रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सोमवार को कहा कि रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रिकोणीय सहयोग जो वर्तमान में ठप पड़ा हुआ है, उसे फिर से शुरू किया जा सकता है क्योंकि नई दिल्ली और बीजिंग के बीच तनाव “महत्त्वपूर्ण रूप से” कम हुआ है. लावरोव ने ‘फोरम ऑफ द फ्यूचर-2050’ में यह बात कही.
रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि आरआईसी में संयुक्त कार्य फिर से शुरू करना पैन-यूरोपीय प्रक्रियाओं की दिशा में पहला कदम हो सकता है, जिसमें एक बहु-ध्रुवीय व्यवस्था का गठन भी शामिल है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठकें नहीं हो पाईं हैं, परंतु इस विषय पर भारत और चीन के साथ बातचीत जारी है.
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रूस-भारत-चीन त्रिकोणीय सहयोग स्थापित करने का मौका
विदेश मंत्री लावरोव ने कहा, “मुझे पूरी उम्मीद है कि अब सीमा पर तनाव काफी कम हो गया है और स्थिति स्थिर हो रही है, जिससे नई दिल्ली और बीजिंग के बीच संवाद संभव हो रहा है. इसके चलते हमें रूस-भारत-चीन त्रिकोणीय सहयोग को फिर से शुरू करने का मौका मिलेगा.”
आरआईसी की बहाली महत्वपूर्ण कदम!
भारत और चीन के बीच 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद आरआईसी सहयोग काफी सुस्त पड़ गया था. अब, तनाव शांत होने के साथ ही यह सहयोग फिर से सक्रिय हो सकता है. लावरोव ने आगे कहा कि रूस और चीन को पैन-मानव महाद्वीपीय प्रक्रियाओं में, विशेषकर बहु-ध्रुवीय व्यवस्था के गठन में अग्रणी और सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए. आरआईसी प्रारूप की बहाली इस दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम हो सकती है.
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एलोन मस्क के पिता एरोल मस्क भी रहे मौजूद
रूसी विदेश मंत्री ने कहा, “यह महाद्वीपीय प्रक्रियाओं में आगे बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा.” ‘फोरम ऑफ द फ्यूचर-2050’ दो दिवस का यह कार्यक्रम रूस के दार्शनिक अलेक्जेंडर दुगिन द्वारा प्रेरित है, जिन्हें अक्सर राष्ट्रपति पुतिन का ‘गुरु’ कहा जाता है. इस फोरम में कई युवा प्रतिभागी शामिल हैं. साथ ही, टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलोन मस्क के पिता एरोल मस्क भी इस फोरम में शामिल हुए थे.