
इंडिया टुडे की ओपन सोर्स इन्वेस्टिगेशन (OSINT) टीम की तरफ से रिव्यू किए गए फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा और एक्सक्लूसिव सैटेलाइट इमेजरी से पता चलता है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की डिटेल से मैच करता एक VVIP प्लेन 10 मई को भारतीय वायुसेना के हमले के वक्त नूर खान एयरबेस पर मौजूद था. यह पाकिस्तान के सबसे अहम एयरबेस की रणनीतिक संवेदनशीलता दिखाता है.
एयरबेस पर था पाक PM का विमान?
इस्लामाबाद के करीब स्थित नूर खान एयरबेस, पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) के ऑपरेशन्स में मदद करता है और देश के टॉप VVIP एयर ट्रांसपोर्ट के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं. स्पेस कंपनी सैटलॉजिक की सैटेलाइट तस्वीरें, जो अर्थ इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म SkyFi की ओर से इंडिया टुडे को खास तौर पर मुहैया कराई गई हैं, पाकिस्तान के सबसे हाई प्रोफाइल एयर बेस पर हुई घटनाओं को लेकर नया खुलासा करती हैं.
तस्वीरें कंफर्म करती हैं कि 10 मई को नूर खान बेस पर मिसाइल इंपैक्ट साइट से करीब 435 मीटर की दूरी पर एक सफ़ेद G450 (G-IV-X) के स्पेशिफिकेशन से मैच करने वाला विमान मौजूद है. पाकिस्तान सरकार सफ़ेद गल्फस्ट्रीम का इस्तेमाल विशेष रूप से प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और विदेश मंत्रियों के लिए करती है. सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि भारतीय वायुसेना ने रावलपिंडी में एयरबेस को निशाना बनाया जिससे एक कमांड और कंट्रोल यूनिट तबाह हो गई.

प्लेन के मूवमेंट से पहचान पुख्ता
फोटो में दिख रहा विमान पाकिस्तान के VVIP ट्रांसपोर्ट के प्रोफाइल से मेल खाता है. इसकी लंबाई, टेल का साइज और पीछे लगे इंजन गौर करने लायक हैं. इसमें पाकिस्तान आर्मी की तरफ संचालित विमान गल्फस्ट्रीम के जैसी ब्लू टेल भी नहीं दिख रही है, जिसका इस्तेमाल अक्सर पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर करते हैं.
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विमान के बाद का मूवमेंट इसकी पहचान को और पुख्ता कर देता है. 12 मई को विमान ने लाहौर से सियालकोट के लिए PAK02 कॉलसाइन का इस्तेमाल करते हुए उड़ान भरी, जो आमतौर पर प्रधानमंत्री के लिए रिजर्व होता है. गंतव्य और समय प्रधानमंत्री की सार्वजनिक रूप से बताई गई यात्रा के साथ मेल खाता है. दो दिन बाद 13 मई को वही विमान PAK03 कॉलसाइन का इस्तेमाल करते हुए बीजिंग के लिए उड़ान भरता है, जो विदेश मंत्री के यात्रा कार्यक्रम के मुताबिक था.
पाकिस्तान वीवीआईपी इस्तेमाल के लिए तीन गल्फस्ट्रीम संचालित करता है. भारतीय वायुसेना के हमलों के वक्त, डेटा से पता चलता है कि नूर खान बेस पर दो गल्फस्ट्रीम मौजूद हो सकते हैं जबकि एक लाहौर में तैनात था. हालांकि, हमले के कुछ घंटे बाद ली गई सैटेलाइट इमेजरी में रावलपिंडी बेस पर सिर्फ एक ही विमान दिखाई देता है.

हमले के बाद फ्यूल टैंकर एक्टिव
इसी सैटेलाइट इमेजरी से नूर खान में हमले के बाद II-78 एयर फ्यूल टैंकर की मौजूदगी का भी पता चलता है, जो भारतीय हमले के बाद भी बेस से एक्टिव मिलिट्री ऑपरेशन के संकेत देता है. II-78 इन-फ्लाइट रिफ्यूलिंग के लिए एक महत्वपूर्ण एसेट है और लड़ाकू विमानों की ओर से डीप स्ट्राइक को भी दिखाता है.
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नूर खान कोई साधारण एयरबेस नहीं है. यह पाकिस्तान के VVIP और हाई लेवल मिलिट्री एविएशन का सेंटर है. इस्लामाबाद से इसकी निकटता और इसका डबल रोल एयरबेस को पाकिस्तान के सबसे संवेदनशील हवाई ठिकानों में से एक बनाती है. अब तक हमलों के बाद उपलब्ध सभी सैटेलाइट तस्वीरों से यह बात जाहिर होती है कि भारतीय वायुसेना ने पूरी सटीकता के साथ हमला किया था और किसी भी जगह पर कोई भी टारगेट चूकता हुआ नहीं दिखाई देता है.

यह सबूत इस बात को भी बताते हैं कि पाकिस्तान ने 10 मई को इतनी तेजी से सीजफायर की मांग क्यों की थी. देश के सबसे अहम बेस पर टॉप गवर्नमेंट प्लेन और एयर फ्यूलिंग एसेट के होने की जानकारी मिलने से आगे चलकर तनाव बढ़ने का खतरा हो सकता है. अहम ठिकानों को टारगेट करना और बिना दायरा बढ़ाए सटीकता के साथ हमले करने का भारत का फैसला, पाकिस्तान को साफ संकेत देने के लिए काफी है.