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ताइवान के हुलिएन शहर के पास महसूस किए गए 6.0 तीव्रता के भूकंप के झटके

ताइवान के शहर हुलिएन में 6.3 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. इससे पहले आया भूकंप 5.5 तीव्रता का था, जो सोमवार की शाम लगभग 10 बजे (भारतीय समय के मुताबिक) आया.

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ताइवान में भूकंप के झटके (सांकेतिक फोटो)
ताइवान में भूकंप के झटके (सांकेतिक फोटो)

ताइवान (Taiwan) के हुलिएन (Hualien) शहर के पास 6.0 तीव्रता का भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. जानकारी के मुताबिक इससे पहले भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. केंद्रीय मौसम प्रशासन (Central Weather Administration) ने कहा कि सबसे तेज भूकंप का झटका पूर्वी हुलिएन में आया था, जिसकी तीव्रता  6.3 थी. CWA के मुताबिक पहला भूकंप 5.5 तीव्रता का था, जो सोमवार की शाम लगभग 10 बजे (भारतीय समय के मुताबिक) आया. इसे राजधानी ताइपे में महसूस किया गया.

एएफपी के मुताबिक ताइवान में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. जिसमें मंगलवार को करीब 12 बजे एक के बाद एक दो तेज झटके महसूस किए गए. ताइपे के डान जिले में रहने वाले एक पर्यटक ओलिवियर बोनिफेसियो ने बताया कि मैं अपने हाथ धो रहा था और अचानक मुझे चक्कर आ गया. उन्होंने कहा, "मैंने अपने कमरे में गया और देखा कि इमारत हिल रही थी.

दो दिनों में 80 से ज्यादा बार भूकंप

देश के मौसम प्रशासन ने कहा कि ताइवान के पूर्वी तट पर सोमवार रात से लेकर मंगलवार (23 अप्रैल) की सुबह तक 80 से ज्यादा भूकंप आए. इनमें 6.3 तीव्रता के भूकंप सबसे ज्यादा तेज थे. भूकंप आने के बाद राजधानी ताइपे में भी इमारतों में कंपन महसूस किया गया.

महसूस किए गए भूकंप बड़े पैमाने पर ग्रामीण पूर्वी काउंटी हुलिएन पर केंद्रित थे, जहां 3 अप्रैल को 7.2 तीव्रता के भूकंप के बाद कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई थी. तब से अब तक ताइवान को सैकड़ों झटके लग चुके हैं.

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इससे पहले 3 अप्रैल को आए 7.4 तीव्रता के भूकंप का केंद्र हुलिएन था, जिससे भूस्खलन हुआ था. इसके बाद पहाड़ी क्षेत्र के आसपास की सड़कें बंद हो गई थीं और मुख्य हुलिएन शहर में इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थीं.

भूकंप क्यों और कैसे आता है?

वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्‍वी की संरचना को समझना होगा. पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और इस पर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं. कई बार ये प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है. जब इससे डिस्‍टर्बेंस बनता है तो इसके बाद भूकंप आता है.

यह भी पढ़ें: तुर्की में 5.6 तीव्रता का भूकंप, देश के उत्तरी हिस्से में हिली धरती, एक इमारत ढही

क्या भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है?

भूकंप वैज्ञानिक डॉ. रोहताश के मुताबिक 'इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है. इसकी वजह से स्ट्रेस लेवल डेवलप होता है. एक लिमिट के बाद इसमें फ्रेक्शन बढ़ जाता है. इसी वजह से भूकंप आता है. दो प्लेट्स के टकराने की वजह से ऐसी घटना होती है. भूकंप की भविष्यवाणी का दावा तो बहुत सारे लोग करते हैं, लेकिन उसके पीछे किसी तरह की वैज्ञानिक पद्धति नहीं है.

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कैसे मापी जाती है तीव्रता?

भूकंप को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है. रिक्‍टर स्‍केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है, इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. ये स्‍केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है.

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