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दुनिया के सबसे विवादित समुद्री इलाके में युद्धाभ्यास करेंगे रूस और चीन, 21 से 27 दिसंबर तक लहरों पर ड्रिल

यूक्रेन पर हमला करने वाला रूस और ताइवान से जंग लड़ने वाला चीन अब एक साथ मिलकर नौसैनिक युद्धाभ्यास करेंगे. वह भी दुनिया के सबसे विवादित समुद्री क्षेत्र में. चीन-रूस का मानना है कि इससे उनके संबंध और बेहतर व गहरे होंगे. आइए जानते हैं कि इस युद्धाभ्यास में कब क्या होगा?

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रूस ने कहा इस युद्धाभ्यास से एशिया-प्रशांत इलाके में शांति आएगी. (फाइल फोटोः AFP)
रूस ने कहा इस युद्धाभ्यास से एशिया-प्रशांत इलाके में शांति आएगी. (फाइल फोटोः AFP)

रूस (Russia) लगातार पूरी दुनिया को डराने का काम कर रहा है. पहले उसने दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइल एवनगार्ड तैनात की. अब राजधानी मॉस्को (Moscow) से सोमवार यानी 19 दिसंबर 2022 को एक ऐसी खबर आई है, जिससे पूरी दुनिया परेशान हो सकती है. रूस ने कहा है कि उसकी नौसेना चीन की नेवी के साथ मिलकर 21 से 27 दिसंबर तक पूर्वी चीन सागर (East China Sea) में युद्धाभ्यास करेंगे. 

रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हम चीन की नौसेना के साथ मिलकर आपसी नौसैनिक संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं. इसलिए मॉस्को और बीजिंग मिलकर पूर्वी चीन सागर में नौसैनिक ड्रिल करेंगे. ये ड्रिल 21 से 27 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान मिसाइलें दागी जाएंगी. आर्टिलरी से भी हमला किया जाएगा. साथ ही पनडुब्बियों को टारगेट बनाया जाएगा.  

रूस के युद्धपोतों का नौसैनिक युद्धाभ्यास. (फाइल फोटोः AFP)
रूस के युद्धपोतों का नौसैनिक युद्धाभ्यास. (फाइल फोटोः AFP)

रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक इस नौसैनिक युद्धाभ्यास का मुख्य मकसद है दोनों देशों के बीच नौसैनिक संबंधों को बेहतर और प्रगाढ़ बनाना. इससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति का माहौल बनेगा. इस युद्धाभ्यास में चीन की तरफ से दो डेस्ट्रॉयर, पेट्रोल शिप, सप्लाई शिप और एक पनडुब्बी शामिल होगी. 

इसके अलावा चीन की सेना की तरफ से पैसिफिक फ्लीट के एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर्स को भी शामिल किया जाएगा. रूस की तरफ से भी इसी तरह के जंगी जहाज और विमान युद्धाभ्यास में रहेंगे. इस युद्धाभ्यास को लेकर दुनिया भर में कयास लगाया जा रहा है कि रूस और चीन शीत युद्ध के समय के साथी थे. ये फिर से एकदूसरे के साथ आ रहे हैं. पिछले कुछ सालों में रूस और चीन एकदूसरे के काफी करीब आए हैं. दोनों कहते हैं कि उनके बीच बिना किसी सीमा के संबंध है. ताकि वो दुनिया पर बढ़ रहे अमेरिका के प्रभाव को कम कर सकें. 

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