरोशिमा-नागासाकी से करते हुए कहा, 'अमेरिकी हमले ने ही ईरान-इजरायल के बीच चल रही जंग को खत्म किया. मैं हिरोशिमा-नागासाकी का उदाहरण नहीं देना चाहता हूं. लेकिन ये हमला वैसा ही था जिससे युद्ध का अंत हो गया. अगर हमने यह हमला ना किया होता तो जंग अब भी जारी रहती.'
ईरान के परमाणु ठिकानों की सैटेलाइट तस्वीरों में ऐसा दावा किया गया था कि अमेरिकी हमलों से पहले ही इन साइट से न्यूक्लियर मैटेरियल निकालकर किसी सीक्रेट जगह पर ले जाया गया है. इसके सबूत के तौर पर फोर्डो साइट के बाहर कार्गो ट्रकों की लंबी कतार दिखाई गई थी. दूसरी तरफ ईरान ने भी दावा किया था उसे अमेरिकी हमलों में ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है. जानकारी के मुताबिक इन ठिकानों पर ईरान 80 फीसदी के करीब यूरेनियम एनरिच कर चुका है जो कि परमाणु बम बनाने के लिए जरूरी 90 फीसदी के स्तर के काफी करीब है.
इजरायल को ट्रंप का फुल सपोर्ट
ट्रंप की तरफ से यूरेनियम मैटेरियल को साइट से हटाने के दावे को खारिज किया जा चुका है. उन्होंने अमेरिकी हमलों से पहले ईरानी परमाणु ठिकानों से 400 किलोग्राम यूरेनियम हटाने की खबर को फेक करार दिया था. व्हाइट हाउस की तरफ से भी कहा गया कि यह सिर्फ अमेरिकी हमलों और राष्ट्रपति ट्रंप को कमतर दिखाने की साजिश है. ऐसे में अमेरिका के दबाव के साथ ईरान के लिए अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ना काफी मुश्किल होने वाला है.
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डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर के ठीक बाद ईरान पर हमला करने के लिए इजरायल की आलोचना की थी. लेकिन इसके बाद उन्होंने ईरान के बड़े हमले को रोकने के लिए खुलकर इजरायल की तारीफ कर दी. हेग में बुधवार को नाटो शिखर समिट के दौरान ट्रंप ने कहा कि मुझे उन पर बहुत गर्व है और यह बहुत शानदार बात थी. इसके साथ ही ट्रंप ने भविष्य में ईरान के खिलाफ युद्ध में इजरायल का समर्थन करने के संकेत भी दे दिए हैं.
ईरान को हमले के चेतावनी
उन्होंने कहा कि इजरायल तकनीकी रूप से सही था. ट्रंप ने इजरायल के दावों का जिक्र करते हुए कहा कि ईरान ने सीजफायर शुरू होने के बाद इजरायल पर मिसाइलें दागकर सीजफायर का उल्लंघन किया था. ऐसा ही दावा इजरायल की ओर से भी किया गया था. यह पूछे जाने पर कि अगर ईरान अपनी यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी पर फिर से काम शुरू करता है तो क्या वह दोबारा हमला करेंगे, जवाब में ट्रंप ने कहा जरूर करेंगे.
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ट्रंप के इस बयान से यह साफ हो गया कि अमेरिका किसी भी कीमत पर ईरान को परमाणु बम बनाने नहीं देगा. भविष्य में अगर फिर से इजरायल उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए हमले करता है तो अमेरिका भी उसका साथ देगा, जैसा कि इस बार हुआ. इजरायल के पास ईरानी न्यूक्लियर साइट को टारगेट करने के लिए जरूरी गोला-बारूद मौजूद नहीं है और इसी वजह से अमेरिका ने अपने बंकर बस्टर बमों ईरान पर जोरदार हमले किए थे.