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वर्ल्ड अफेयर में धाक बढ़ाना चाह रहा है सऊदी अरब, यूक्रेन शांति वार्ता में दिलचस्पी से दिये संकेत

विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब ने वैश्विक मामलों में अपनी धाक जमाने के लिए यूक्रेन शांति योजना पर सम्मेलन का आयोजन किया. यही वजह रही कि सऊदी ने इस दो दिवसीय इस सम्मेलन में अमेरिका, चीन और भारत सहित दुनिया के 40 देशों को न्योता भेजा.

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जेलेंस्की के साथ मोहम्मद बिन सलमान
जेलेंस्की के साथ मोहम्मद बिन सलमान

सऊदी अरब के जेद्दा में पांच और छह अगस्त को दो दिवसीय यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन (Ukraine Peace Summit) का आयोजन किया गया. मकसद था रूस-यूक्रेन युद्ध का हल निकालना और शांति स्थापित करना. इस दौरान यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की ओर से सुझाए गए 10 सूत्रीय शांति फॉर्मूले पर मंथन किया गया. लेकिन यूक्रेन में शांति बहाली में सऊदी अरब की इतनी दिलचस्पी क्यों है?

विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब ने वैश्विक मामलों में अपनी धाक जमाने के लिए यूक्रेन शांति योजना पर सम्मेलन का आयोजन किया. यही वजह रही कि सऊदी ने इस दो दिवसीय इस सम्मेलन में अमेरिका, चीन और भारत सहित दुनिया के 40 देशों को न्योता भेजा.

रविवार को जेद्दा में हुए इस सम्मेलन के दूसरे दिन ग्लोबल साउथ देशों के बीच चर्चा हुई. चीन पहली बार इस फोरम में हिस्सा ले रहा है. यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस की निंदा से बचते हुए बीजिंग ने उसके साथ राजनयिक और आर्थिक संबंध बनाए हैं. हालांकि, रूस इस सम्मेलन पर नजर रखे हुए हैं. 

पर्यवेक्षकों और पश्चिमी अधिकारियों का कहना है कि इस बातचीत में चीन की मौजूदगी के लिए सऊदी अरब की डिप्लोमेसी का अपना महत्व है. बेरूत में रिसर्च सेंटर फॉर कॉरपोरेशन एंड पीस बिल्डिंग की प्रमुख विश्लेषक डानिया कोलेयट खातिब ने कहा कि इस क्षेत्र से अमेरिका के पीछे हटने की वजह से सऊदी अरब को अपना दायरा बढ़ाने का मौका मिला है. 

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सऊदी की दोस्ती का हाथ चीन और रूस तक पहुंचा

खातिब ने कहा कि सऊदी अरब अब पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर नहीं रहना चाहता. वह अपने मित्रराष्ट्रों का दायरा बढ़ाना चाहता है. ऐसा करने में वह काफी हद तक सफल भी रहा है. सऊदी अरब की दोस्ती का हाथ रूस और चीन तक पहुंच गया है. वह तुर्की और ईरान के साथ भी संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है. 

वीओए की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब इस शांति सम्मेलन को यूक्रेन, चीन और रूस के साथ संबंध मजबूत करने की नीति को सफल होते देख रहा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने स्वीकार किया है कि इस सम्मेलन में शिरकत कर रहे राष्ट्र देशों के बीच मतभेद हैं इसलिए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के आधार पर शांति बहाली का आह्वान किया. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल भी इस सम्मेलन में शामिल हुए. उन्होंने शनिवार को कहा कि रूस-यूक्रेन संकट को सुलझाने के  लिए एक चिरस्थाई और समग्र समाधान ढूंढने के लिए भारत एक एक्टिव साझेदार बना रहेगा. 

वह शनिवार को जेद्दा पहुचे थे. इस सम्मेलन में 40 से अधिक देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और अन्य अधिकारी पहुंचे. 
एनएसए ने हा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से ही भारत दोनों देशों से जुड़ा रहा है. 

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