अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को लेकर अपनी विदेश नीति में एक बड़ा यू-टर्न लिया है. अमेरिका पहले इस बात के सख्त खिलाफ था कि कोई भी देश ईरान से उसका कच्चा तेल खरीदे. चीन चोरी-छिपे ईरान से उसका तेल खरीदता था लेकिन मंगलवार को ट्रंप ने खुलेआम कह दिया कि चीन ईरान से तेल खरीद सकता है. ट्रंप ने कहा है कि इजरायल और ईरान के बीच युद्धविराम पर सहमति के बाद चीन ईरानी तेल खरीदना जारी रख सकता है.
हालांकि, व्हाइट हाउस ने यह साफ किया कि इसका मतलब यह नहीं है कि ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों में ढील दे दी गई है.
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, 'चीन अब ईरान से तेल खरीदना जारी रख सकता है. उम्मीद है कि वो (चीन) अमेरिका से भी खूब तेल खरीदेगा.'
इससे कुछ ही दिन पहले अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु संयंत्रों पर बमबारी कर उन्हें नुकसान पहुंचाया था.
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि ट्रंप बताना चाह रहे हैं कि ईरान ने अब तक होर्मूज की खाड़ी को तेल टैंकरों के लिए बंद करने की कोई कोशिश नहीं की है क्योंकि अगर ऐसा होता तो चीन के लिए मुश्किल हो जाती. चीन दुनिया में ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीददार है.
अधिकारी ने कहा, 'राष्ट्रपति चीन और सभी देशों से लगातार आग्रह कर रहे हैं कि वे अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन कर ईरानी तेल खरीदने के बजाए हमसे तेल खरीदें.'
ईरान और इजरायल के बीच जब युद्ध शुरू हुआ तो तेल की कीमतें बढ़ने लगी थी लेकिन युद्धविराम की घोषणा और फिर चीन के ईरानी तेल खरीदने को लेकर ट्रंप की टिप्पणी से तेल की कीमतें 6% कम हो गई हैं.
ईरान को लेकर क्या अमेरिकी नीति में बदलाव आ रहा है?
ईरान पर प्रतिबंधों में किसी भी तरह की ढील देना अमेरिकी नीति में बदलाव को दिखाएगा क्योंकि फरवरी में ट्रंप ने कहा था कि वो फिर से ईरान पर अधिकतम दबाव बनाएंगे जिससे वो अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे न बढ़ा पाए और मध्य-पूर्व के अपने प्रॉक्सी ग्रुप्स को सपोर्ट न कर पाए.
ट्रंप ने इससे पहले ईरानी तेल की खरीद को लेकर चीन की कई स्वतंत्र छोटी तेल रिफाइनरियों और बंदरगाह टर्मिनल ऑपरेटरों प्रतिबंध लगा दिया था.
सीआईए के पूर्व अधिकारी और अब रैपिडन एनर्जी ग्रुप के सीईओ स्कॉट मोडेल ने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप का चीन को ईरानी तेल खरीदने की हरी झंडी देना प्रतिबंधों में ढील की वापसी को दिखाता है.'
मोडेल ने कहा कि ट्रंप संभवतः अमेरिका-ईरान परमाणु वार्ता के आगामी दौर से पहले प्रतिबंधों में छूट नहीं देंगे. कानूनी फर्म ह्यूजेस हबर्ड एंड रीड के पार्टनर जेरेमी पैनर ने कहा कि अगर ट्रंप ईरान के तेल संबंधी प्रतिबंधों को निलंबित करने का फैसला लेते हैं तो इसके लिए उनकी एजेंसियों को काफी काम करना होगा.
अमेरिकी वित्त विभाग को लाइसेंस जारी करने की जरूरत होगी और विदेश विभाग को छूट जारी करनी होगी, जिसके लिए कांग्रेस यानी अमेरिकी संसद के नॉटिफिकेशन की जरूरत पड़ेगी.
एशिया में तेल व्यापारियों और विश्लेषकों ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं है कि ट्रंप की टिप्पणियों का ईरान या अमेरिका से चीन की तेल खरीद पर कोई असर होगा.
इस साल चीन ने जितना तेल खरीदा है, उसमें ईरानी तेल का हिस्सा लगभग 13.6% है जबकि चीनी तेल आयात में अमेरिकी तेल का हिस्सा महज 2% है. ट्रंप के टैरिफ के जवाब में चीन ने भी अमेरिकी तेल पर 10% का टैरिफ लगा रखा है जिससे वो अमेरिकी तेल खरीदने से बच रहा है.
ईरानी तेल से प्रतिबंध हटा तो सऊदी अरब होगा परेशान
इस बीच एक और पहलू पर ध्यान देने की जरूरत है कि ट्रंप की घोषणा के बाद चीन खुलेआम ईरान से तेल खरीदेगा. भारत जैसे अन्य एशियाई देश भी अब ईरानी तेल दोबारा खरीदना शुरू कर सकते हैं जो अमेरिका के सहयोगी सऊदी अरब के लिए चिंता का विषय हो सकता है.
सऊदी दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक है और ईरानी तेल से प्रतिबंध अगर हटते हैं तो नुकसान सऊदी को होगा.