
यूक्रेन...रूस की सीमा से लगा यूरोप का देश है. यूक्रेन के खिलाफ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी 2022 को जंग का ऐलान किया था. युद्ध को 1 साल बीत गया है. जंग में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवा दी. लाखों लोगों के आशियाने उजड़ गए. यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस को झटके पर झटके लगे हैं. यहां तक की अमेरिका, समेत तमाम देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने रूस पर तमाम प्रतिबंध लगा दिए. लेकिन इन सबके बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक मजबूत नेता के तौर पर उभरे हैं.
रूस और यूक्रेन की जंग को 1 साल हो गया. इस एक साल के युद्ध में न कोई जीता है. न कोई हारा है. रूस के यूक्रेन पर हमले लगातार जारी हैं. यूक्रेन ताकतवर रूस को भले ही जोरदार जवाब नहीं दे पा रहा है, लेकिन मजबूती से टिका जरूर है. यूक्रेन जंग में टिके रहने की सबसे बड़ी वजह अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा उसे हथियार और आर्थिक समर्थन देना है.
प्रतिबंधों का कितना किस पर असर?
अमेरिका समेत दुनियाभर के तमाम देशों ने रूस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर प्रतिबंध लगाए. रूस को आर्थिक चोट पहुंचाने की कोशिश की. तेल और गैस के आयात को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया. काफी हद तक ये देश ऐसा करने में कामयाब भी हुए. लेकिन यूक्रेन-रूस युद्ध का असर दुनियाभर में देखने को मिला. युद्ध के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है. आईएमएफ ने पिछले साल 2023 में ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ 3.2 फीसदी होने का अनुमान लगाया था, जिसे अब घटाकर 2.9 फीसदी कर दिया गया है. 2024 में 3.4 फीसदी होने का अनुमान है.
पश्चिम देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के चलते एनर्जी, फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर महंगे होते चले गए. इसका असर यूरोप के देशों में भी देखने को मिला. इतना ही नहीं इसका सबसे ज्यादा असर एशियाई और अफ्रीकी देशों को भुगतना पड़ रहा है. वहीं, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के मुताबिक, रूस की जीडीपी की वृद्धि दर 2022 में 3.9% थी, जबकि 2023 में यह बढ़कर 5.6% हो गई है. हालांकि, 2024 में इसके 0.2% रहने के अनुमान हैं.

रूस के तेल और गैस पर निर्भर यूरोप
रूस, सऊदी अरब और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल और गैस उत्पादक देश है. यूरोपीय सांख्यिकी एजेंसी यूरोस्टैट के आंकड़ों के मुताबिक, युद्ध से पहले 2020 में रूस ने यूरोपीय संघ को उसकी जरूरत का 25% तेल और 40% से अधिक गैस की आपूर्ति की थी. ऐसे मे रूस के हमले के तुरंत बाद यूरोपीय देशों के रूस से संबंध खत्म करना नामुमकिन था. ऐसे में यूरोपीय संघ ने ईंधन खरीद के बदले रूस को रकम भेजना जारी रखा.
रूस को युद्ध में क्या क्या मिला?
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस का ब्लैक सी ट्रेड रूट के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा हो गया है. इतना ही नहीं रूस ने यूक्रेन की 18% जमीन पर भी कब्जा कर रखा है. रूस के कब्जे में 6 बड़े शहर सेवेरोडोनेट्स्क, डोनेट्स्क, लुहांस्क, जपोरिजिया, मारियुपोल और मेलिटोपोल हैं.
रूस में पुतिन की छवि को नुकसान नहीं
व्लादिमीर पुतिन 1993 से रूस की सत्ता में हैं. यूक्रेन पर युद्ध की शुरुआत में पुतिन के खिलाफ रूस में ही कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए. लेकिन इसका कोई खास असर नहीं देखने को मिला. जानकार मानते हैं कि घरेलू राजनीति में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की छवि पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है. बल्कि उन्हें अब रूस में और समर्थन मिलता ही दिख रहा है.
भारत पर क्या असर हुआ?
रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच भारत की रणनीति काफी अहम रही. हुई इस जंग पर भारत का स्टैंड हमेशा न्यूट्रल रहा. भारत लगातार रूस और यूक्रेन से युद्ध रोकने की अपील कर रहा है. भारत ही ऐसा देश है, जिसके रूस और पश्चिमी देशों दोनों से अच्छे संबंध हैं. जब दुनिया के तमाम देश रूस पर प्रतिबंध लगा रहे थे, तब भारत पर भी रूस से संबंध खत्म करने का दबाव डाला गया. लेकिन भारत ने अपने हितों के हिसाब से फैसले किए. भारत ने युद्ध के बाद रूस को अपना सबसे बड़ा ऑयल सप्लायर बनाया. रूस सस्ते दाम में ऑयल सप्लाई कर रहा है.
इसे लेकर भारत की आलोचना भी हुई. हालांकि, इसके जवाब में पिछले दिनों एस जयशंकर ने कहा था कि भारत-रूस के संबंध और डिफेंस रिलेशन बहुत पुराने हैं. हमारे रिश्ते तब से हैं, जब पश्चिमी देशों ने भारत की बजाय पाकिस्तान को हथियार देने शुरू किए थे.
दोनों ओर कितने सैनिकों की मौत?
- पश्चिमी देशों द्वारा दिए आंकड़ों के मुताबिक, जंग में रूस के 1.80 लाख और यूक्रेन के 1 लाख सैनिक या तो मारे गए होंगे या घायल हुए होंगे.
- यूक्रेन ने 23 फरवरी 2023 तक रूस के 1,45,850 सैनिकों के मारे जाने का दावा किया है.
हालांकि, यूक्रेन ने अपने सैनिकों की मौत का आंकड़ा कभी साझा नहीं किया.
- रूस ने पिछले साल सितंबर में सैन्य मौतों का आधिकारिक आंकड़ा दिया था. तब रूस ने बताया था कि इस जंग में उसके करीब 6 हजार सैनिक मारे जा चुके हैं. हालांकि, रूस की न्यूज वेबसाइट मॉस्को टाइम्स ने बताया है कि 17 फरवरी 2023 तक रूस के 14,709 सैनिक मारे जा चुके हैं.