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UN प्रमुख ने पाकिस्तान का नाम लेकर चेताया, कहा- दुनिया को बचा लो

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भयावह भविष्य का अंदेशा जताते हुए एक बार फिर वैश्विक तापमान को कम करने पर जोर दिया है. हाल ही में बाढ़ग्रस्त पाकिस्तान का दौरा कर लौटे गुटेरेस ने कहा कि वैश्विक नेताओं को मेरा स्पष्ट संदेश यही है कि हमें तापमान को कम करना है ताकि इस दुनिया को बचाया जा सके.

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एंटोनियो गुटेरेस
एंटोनियो गुटेरेस

दुनियाभर में गहरा रहे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के संकट के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भयावह भविष्य का अंदेशा जताते हुए एक बार फिर वैश्विक तापमान को कम करने पर जोर दिया है. हाल ही में बाढ़ग्रस्त पाकिस्तान का दौरा कर लौटे गुटेरेस ने अगले हफ्ते से शुरू हो रही संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्चस्तरीय बैठक से पहले बुधवार को न्यूज कॉन्फ्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक नेताओं को मेरा स्पष्ट संदेश यही है कि हमें तापमान को कम करना है ताकि इस दुनिया को बचाया जा सके.

गुटेरेस ने कहा कि मैंने पाकिस्तान में भविष्य की झलक देखी है. उन्होंने कहा, मैंने कल्पना से परे हर ओर होने जा रहा जलवायु अराजकता का भविष्य देखा है, जहां बड़े पैमाने पर लोगों की मौत, मानव पीड़ा, बुनियादी ढांचे और आजीविका को नुकसान होगा.

पाकिस्तान में भविष्य के विनाश की झलक देखी

गुटेरेस ने कहा, पाकिस्तान में जो हो रहा है, वह जलवायु संकट के प्रति विश्व की नाकामी को दर्शाता है, जिसकी वजह धोखा और अन्याय है. पाकिस्तान, अफ्रीका, साहेल, छोटे-छोटे द्वीप देशों या कम विकसित देशों का इस संकट में कोई हाथ नहीं है लेकिन ये देश बड़े और विकसित देशों द्वारा किए जा रहे कार्बन उत्सर्जन की भयावह कीमत चुका रहे हैं. 

गुटेरेस ने कहा कि जी-20 देश इस 80 फीसदी उत्सर्जन के जिम्मेदार हैं. ये देश खुद भी सूखे, आग, बाढ़ से जूझ रहे हैं लेकिन इससे निपटने में कुछ नहीं किया जा रहा. अगर इन जी-20 देशों का एक-तिहाई हिस्सा पानी में डूबा हुआ होता, जैसा कि कल हो सकता है, तो शायद उत्सर्जन में भारी कटौती पर सहमति जताना इनके लिए आसान होता. 

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संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र की उच्चस्तरीय बैठक में जुटने जा रहे वैश्विक नेताओं को संदेश देते हुए गुटेरेस ने कहा कि इन नेताओं को मेरा स्पष्ट संदेश वैश्विक तापमान को कम करना है. दुनिया में जलजला मत लाओ, ऐसा मत करो.

इस साल कई देशों में अकाल का खतरा

यूएनजीए की यह उच्चस्तरीय बैठक ऐसे समय में हो रही है, जहां एक तरफ यूक्रेन संकट गहराया हुआ है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान भयावह बाढ़ से जूझ रहा है. इस बीच गुटेरेस ने कहा कि शीतयुद्ध के बाद से जियोस्ट्रैटेजिक विभाजन सबसे अधिक अब हुआ है. यह हमारे सामने मौजूद इन चुनौतियों से निपटने की गतिविधियों को पंगु बना रही है. हमारी दुनिया युद्ध से घिरी हुई है, जलवायु चौपट है, हर जगह नफरत फैली हुई है, हम गरीबी, भूख और असमानता से त्रस्त हैं.

उन्होंने कहा कि यूक्रेन में युद्ध विनाशकारी है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को नीचे खींच रहा है. रूसी भोजन एवं उर्वरक को वैश्विक बाजारों तक पहुंचाने के समझौते के बावजूद इस साल कई देशों में अकाल का वास्तविक जोखिम बना हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने जोर देते हुए कहा कि लोगों को रोजमर्रा की उनकी जिंदगियों में नतीजे देखने की जरूरत है. नहीं तो उनका सरकारों और संस्थानों से भरोसा उठ जाएगा. सबसे बड़ी बात है कि उनका सुनहरे भविष्य की उम्मीद से भरोसा उठ जाएगा. 

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