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मोदी सरकार की अपील के बावजूद रूस-सऊदी की मनमानी, बढ़ीं भारत की मुश्किलें

सऊदी अरब और रूस की ओर से तेल उत्पादन में की गई अतिरिक्त कटौती के बाद से कच्चे तेल की कीमत लगातार बढ़ रही है. कच्चे तेल की कीमत नियंत्रण में रहे इसके लिए भारत लगातार तेल उत्पादक देशों से बातचीत कर रहा है. लेकिन इसका कुछ फायदा होता नहीं दिख रहा है.

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो-रॉयटर्स)
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो-रॉयटर्स)

कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि ने तेल बाजार में उथल-पुथल मचा दी है. पहले तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस की ओर से तेल उत्पादन में कटौती, फिर रूस और सऊदी अरब की ओर से तेल उत्पादन में अतिरिक्त कटौती की घोषणा के बाद कच्चे तेल की कीमत में लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है. भारत अपनी जरूरत का 87 फीसदी से ज्यादा तेल आयात से पूरा करता है. ऐसे में इसका असर भारतीय तेल बाजार पर भी पड़ा है. 

वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत नियंत्रण में रहे, इसके लिए भारत लगातार तेल उत्पादक देशों से बातचीत कर रहा है. लेकिन इसका कुछ फायदा होता दिख नहीं रहा है. तेल बाजार के दो बड़े दिग्गज सऊदी अरब और रूस ने बुधवार को कहा है कि वे साल के अंत तक तेल उत्पादन में कटौती जारी रखेंगे. दोनों देशों का कहना है कि वैश्विक बाजार में तेल की आपूर्ति में कमी और मांग में बढ़ोतरी से तेल की कीमत बेहतर हो रही है.

ओपेक प्लस की वर्तमान नीति सहीः यूएई

रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को होने वाली बैठक से पहले ओपेक प्लस समूह के प्रमुख सदस्य देशों में से एक यूएई के ऊर्जा मंत्री सुहैल अल मजरूई ने कहा था कि ओपेक प्लस की वर्तमान नीति यानी तेल उत्पादन में कटौती जारी रखने का फैसला सही है.

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तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस के सदस्य देशों ने पिछले साल अक्टूबर में प्रतिदिन 20 लाख बैरल कम तेल उत्पादन करने की घोषणा की थी. लेकिन जुलाई 2023 में सऊदी अरब और रूस ने तेल उत्पादन में अतिरिक्त कटौती की घोषणा कर दी. इस घोषणा के बाद से कच्चे तेल की कीमत बहुत तेजी से 100 डॉलर प्रति बैरल की ओर बढ़ रही है. 

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मौजूदा कीमत पर तेल खरीदने में भारत सहज नहीं

भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव पंकज जैन ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि कच्चे तेल की कीमत बहुत अधिक है. भारत इस मुद्दे को लेकर सभी तेल उत्पादक देशों के साथ बातचीत कर रहा है.

उन्होंने कहा था कि मौजूदा कीमत पर तेल खरीदने में भारत सहज नहीं है. कच्चे तेल की कीमत 93 डॉलर के करीब पहुंच गई है. ऐसे में हमें अब और अधिक उत्पादन करने की जरूरत है.

हालांकि, भारत ने यह भी कहा है कि यह ओपेक देशों का अधिकार है कि वो यह डिसाइड करें कि कितना तेल उत्पादन करना है.  

भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी मंगलवार को तेल उत्पादक देशों से तेल उत्पादन बढ़ाने की अपील की है. अबूधाबी में एडीआईपीईसी सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को मंदी से बचाने के लिए तेल उत्पादक देश तेल खरीदने वाले देशों के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं. सम्मेलन के इतर उन्होंने ओपेक के महासचिव हैथल अल घैस से भी मुलाकात की. 

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तेल की उच्च कीमत सऊदी अरब और रूस के लिए वरदान 

सऊदी अरब और रूस की ओर से तेल उत्पादन में की गई अतिरिक्त कटौती से पिछले तीन महीने में कच्चे तेल की कीमत में 20 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है. वैश्विक बाजार में तेल की कम उपलब्धता से दोनों देशों को जबरदस्त मुनाफा हो रहा है. तेल से होने वाली अतिरिक्त कमाई दोनों देशों के लिए वरदान की तरह है. 

दोनों देशों ने जुलाई 2023 में जब तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा की थी, उस वक्त कच्चे तेल की कीमत लगभग 76 डॉलर प्रति बैरल था. जबकि उसी कच्चे तेल की कीमत आज 93 डॉलर प्रति बैरल है. सऊदी अरब जहां इन पैसों का इस्तेमाल 'विजन-2030' के लिए कर रहा है. वहीं, रूस इन पैसों की मदद से यूक्रेन युद्ध से हो रहे नुकसान की भरपाई कर रहा है.

रैपिडन एनर्जी ग्रुप के अध्यक्ष और व्हाइट हाउस के पूर्व अधिकारी बॉब मैकनेली का कहना है कि रूस और सऊदी की ओर से तेल उत्पादन में अतिरिक्त कटौती से वैश्विक बाजार में तेल की कमी हुई है. आने वाले दिनों में और मुश्किलें बढ़ सकती हैं. अब सब कुछ सऊदी अरब पर निर्भर करता है कि वो तेल उत्पादन को लेकर क्या निर्णय लेता है. 

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कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी से भारत चिंतित

भारत कच्चे तेल के लिए मुख्यतः आयात पर ही निर्भर है. भारत कुल जरूरत का 87 फीसदी से भी ज्यादा कच्चा तेल आयात से पूरा करता है. कच्चे तेल की उच्च कीमतें भारत के व्यापार संतुलन, विदेशी मुद्रा भंडार और भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं.

विदेशी मुद्रा भंडार की अधिक खपत भारतीय मुद्रा को प्रभावित करेगा. जिससे देश में महंगाई बढ़ सकती है. ऐसे में केंद्रीय बैंकों को फिर से ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. सऊदी अरब और रूस के फैसले से परेशान भारत ने इन देशों से तेल उत्पादन बढ़ाने की अपील भी कर दी है.

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