रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से युद्ध जारी है. हालात ऐसे हैं कि ना तो रूस पीछे हटने को तैयार है और ना ही यूक्रेन घुटने टेकने को रजामंद है. इस बीच यूक्रेन के एक युद्धबंदी सैनिक की पत्नी ने पुतिन की सेना पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं.
लारिसा सालेवा नाम की यूक्रेन के एक युद्धबंदी सैनिक की पत्नी ने रूस पर मृत सैनिकों के अंग चुराकर उन्हें बेचने का आरोप लगाया है. फ्रीडम टू डिफेंडर्स ऑफ मारियूपोल ग्रुप की प्रमुख लारिसा का दावा है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेना ने जिन यूक्रेनी सैनिकों की डेड बॉडी लौटाई हैं, उनके कई ऑर्गन गायब हैं. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक रूस ने इन आरोपों से इनकार करते हुए इस षडयंत्र बताया है.
लारिसा ने ये दावे तुर्किए में हुई एक बैठक के दौरान किए. इस बैठक में तुर्किए में यूक्रेन के राजदूत वासिल बोदनार भी मौजूद थे. यूक्रेन टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, लारिसा ने इस बैठक में दावा किया कि हमें यूकेन के सैनिकों के जो शव मिले हैं, जिन्हें न सिर्फ मारने से पहले बुरी तरह टॉर्चर किया गया था, बल्कि उनके कई ऑर्गन गायब भी थे.
बता दें कि रूस की कस्टडी में यूक्रेन के 10 हजार से अधिक सैनिक हैं. सालेवा का मानना है कि रूस ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन के एक ब्लैक मार्केट से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि रूस में ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन का ब्लैक मार्केट काम कर रहा है और दुर्भाग्य से ये यूक्रेनी युद्धबंदियों के साथ हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस अपराध को रोकने के लिए पूरी दुनिया को साथ आने की जरूरत है.
इसी दौरान एक यूक्रेनी सैनिक की मां ने वापस आए सैनिकों की बिगड़ती हालत के बारे में भी बताते हुए कहा कि हमारे जो सैनिक लौटकर आए हैं, वो बेहद दुबले-पतले हो गए हैं, उन्हें तत्काल मेडिकल की जरूरत है.
रूस ने क्या कहा?
रूस पर नागरिकों और कैदियों के साथ बुरा बर्ताव करने का आरोप है. साथ ही उस पर जिनेवा कन्वेंशन और मानवीय कानूनों के उल्लंघन का आरोप भी लगा है. ऐसा अनुमान है कि रूस की कैद में अब भी 10 हजार से ज्यादा यूक्रेनी हैं, जिनमें सैनिक और नागरिक, दोनों शामिल हैं.
ऑर्गन को चुराने और बेचने के आरोपों को रूस ने खारिज किया है और इसे रूसी सेना को बदनाम करने की साजिश बताया है. द डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने नकली यूक्रेनी नागरिकों की ओर से रूस के प्रति नफरत पैदा करने की कोशिश बताया है.
जिनेवा कन्वेंशन में कहा गया है कि संघर्ष के बाद शवों और कैदियों का आदान-प्रदान होना चाहिए. हालांकि, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत से ही आदान-प्रदान जारी है. हाल ही में जून में शवों का आदान-प्रदान हुआ था.